Posts

Showing posts from September, 2020

सावन और शिव

Image
नटखट सावन और शांत शिव      सावन के नटखट रूप पल पल बदलते हैं, कभी दनदनाती तेज बारिश, कभी भीनी भीनी बौछार। कभी काला आसमान तो कभी इसी आसमान में इंद्रधनुष के रंग। कभी चटख धूप और उमस की गर्मी तो कभी हवाओं की ठंडक। इस चंचलता के साथ भी सावन और शिव का गहरा सम्बन्ध है। जहाँ सावन इतना चंचल है वही पर शिव नाम उतना ही शांत और स्थिर।    सावन की प्रकृति ही ऐसी है जो उसे स्थिर नहीं रहने देती। ये स्वरूप मनुष्य को भी प्रभावित करता है। हम भी तो प्रकृति माँ के पुत्र है इसीलिए सावन की चंचलता हमारी प्रकृति में  भी आना स्वभाविक है।ये चंचलता प्रकृति का एक स्वरूप है और प्रकृति जो स्वयं पार्वती मां हैं उनकी चंचलता तो केवल परमपिता शिव ही संभाल सकते है इसलिए सावन में शिव की स्तुति मानव कल्याण करती है। सावन में शिव के भजन, कीर्तन, पूजन, मनन, चिंतन और शिव नाम भगवान शिव के समीप होने के आनंद देता है।    सावन में मन हरियाली की तरंगों में डोलता रहता है वही मन शिव की उपासना से शांत भी होता है। सावन में विशेषकर शिव की भक्ति की जाती है ताकि हमारा ध्यान, हमारी ...

हम आपस में बहनें है।

Image
हम आपस में बहनें है।          ये लेख है बहनों के आपसी संबंध के लिए और बहन होने के महत्व के लिए (This article is for the mutual relation of sisters and for the importance of being a sister)    बहिन/ बहिना/ बहन चाहे कुछ भी बोलो किंतु इस रिश्ते का मोल किसी भी तरह के शब्दो के मायाजाल से घटाया या बढ़ाया नही जा सकता। बहन चाहे एक ही माता- पिता के खून से हों या फिर रिश्तों से, एक धागा हमेशा बहनों को जोड़े रखता है और वो है प्रेम और स्नेह का। बहनों के मध्य आपसी प्यार और समझ की बैठक कभी हंसी ठिठोली तो कभी कभी बहुत बड़ी सीख भी देती है। कोई भी स्त्री अपने बचपन का स्मरण करती है तो अपनी ही यादों की गहराई में डूबती जाती है और इन यादों की गहराई को किसी भी पैमाने से मापा नही जा सकता।       वैसे तो हर किसी का बचपन शरारत भरा ही होता है लेकिन घर में अगर बहने साथ साथ की हो तो उनका बचपन तो और भी रंगो भरा हो जाता है क्योंकि हर बहन को एक सहेली तो अपने ही घर परिवार में मिल जाती है। कभी आपस में खूब प्यार से रहना, तो कभी खतरनाक गुस्सा ह...

"पति पीता है, लेकिन पीटता नहीं ।। "

Image
पति पीता है, लेकिन पीटता नहीं ।।         "Weekend आने वाला है,,,"         कितना अजीब है ना, ' पीता ' या ' पीना' इन शब्दों से ही हमारा दिमाग कितना दौड़ने लग जाता है, बिना किसी और इशारा किए, सीधा बता देता है कि इन शब्दों का अर्थ ' किसके '  सेवन से है और इसका कौन सा रूप है? अब वो तो आप अपने स्वादानुसार या सोचानुसार  या जेबानुसार समझ सकते हैं। शायद आपके साथ भी कुछ इस प्रकार के शब्दों का प्रयोग हुआ होगा। कुछ वाक्य ऐसे हैं जिनसे आप समझ ही जाते हैं कि यहाँ क्या पीया जा रहा है? जैसे की,,,  " लगता है आज पी कर आए हो, पीया हुआ है क्या, यार, बहुत समय से नही पी, पीने का भी अपना मज़ा है, तुम्हे क्या लगा मैं पी कर आया हूँ, पियो और पीने दो"           ऐसे अनगिनत वाक्य हैं, जिन्हे हम  अमूमन सुन ही लेते हैं। और जिनका अर्थ भी हम समझ जाते हैं कि किसी ' पानी या फलों के रस ' पीने से तो कदापि नही है। फिर भी एक फल का रस तो है ही, चलिए समझदार को इशारा काफी है, और इस शब्द ने तो सबको समझदार बना दिया है और ना जाने ...

तमाशा बनती डिग्री या तमाचा मारती बेरोजगारी

Image
तमाशा बनती डिग्रियाँ  या  तमाचा मारती बेरोजगारी        अभी कल ही एक विज्ञापन देखा जिसे एक  शिक्षित महोदय ने मुझे भेजा था। ये एक विज्ञप्ति थी नौकरी के लिए जिसे देश के एक बहुत बड़े प्रतिष्ठित संस्थान ने प्रकाशित किया था जिसमें नौकरी के लिए सिर्फ एक ही व्यक्ति की आवश्यकता थी , और अगर वेतन की बात की जाय तो एक आम युवा के लिए तो बहुत सी जरूरत पूरी हो सकती हैं शैक्षिक योग्यता के लिए भी आपको सिर्फ स्नातक होना काफी है , उसके लिए आप चाहें तो B. A./B.Com./B.Sc ही क्यों ना हो। हाँ एक और खास बात है अगर B.Tech . या फिर इसके समानांतर कोई दूसरी डिग्री भी हो तो वो भी अपना आवेदन इस नौकरी के लिए कर सकता है। अब हमारे मन मे थोड़ा सा विरोधाभास प्रश्न भी जागृत हो जाता है कि ऐसी कौन सी नौकरी है ? जहाँ शैक्षिक योग्यता   B.A. के साथ साथ B.Tech. को भी आमंत्रण मिला है। तो आपको बताना चाहूँगी कि ये पद है , 'Dog Handler' का...