Posts

Showing posts with the label teachers day

शांत से विकराल होते पहाड़...

Image
शांत से विकराल होते पहाड़...   क्या हो गया है पहाड़ में?? शांत और स्थिरता के साथ खड़े पहाड़ों में इतनी उथल पुथल हो रही है कि लगता है पहाड़ दरक कर बस अब मैदान के साथ में समाने वाला है। क्या जम्मू, क्या उत्तराखंड और क्या हिमाचल! दोनों जगह एक सा हाल! कभी बादल फटने से तो कभी नदी के रौद्र् रूप ने तो कभी चट्टानों के टूटने या भू धंसाव से ऐसी तबाही हो रही है जिसे देखकर सभी का मन विचलित हो गया है। प्रकृति के विनाशकारी स्वरुप को देख कर मन भय और आतंक से भर गया है। इन्हें केवल आपदाओं के रूप में स्वीकार करना गलती है। असल में ये चेतावनी है और प्रकृति की इन चेतावनियों को समझना और स्वयं को संभालना दोनों जरूरी है।     ऐसा विकराल रूप देखकर सब जगह हाहाकार मच गया है कि कोई इसे कुदरत का कहर तो कोई प्रकृति का प्रलय तो कोई दैवीए आपदा कह रहा है लेकिन जिस तेजी के साथ ये घटनाएं बढ़ रही है उससे तो यह भली भांति समझा जा सकता है कि यह प्राकृतिक नहीं मानव निर्मित आपदाएं हैं जो प्राकृतिक रूप से बरस पड़ी हैं।    और यह कोई नई बात नहीं है बहुत पहले से कितने भू वैज्ञानिक, पर्यावरणविद और ...

5 सितंबर।।

Image
  5 सितंबर।।       ये दिन भी हमे हमेशा याद रहता है। क्योंकि इसे हम 'Teachers Day' या 'शिक्षक दिवस' के लिए याद करते हैं।         शिक्षक दिवस' क्यों मनाया जाता है? किसके लिए मनाया जाता है? कबसे इसको मनाया जाता है? इस विषय में मैं आपको ज्ञान नही दे पाऊँगी। क्योंकि मैं आपकी शिक्षक नहीं हूँ, सिर्फ अपनी सोच ही बता पाऊँगी।    वैसे तो हमारे रिश्तों और सामाजिक बंधनों के लिए तो अब Father's Day, Mother's Day, Sister's Day, Brother's Day, Grand Parent's Day, और तो और Cousin's Day भी मनाया जा रहा है। लेकिन इन सभी दिनों में एक बात बड़ी सामान्य है की ये सभी लोग आपस में बंधे हुए हैं,जुड़े हुए है। कोई दूर है तो कोई पास, कोई पराया भी है तो कोई खास, लेकिन संयोजकता (Connectivity) तो है ही। लेकिन थोड़ा याद करें कि कौन सा अध्यापक अभी भी आपके संपर्क में है और कितना आप उन्हें अपना वक़्त देते हैं?तो शायद बहुत कम गिनती होगी ऐसे लोगों की और उनमे से मैं भी, कतई नहीं हूँ।       फिर भी अपने को तसल्ली दे देती हूँ की इस शिक्षक दिवस के रूप...