Posts

Showing posts from August, 2023

थोड़ा कुमाऊँ घूम आते हैं...भाग-2

Image
थोड़ा कुमाऊँ घूम आते हैं...भाग- 2   पिछले लेख में हम हरिद्वार स्थित चंडी देवी के दर्शन करके आगे बढ़ रहे थे यानी कि उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल से अब कुमाऊँ मंडल की सीमाओं में प्रवेश कर रहे थे बता दें कि उत्तराखंड के इस एक मंडल को दूसरे से जोड़ने के लिए बीच में उत्तर प्रदेश की सीमाओं को भी छूना पड़ता है इसलिए आपको अपने आप बोली भाषा या भूगोल या वातावरण की विविधताओं का ज्ञान होता रहेगा।     कुमाऊँ में अल्मोडा, नैनीताल, रानीखेत, मुक्तेश्वर, काशीपुर, रुद्रपुर, पिथौरागढ, पंत नगर, हल्दवानी जैसे बहुत से प्रसिद्ध स्थान हैं लेकिन इस बार हम केवल नैनीताल नगर और नैनीताल जिले में स्थित बाबा नीम करौली के दर्शन करेंगे और साथ ही जिम कार्बेट की सफ़ारी का अनुभव लेंगे।   225 किलोमीटर का सफर हमें लगभग पांच से साढ़े पांच घंटों में पूरा करना था जिसमें दो बच्चों के साथ दो ब्रेक लेने ही थे। अब जैसे जैसे हम आगे बढ़ रहे थे वैसे वैसे बच्चे भी अपनी आपसी खींचतान में थोड़ा ढ़ीले पड़ रहे थे। इसलिए बच्चों की खींचतान से राहत मिलते ही कभी कभी मैं पुरानी यादों के सफर में भी घूम रही थी।     कुमाऊँ की मेरी ये तीसर

भगवान का सोना

Image
Short Story: भगवान का सोना      एक गांव में एक बहुत बड़े संत महात्मा पधारे। वे लोगों का दुख दूर करके उनका कल्याण करते थे। दूर दराज से लोग संत से मिलने आये और अपनी समस्या का निवारण पूछने लगे। उसी गाँव के सूरज और ललित भी संत से मिलने पहुंचे। उन्होंने संत से अपनी गरीबी के निवारण हेतु उपाय पूछा। संत ने उनकी समस्या जानकर उन्हें अगले दिन आने के लिए कहा।    अगले दिन संत ने सूरज को सात अलग अलग पोटलियाँ दी और कहा कि ये भगवान् का प्रसाद है। इसे तुम रात को पानी में भीगा देना और अगली सुबह भगवान् का नाम लेकर इन पोटलियों को खोलना। 3 महीने में ये सोना बन जायेगी और तुम्हारी दरिद्रता चली जायेगी। लेकिन हाँ, जब मैं अगली बार यहाँ आऊँ तो तुम दान स्वरूप इस भेंट का कुछ हिस्सा मुझे भी देना। अब तुम ईश्वर का नाम जपते रहना और अपने काम करते रहना। तुम्हारा कल्याण हो।   ठीक ऐसा ही उपाय संत ने ललित को भी बताया।  6 महीने बाद वह संत एक बार फिर से उस गांव में आये। सूरज और ललित भी एक बार फिर से उन संत महाराज जी के पास गए। सूरज ने सात अलग अलग प्रकार के अनाज और फल की टोकरी संत को भेंट दी 

तीज: प्रकृति का तप, पुरुष का संकल्प!!

Image
पुरुषों के संकल्प के बिना अधूरा है तीज व्रत!!         कहने को तीज भले ही महिलाओं का पर्व माना जाता हो किंतु तीज पुरुष के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि महिलाओं के लिए। यह कठिन व्रत भले ही महिलाओं द्वारा लिया जाता हो किंतु इस व्रत का आधार पुरुष ही है। दोनों के तप और संकल्प के साथ ही तीज व्रत संपूर्ण होता है।     तीज का व्रत सुहाग और घर परिवार की कुशलता के लिए महिलाओं द्वारा लिया जाने वाला व्रत है। इस दिन बिना अन्न जल ग्रहण किये भगवान शिव और माता पार्वती की परिवार सहित आराधना की जाती है।     यह महिलाओं का तप ही तो है जो इस कठिन व्रत को सफल बनाता है लेकिन इसके लिए उस पुरुष का संकल्प भी आवश्यक है। पुरुष के संकल्प के बिना स्त्री का यह कठोर व्रत फलदायी नहीं है। जहाँ स्त्री अपने अखंड सौभाग्य के लिए तप रूपी व्रत करती हैं वहीं पुरुष का अपनी स्त्री के प्रति पूर्ण भाव से संकल्पित होना भी उसी व्रत को पूर्ण करता है।     ये संकल्प होता है अपनी स्त्री के प्रति भगवान् शिव की भाँति निष्ठा का, उसके मान का, उसके प्रति प्रेम का, विश्वास का, उसके हर कार्य को सिद्ध करने का और

घी संक्रांति में अरबी पत्तों के पतोड़ ( Taro/Colacosia leaves Snack)

Image
घी संक्रांति में अरबी पत्तों के पतोड़     कहते हैं कि सबसे सुंदर होता है बाल मन, न कोई चिंता और न चालाकी। न किसी से द्वेष न रोष। न किसी के प्रति दुर्भावना और न ही किसी तरह की हिचक। बस स्वछंद प्रकृति और मासूम दिल। ये अहम, द्वेष, बड़प्पन जैसे रोग तो बड़ों ने अपने दिल और दिमाग में पाले होते हैं।     चूंकि उत्तराखंड में अभी कोरोना ढीला पड़ा है तो इसी हफ्ते से बेटी जिया को भी बाहर खेलने की ढील दी गई है। क्या करें आखिर कब तक घर और गाड़ी के अंदर तक ही सैर करते सो चार महीनों बाद थोड़ी आजादी दे दी गई और इसी तरह जब खेल खेल में उसने अपनी सहेली के घर अरबी के बड़े बड़े पत्ते देखे तो तुरंत अपनी आंटी से उन पत्तों को मांग लिया और जब मैंने रसोई में उन हरे हरे चौड़े अरबी के पत्तों को देखा तो बहुत खुशी हुई लेकिन जब पता चला कि जिया किसी से मांग कर लाई है तो थोड़ी अहम को ठेस लगी। उसको समझा ही रही थी कि ऐसे कोई भी चीज मत लेकर आया करो लेकिन साथ ही सोच रही थी कि ये तो छोटे बच्चे हैं इन्हें अभी से बड़ों के गुण अवगुण का पाठ क्यों पढ़ा रही हूं? ये अपने आप समय के साथ समझ जाएंगे और वैसे भी पड़ोसी से कोई पैसा उधार

अहिंसा परमो धर्म:

Image
स्वतंत्रता दिवस:   अहिंसा परमो धर्मः     15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस मतलब कि देश का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण पर्व। जो हमेशा हमें राष्ट्र प्रेम की खुशी का अनुभव कराता है। चाहे ये खुशी आसमान में उड़ती पतंगों में, हवा में लहराते गुब्बारों में, घर, गाड़ी या ऑफिस की मेज़ में या टीवी पर आने वाले किसी कार्यक्रम में दिखाई दे और साथ ही तिरंगे से सजी मिठाई में मिले। सभी में देश प्रेम का अंश अवश्य देखने को मिलेगा। जब इतना सब कुछ एक देश के लिए तो फिर एक देश के निवासियों में इतने मतभेद और नफरत क्यों?? यह कहा जा सकता है कि सबसे बड़ी जनसंख्या के साथ भिन्न भिन्न धर्म जाति, संप्रदाय, संस्कृति सभ्यता, आचार विचार के साथ रहते हुए तर्क तो होते ही हैं किंतु कुतर्क के साथ हिंसा क्यों?? अपने स्वार्थ के लिए दूसरों को कष्ट देना उचित है क्या?? क्या नफरत और हिंसा के साथ देश का विकास संभव है??   जहाँ हमें, अहिंसा परमो धर्मस्तथाहिंसा परं तपः । अहिंसा परमं सत्यं यतो धर्मः प्रवर्तते ॥ ( अहिंसा परम धर्म है, अहिंसा परम तपस्या (तप) है, और अहिंसा परम सत्य है और जिसके द्वारा धर्म की प्रवृत्ति आग

मित्रभेद: मित्रलाभ:

Image
मित्रभेद: मित्रलाभ: Friendship Day.... Short Story     पूरे मोहल्ले की बिजली अचानक चले जाने पर घर में अंधेरा छा गया। लेकिन मोहल्ले के बच्चों का एक साथ एक सुर में शोर भी सुनाई दिया और चंद मिनटों में सारे बच्चे अपने घरों से बाहर आकर नुक्कड़ पर इकट्ठे हो लिए। बारी थी बिजली के चले जाने पर उनके प्रिय छुपन छुपाई खेल की लेकिन महेश घर की छत की ओर भागा।    अरे महेश! आज तुम गली के बजाए छत पर कैसे आ गए। आज खेलने नहीं जाना?  नहीं चाचा, ये सब बच्चे बहुत बुरे हैं। लेकिन कल तक तो तुम सब साथ थे फिर क्या हो गया?  चाचा आपको पता है, पहले तो सब दोस्त मेरे साथ ही थे लेकिन जब से वो आकाश आया है न तब से सब उसी के आगे पीछे रहते हैं। आकाश के साथ ही खेलते हैं और उसी की सुनते हैं। कौन आकाश?? क्या वही जो सामने वाले घर में रहता है। वही आकाश न? हाँ, वही आकाश, जो गर्मियों की छुट्टियों से अपने मामा के यहाँ ठहरा हुआ और अभी तक जाने का नाम भी नहीं ले रहा। लेकिन पहले तो तू भी रोज उसके साथ घूमता था, खेलता था । आज क्या हो गया?? कुछ नहीं चाचा लेकिन कल रेस में मैं जीतने ही वाला था लेकिन तब सारे ब