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Showing posts from July, 2021

सावन और शिव

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नटखट सावन और शांत शिव      सावन के नटखट रूप पल पल बदलते हैं, कभी दनदनाती तेज बारिश, कभी भीनी भीनी बौछार। कभी काला आसमान तो कभी इसी आसमान में इंद्रधनुष के रंग। कभी चटख धूप और उमस की गर्मी तो कभी हवाओं की ठंडक। इस चंचलता के साथ भी सावन और शिव का गहरा सम्बन्ध है। जहाँ सावन इतना चंचल है वही पर शिव नाम उतना ही शांत और स्थिर।    सावन की प्रकृति ही ऐसी है जो उसे स्थिर नहीं रहने देती। ये स्वरूप मनुष्य को भी प्रभावित करता है। हम भी तो प्रकृति माँ के पुत्र है इसीलिए सावन की चंचलता हमारी प्रकृति में  भी आना स्वभाविक है।ये चंचलता प्रकृति का एक स्वरूप है और प्रकृति जो स्वयं पार्वती मां हैं उनकी चंचलता तो केवल परमपिता शिव ही संभाल सकते है इसलिए सावन में शिव की स्तुति मानव कल्याण करती है। सावन में शिव के भजन, कीर्तन, पूजन, मनन, चिंतन और शिव नाम भगवान शिव के समीप होने के आनंद देता है।    सावन में मन हरियाली की तरंगों में डोलता रहता है वही मन शिव की उपासना से शांत भी होता है। सावन में विशेषकर शिव की भक्ति की जाती है ताकि हमारा ध्यान, हमारी ...

केवल भू कानून ही नहीं, बात है उत्तराखंडियत की।

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केवल भू कानून ही नहीं, बात है उत्तराखंडियत की।     वैसे तो आजकल सभी इतने व्यस्त होते हैं कि किसी को कोई मतलब नहीं होता है कि क्या हो रहा है और क्या होना चाहिए। मतलब तो तब जान पड़ता है जब खबर सोशल साइट पर घूमते हुए हमें मिल जाती है। ऐसे ही तो आजकल कई लोगों को उत्तराखंड से जुड़े खूब भारी भरकम शब्द भी सुनने को मिल रहे हैं और ऐसा ही एक शब्द इस हफ्ते (27 जुलाई, अमर उजाला) ही एक अखबार में मुझे पढ़ने को मिला,,, उत्तराखंडियत ।      इससे पहले कभी भी मैंने इस शब्द को नहीं सुना था शायद कभी उत्तराखंड के बारे में ऐसा सोचा ही नहीं होगा। लेकिन सच कहूं तो उत्तराखंडियत सुनकर अच्छा लगा। उत्तराखंड में रहते हुए इसे सुनकर ही लगता है कि कोई वजनदार पहचान मिल रही है।       जैसे भारतीय होने पर भारतीयता का गर्व होता है ठीक वैसे ही उत्तराखंड में रहते हुए उत्तराखंडियत की बात करना मतलब की अपनी पहचान को आगे बढाना है। चलो, किसी को तो याद आया कि उत्तराखंड में उत्तराखंडियत का भी कुछ स्थान होना चाहिए, हां, ये बात अलग है कि इस प्रकार के शब्द चुनाव के समय में ही ...

सावन में भोले की भक्ति Worship of Lord Shiva in Saavan (Monsoon)

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सावन में भोले की भक्ति( बोल बम, हर हर बम।)     सावन का अर्थ केवल प्रेम,पीहर, झूला और हरियाली ही नहीं है बल्कि सावन भक्ति का भी मौसम है इसीलिए तो आपने भी सावन में बहुत से लोगों को भगवान शिव की भक्ति में डूबा हुआ या बोल बम कहते हुए सुना या देखा होगा। ये अलग बात है कि कोरोना संक्रमण के कारण कांवड़ियों पर रोक लगा दी है लेकिन शिव की भक्ति पर कोई रोक नहीं हैं तभी तो सावन मौसम है पावन भक्ति का , भगवान शिव की आराधना का और इसी सावन माह में चारों ओर हरियाली के साथ भगवान शिव की भक्ति का अलग ही आनंद है जो कि भोले भक्त ले ही रहे है।    सावन आरंभ हो चुका है और भगवान शिव को पूजने और प्रसन्न करने का अवसर भी क्योंकि मान्यता है कि सावन में भगवान शिव की आराधना से सभी का कल्याण होता है क्योंकि भगवान शिव सावन के महीने में किए गए पूजन से प्रसन्न होते हैं। सावन के सोमवार का व्रत करने से पुण्य लाभ मिलता है। सावन में भगवान शिव की भक्ति का महत्व क्यों है? सावन माह और शिव का संबंध के पीछे भी एक पौराणिक कथा है।    माता पार्वती ने भगवान शिव को अपने पत...

सबसे मीठा राम का नाम, उसके बाद बस आम ही आम। भारत के प्रसिद्ध आम। हर आम की अपनी अलग पहचान

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सबसे मीठा राम का नाम, उसके बाद बस आम ही आम भारत के प्रसिद्ध आम। हर आम की अपनी अलग पहचान      तीन महीने बाद घर में हमारे सिवा अन्य लोगों की भी आवाजें सुनाई दी। पिछले रविवार को ही पारिवारिक मित्र से बढ़कर हमारे परिवार के ही लोग जो साथ थे। मां बाबू जी का और इस परिवार का साथ पिछले 30 सालों से है तो घर में खूब चहल पहल होना स्वाभाविक था।     जय की शैतानियां अपने अवि भईया और शुभी चाचु के साथ चरम सीमा पर थी। जिया की खुशी अपनी क्राफ्ट और पेंटिंग वाली चाची के साथ दुगनी हो गई, मां बाबू जी की टोली अंकल आंटी जी के साथ अलग ही रमी हुई थी और     विकास को तो बस और चाहिए ही क्या था क्योंकि,,अपना बचपन का यार (partner in crime) जो साथ था और इन सबके बीच मुझे तो बस सबको साथ देखकर जो आनंद मिल रहा था उसका अंदाजा तो इस बात से भी लगाया जा सकता है कि खुशी के मारे परोसने वाला एक व्यंजन भी मुझे देखकर फुक गया।    खैर, जब परिवार बड़ा होता है तो इस प्रकार की बाते साधारणत: हो जाती हैं। असाधारण बात तो तब मानी जाए कि जब परिवार एक साथ बैठा हो ...

मानसून में बालों की देखभाल Hair care in monsoon

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मानसून में बालों की देखभाल Hair care in monsoon     बरसात आने का मतलब है, प्रेम, खुशी, ढेर सारी मस्ती,  चटपटे व्यंजन और गीत मल्हार। इस मौसम में चारों तरफ हरियाली होती है और प्रकृति को ऐसे देखकर आंखों को सुकून मिलता है और दिल भी गुनगुनाने लगता है।इस मौसम की प्रतीक्षा तो हर कोई करता है चाहे पेड़-पौधे हों, पशु-पक्षी हों या फिर इंसान।      मई जून की तपती गर्मी से अब जुलाई की बारिश से राहत मिल पाएगी लेकिन लेकिन साथ ही उमस, पसीना, नमी वाली गर्मी से भी कई बार सामना हो रहा है। इन ऋतुओं के बदलाव के समय हमारे शरीर पर भी तरह तरह के प्रभाव पड़ते हैं चूंकि बरसात में कई बैक्टीरिया, वायरस, फंगस जैसे माइक्रोब्स बारिश की नमी के कारण सक्रिय रहते हैं इसलिए तो बरसात के समय संक्रमण का खतरा भी अधिक होता है।   इन सबके बीच एक समस्या और भी बनी रहती जो बहुत ही सामान्य है और वह है, बालों की इसीलिए मानसून में उचित खानपान के साथ उचित देखभाल भी जरूरी हो जाती है । फिर चाहे शरीर की देखभाल हो या बालों की।     आजकल मैं भी बालों की समस्या से जूझ रहीं हू...

बच्चों का लोकल गोवा बीच (मालदेवता, देहरादून)

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   बच्चों का लोकल गोवा बीच ( मालदेवता, देहरादून)      वैसे तो दिन रविवार का था लेकिन हलचल सुबह से ही होने लग गई थी। पूरे हफ्ते बच्चे प्रतीक्षा कर रहे थे आज के  इस रविवार की क्योंकि उन्हें पिकनिक पर जो जाना था वो भी गोवा बीच पर। लेकिन बता दूं कि हम गोवा में नहीं रहते हैं और न ही इन छुट्टियों में गोवा गए हुए हैं। हम तो देहरादून में ही रहते हैं और इस कोरोना महामारी के चलते बहुत दिनों से घर से बाहर भी नहीं निकले। लेकिन अभी पिछले हफ्ते से ही बाहर निकलना आरंभ किया है वो भी थोड़ा डर डर कर और  सावधानी के साथ।      अभी बच्चे छोटे हैं तो उन्हें कुछ भी बता दो तो वही धुन पकड़ लेते हैं। जैसे बच्चों को विकास ने थोड़ा गोवा बीच का गुब्बारा पकड़ा रखा है। जिया थोड़ी समझदार है तो उसे समझ में आ जाता है कि गोआ कहां है लेकिन छोटे जय को बस यही पता है कि गोवा में समुद्र होता है, वहां खूब सारा पानी होता है, लोग वहां बड़ी सी हैट पहनते हैं, ठंडा शरबत पीते हैं, गाने सुनते हैं और खूब मस्ती करते हैं और जय ने तो गोवा से जुड़ा एक गाना भी सुना हुआ है औ...