दिवाली: मन के दीप
दिवाली: मन के दीप दिवाली एक ऐसा उत्सव है जब घर ही क्या हर गली मोहल्ले का कोना कोना जगमगा रहा होता है। ऐसा लगता है कि पूरा शहर ही रोशनी में डूबा हुआ है। लड़ियों की जगमगाहट हो या दीपों की टिमटिमाहट हर एक जगह सुंदर दिखाई देती है और हो भी क्यों न! जब त्यौहार ही रोशनी का है तो अंधेरे का क्या काम। असल में दिवाली की सुंदरता तो हमारे मन की खुशियों से है क्योंकि रोशनी की ये किरणें केवल बाहर ही नहीं अपितु मन के कोने कोने में पहुंच कर मन के अंधेरों को दूर कर रही होती है। तभी तो दिवाली के दीपक मन के दीप होते हैं जो त्यौहार के आने पर स्वयं ही जल उठते है। दिवाली का समय ही ऐसा होता है कि जहां हम केवल दिवाली की तैयारी के लिए उत्सुक रहते है। यह तो त्योहारों का एक गुच्छा है जिसका आरंभ धनतेरस पर्व से होकर भाई दूज तक चलता है। ऐसे में हर दिन एक नई उमंग के साथ दिवाली के दीप जलते हैं। ये दीपक नकारात्मकताओं को दूर कर हमें एक ऐसी राह दिखा रहे होते हैं जो सकारात्मकताओं से भरा हुआ होता है, जहां हम आशा और विश्वास की लौ जलाते हैं कि आने व...
👍
ReplyDeleteSuperb
ReplyDeleteToo Good .
ReplyDeletePresent. ...
ReplyDeleteअपने आप लैपटॉप या फोन पे बातें करते हुए मेरी बेटी जैसे बहुत से बच्चे, ,ये दृश्य और हालात सभी के साथ एक जैसे हैं। ।
ReplyDeleteBahut sunder
ReplyDelete👌👌👌
ReplyDeleteThis is my favorite post uptil now. So beautifully you hv captured what all parents n children are going through. Let's hope normal schooling becomes a reality soon.
ReplyDeleteBahut badiya.
ReplyDelete