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शांत से विकराल होते पहाड़...

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शांत से विकराल होते पहाड़...   क्या हो गया है पहाड़ में?? शांत और स्थिरता के साथ खड़े पहाड़ों में इतनी उथल पुथल हो रही है कि लगता है पहाड़ दरक कर बस अब मैदान के साथ में समाने वाला है। क्या जम्मू, क्या उत्तराखंड और क्या हिमाचल! दोनों जगह एक सा हाल! कभी बादल फटने से तो कभी नदी के रौद्र् रूप ने तो कभी चट्टानों के टूटने या भू धंसाव से ऐसी तबाही हो रही है जिसे देखकर सभी का मन विचलित हो गया है। प्रकृति के विनाशकारी स्वरुप को देख कर मन भय और आतंक से भर गया है। इन्हें केवल आपदाओं के रूप में स्वीकार करना गलती है। असल में ये चेतावनी है और प्रकृति की इन चेतावनियों को समझना और स्वयं को संभालना दोनों जरूरी है।     ऐसा विकराल रूप देखकर सब जगह हाहाकार मच गया है कि कोई इसे कुदरत का कहर तो कोई प्रकृति का प्रलय तो कोई दैवीए आपदा कह रहा है लेकिन जिस तेजी के साथ ये घटनाएं बढ़ रही है उससे तो यह भली भांति समझा जा सकता है कि यह प्राकृतिक नहीं मानव निर्मित आपदाएं हैं जो प्राकृतिक रूप से बरस पड़ी हैं।    और यह कोई नई बात नहीं है बहुत पहले से कितने भू वैज्ञानिक, पर्यावरणविद और ...

आशाएं: नई सरकार... नई महिला नीति

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आशाएं....नई सरकार...नई महिला नीति   वोट चाहे जिसको भी दिया हो, चुनाव चाहे अब जिस भी पार्टी ने जीता हो, सरकार चाहे अब किसी की पसंद की बनी हो या न हो लेकिन अब जनता के लिए बिना भेदभाव, निष्ठा और ईमानदारी से काम करे बस यही तो एक आम आदमी नई सरकार से चाहता है।     एक आम महिला तो अपने परिवार के लिए महंगाई और रोजगार तक ही सीमित हो जाती है और अपने लिए यहां भी भूल जाती है। ऐसे में सरकार और बुद्धिजीवी लोगों से ही उम्मीद की जा सकती है कि वो महिलाओं के विषय में भी सोचे।   8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया और 10 मार्च को चुनावी परिणाम भी आ गए और इसी के साथ सरकार के प्रति महिलाओं की अपेक्षाएं भी बढ़ गई। जब एक छोटी से छोटी संस्था से लेकर बड़ी बड़ी मल्टी नेशनल कंपनी भी महिला दिवस को व्यापक रूप से मना रही है तो चुनी हुई सरकार से तो उम्मीद की जा सकती है कि उनके पास भी महिलाओं के लिए कुछ विशेष हो। विशेषकर महिला नीति बनने की उम्मीद की जा सकती है जिसमें कुछ पहलुओं को ध्यान में रखा जाए। महिलाओं को स्वस्थ रखने के लिए...   अगर घर की महिला स्वस्थ है त...