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Showing posts from August, 2021

छुट्टियों की तैयारी

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 छुट्टियों की तैयारी   बच्चों की छुट्टियां पड़ चुकी हैं और कितनों के घर में समान भी बंध गए। कुछ लोग गर्मी से राहत पाने के लिए कुछ दिन ही सही लेकिन कितने ही लोग पहाडों पर जा रहे है तो कोई नदी या बीच की ओर प्रस्थान कर रहे है। लेकिन अभी भी बहुत से इसी सोच में हैं कि "बच्चों को छुट्टियों में कहाँ घुमाएं?" ।    अब लगभग सभी अपनी अपनी तरह से किसी न किसी जगह पर घूमने का मन बनाते हैं और वहाँ जाकर खूब आनंद लेते हैं। लेकिन आप किसी भी जगह का लुत्फ़ उठाएं लेकिन छुट्टियों के दो चार दिन भी अगर बिना अपने घर, गांव या मायके में न गुज़रे तो छुट्टियां और मौसम दोनों अधूरे लगते हैं, खासकर कि महिलाओं और बच्चों को।       बचपन का घर    बच्चों के लिए तो जैसे ये एक ग्राष्मकालीन त्यौहार है जो वो अपने नाना नानी, दादा दादी,  भाई बहनों के साथ मिलकर मनाते हैं। ये वो जगह होती है जहाँ वो राजा बाबू बनकर स्वछंद रूप से खूब मस्ती करते हैं। वहीं महिलाओं के लिए ये सालाना किया जाने वाला कोई संस्कार है जिसे हर वर्ष निभाना आवश्यक लगता है। हालांकि काम काजी महिलाओं के संदर्भ में इसे निभाना एक बड़

कृष्ण जन्माष्टमी: भगवान कृष्ण के साथ माता यशोदा का पूजन

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कृष्ण जन्माष्टमी:  भगवान कृष्ण के साथ माता यशोदा का पूजन (Krishna Birthday)       Pic courte: freepik      कृष्ण जन्माष्टमी है तो कृष्ण का ही सुमिरन होगा। भादौ मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को भगवान कृष्ण का जन्मदिवस एक पर्व होता है जिसे घर घर में उत्सव के रूप में मनाया जाता है। चाहे मंदिर हो, घर हो, पास पड़ोस का आंगन हो या किसी गली मोहल्ले का मैदान कृष्ण की लीलाओं की झांकी तो दिख ही जाती है। जितनी लीलाएं उतने नाम। चारों ओर बस कृष्ण-कृष्ण और बस राधे-राधे।     कृष्ण की तो इतनी विशेषताएं हैं कि उनको गिना नहीं जा सकता और न ही उनके जैसा बना जा सकता है क्योंकि वे तो मानव अवतार में स्वयं भगवान विष्णु जी हैं और भगवान बनना हम मानवों के बस की बात नहीं तो बस आंख मूंद कर उनका स्मरण करते हैं और प्रार्थना करते हैं कि जिसप्रकार से भगवान कृष्ण ने लोगों की संकट में सहायता की वैसे ही वे हम सभी के कष्ट हरेंगे।    लेकिन कृष्ण जन्माष्टमी में हम किसी भी दुख या कष्ट के लिए सुमिरन नहीं करते। जन्माष्टमी तो उत्सव होता है भगवान कृष्ण के जन्म का तो इस समय जो भावनाएं होती है उनमें कृष्ण नहीं कान्हा होते

घी संक्रांति में अरबी पत्तों के पतोड़ ( Taro/Colacosia leaves Snack)

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घी संक्रांति में अरबी पत्तों के पतोड़     कहते हैं कि सबसे सुंदर होता है बाल मन, न कोई चिंता और न चालाकी। न किसी से द्वेष न रोष। न किसी के प्रति दुर्भावना और न ही किसी तरह की हिचक। बस स्वछंद प्रकृति और मासूम दिल। ये अहम, द्वेष, बड़प्पन जैसे रोग तो बड़ों ने अपने दिल और दिमाग में पाले होते हैं।     चूंकि उत्तराखंड में अभी कोरोना ढीला पड़ा है तो इसी हफ्ते से बेटी जिया को भी बाहर खेलने की ढील दी गई है। क्या करें आखिर कब तक घर और गाड़ी के अंदर तक ही सैर करते सो चार महीनों बाद थोड़ी आजादी दे दी गई और इसी तरह जब खेल खेल में उसने अपनी सहेली के घर अरबी के बड़े बड़े पत्ते देखे तो तुरंत अपनी आंटी से उन पत्तों को मांग लिया और जब मैंने रसोई में उन हरे हरे चौड़े अरबी के पत्तों को देखा तो बहुत खुशी हुई लेकिन जब पता चला कि जिया किसी से मांग कर लाई है तो थोड़ी अहम को ठेस लगी। उसको समझा ही रही थी कि ऐसे कोई भी चीज मत लेकर आया करो लेकिन साथ ही सोच रही थी कि ये तो छोटे बच्चे हैं इन्हें अभी से बड़ों के गुण अवगुण का पाठ क्यों पढ़ा रही हूं? ये अपने आप समय के साथ समझ जाएंगे और वैसे भी पड़ोसी से कोई पैसा उधार

स्वतंत्रता दिवस...उड़ना अभी बाकी है।।

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स्वतंत्रता दिवस...उड़ना अभी बाकी है।।     74 साल तो हो चुके हैं भारत को आजाद हुए लेकिन आज भी स्वतंत्रता दिवस मनाने की खुशी भारत के हर नागरिक को पहले जैसी ही है। आज भी जब इस दिन लालकिले पर लहराते हुए तिरंगे को देखते हैं तो लोग उतने ही गर्वित होते हैं जितना आजादी के समय हुआ करते थे और जब बैंड के साथ राष्ट्रीय गान की धुन कानों में पड़ती है तो दिल में देश के प्रति समर्पण का भाव स्वतः ही उमड़ पड़ता है और इसी के साथ ही याद दिलाता है भारत के अनेक वीरों को जिनके अथक प्रयासों से हमें कभी मुगल तो कभी अंग्रेजों की गुलामी से आजादी मिली।      भारतीयों का स्वतंत्रता दिवस में इसप्रकार से खुश होना, गर्वित होना, उमंग से भर जाना बड़ा ही सामान्य है क्योंकि प्रत्येक नागरिक चाहे वह किसी भी देश का हो अपने देश के प्रति प्यार और समर्पण का भाव हमेशा दिल में संजोए रखता है और अपने देश भक्ति का ये उत्साह तो तब और भी दुगना हो जाता है जब वह परदेस में हो।     ऐसा ही जज्बा और जोश हमने अभी हाल ही में आयोजित ओलंपिक खेलों में भी दिखाई दिया। जब भारत के खिलाड़ी टोक्यो 2020 प्रतिभाग के लिए गए। उन्हें देख कर ऐसा

तीज... हर सुहागन के लिए खास दिन

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तीज... हर सुहागन के लिए खास दिन     महिलाओं को सजने संवरने का बस एक मौका चाहिए होता है और बस वे झट से इन मौकों को ढूंढ भी लेती हैं। तभी तो चाहे किसी का ब्याह हो या जन्मोत्सव या फिर कोई भी त्योहार बिना श्रृंगार के महिलाओं के लिए ये सभी उत्सव फीके हैं। भारत में तो कितने व्रत भी ऐसे हैं जो महिलाओं को उनके सुहाग और श्रृंगार के बने रहने के लिए हैं।     ऐसा ही एक त्योहार सावन में आने वाले हरितालिका तीज का भी है जो पति की दीर्घायु, सुखी दांपत्य और घर की सुख शांति के लिए होता है। इस वर्ष का तीज व्रत 10 अगस्त की शाम से आरंभ हो रहा है।     हरियाली से प्रेरित इस व्रत का उद्देश्य भी प्रकृति की भांति सुहाग के हमेशा हरे भरे और फले फूले की कामना के लिए होता है। जहां सुहागिने अपने अखंड सौभाग्य के लिए तो कुंवारी लड़कियां अपने भावी पति की कामना के लिए करती हैं। तीज व्रत की पौराणिक मान्यता   माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कई वर्षों तक कठोर तपस्या की थी और भगवान शिव ने श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को माता पार्वती को अपनी पत्नी रूप में स्वीकार किया थ