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शांत से विकराल होते पहाड़...

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शांत से विकराल होते पहाड़...   क्या हो गया है पहाड़ में?? शांत और स्थिरता के साथ खड़े पहाड़ों में इतनी उथल पुथल हो रही है कि लगता है पहाड़ दरक कर बस अब मैदान के साथ में समाने वाला है। क्या जम्मू, क्या उत्तराखंड और क्या हिमाचल! दोनों जगह एक सा हाल! कभी बादल फटने से तो कभी नदी के रौद्र् रूप ने तो कभी चट्टानों के टूटने या भू धंसाव से ऐसी तबाही हो रही है जिसे देखकर सभी का मन विचलित हो गया है। प्रकृति के विनाशकारी स्वरुप को देख कर मन भय और आतंक से भर गया है। इन्हें केवल आपदाओं के रूप में स्वीकार करना गलती है। असल में ये चेतावनी है और प्रकृति की इन चेतावनियों को समझना और स्वयं को संभालना दोनों जरूरी है।     ऐसा विकराल रूप देखकर सब जगह हाहाकार मच गया है कि कोई इसे कुदरत का कहर तो कोई प्रकृति का प्रलय तो कोई दैवीए आपदा कह रहा है लेकिन जिस तेजी के साथ ये घटनाएं बढ़ रही है उससे तो यह भली भांति समझा जा सकता है कि यह प्राकृतिक नहीं मानव निर्मित आपदाएं हैं जो प्राकृतिक रूप से बरस पड़ी हैं।    और यह कोई नई बात नहीं है बहुत पहले से कितने भू वैज्ञानिक, पर्यावरणविद और ...

Happy Independence Day

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15 अगस्त: आजादी का अमृत महोत्सव  जरा याद करो कुर्बानी....  आज याद आया दिन कुर्बानी का गांधी पटेल बलिदानी का आज़ाद भगत वीर सैनानी का झांसी वाली मर्दानी का  आज याद आया दिन कुर्बानी का...  वो वक़्त था जंग ए आज़ादी का खुदी बोस की जवानी का नेता जी हिंदुस्तानी का बिस्मिल, अशफ़ाक़ की कहानी का आज याद आया दिन कुर्बानी का...  एक प्रतिज्ञा तुम भी कर लो सर न झुके कभी हिंदुस्तान का कोई गरीब भूखा न सोए न बहे लहू किसी इंसान का बिगुल बजा दो दुनिया में अब वक्त नहीं किसी मेहरबानी का आज याद आया दिन कुर्बानी का...  नई खोज से बनो केसरी प्रेम का ओढ़ो सफेदा धरती का सीना सींचो आज देश बनाओ हरियाली का पढ़ो लिखो, चाहे खेलो कूदो पहले तिलक करो इस माटी का  फिर करो नमन अपनी माँ भवानी का आज याद आया दिन कुर्बानी का...  गांधी पटेल बलिदानी का आज़ाद भगत वीर सैनानी का झांसी वाली मर्दानी का  आज याद आया दिन कुर्बानी का....  एक -Naari