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शांत से विकराल होते पहाड़...

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शांत से विकराल होते पहाड़...   क्या हो गया है पहाड़ में?? शांत और स्थिरता के साथ खड़े पहाड़ों में इतनी उथल पुथल हो रही है कि लगता है पहाड़ दरक कर बस अब मैदान के साथ में समाने वाला है। क्या जम्मू, क्या उत्तराखंड और क्या हिमाचल! दोनों जगह एक सा हाल! कभी बादल फटने से तो कभी नदी के रौद्र् रूप ने तो कभी चट्टानों के टूटने या भू धंसाव से ऐसी तबाही हो रही है जिसे देखकर सभी का मन विचलित हो गया है। प्रकृति के विनाशकारी स्वरुप को देख कर मन भय और आतंक से भर गया है। इन्हें केवल आपदाओं के रूप में स्वीकार करना गलती है। असल में ये चेतावनी है और प्रकृति की इन चेतावनियों को समझना और स्वयं को संभालना दोनों जरूरी है।     ऐसा विकराल रूप देखकर सब जगह हाहाकार मच गया है कि कोई इसे कुदरत का कहर तो कोई प्रकृति का प्रलय तो कोई दैवीए आपदा कह रहा है लेकिन जिस तेजी के साथ ये घटनाएं बढ़ रही है उससे तो यह भली भांति समझा जा सकता है कि यह प्राकृतिक नहीं मानव निर्मित आपदाएं हैं जो प्राकृतिक रूप से बरस पड़ी हैं।    और यह कोई नई बात नहीं है बहुत पहले से कितने भू वैज्ञानिक, पर्यावरणविद और ...

प्रेम दिवस: वैलेंटाइन डे (Valentines Day)

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प्रेम दिवस: वैलेंटाइन डे     जहाँ फरवरी माह हमें बसंत के आने की सूचना देता है वहीं फरवरी की दस्तक एक खास अवसर की तैयारी के लिए भी होती है। ये अवसर होता है 14 फरवरी का जिसे वैलेंटाइन डे के नाम से ख्याति प्राप्त है। पहले भले ही यह केवल महानगरों या नगरों का दिन था लेकिन आज कस्बों और गांवों में भी इसकी चर्चाएं आम होने लगी हैं। इस अवसर के लिए विशेषत: युवा और प्रेमी जन खूब उत्साहित रहते हैं। खुशनुमा फरवरी का स्वागत प्रेम के उत्साह से होने लगता है। फूल, इत्र, कार्ड, उपहार के साथ बाजार, होटल, मॉल, रेस्टोरेंट आदि जगह भी सजने लगते हैं और प्रेमी प्रेमिकाओं के हाथ गुलाबों से महकने लगते हैं।    भले ही यह भारतीय पर्व नहीं है किंतु आज भारत में 14 फरवरी का दिन वैलंटाइन डे के रूप में इतना प्रसिद्ध हो चुका है कि जिसकी तैयारी फरवरी के दूसरे सप्ताह से ही आरंभ हो जाती है। युवाओं के लिए तो यह एक पर्व ही है जहाँ वे इतने उत्साहित होते हैं कि पूरा सप्ताह ही वैलेंटाइन वीक के नाम हो जाता है।         प्रेम का सप्ताह (वैलेंटाइन वीक) किसी न किसी विशेष दिन के लिए समर्पि...