Teej Where Love Meets Devotion and Grace

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    तीज: सुहागनों का उत्सव (प्रेम, तप, समर्पण, श्रृंगार)       छाया: मोनिका ठाकुर, देहरादून   प्रकृति स्वयं माता पार्वती का एक रूप है इसलिए सावन माह में जहाँ हम भगवान् शिव की आराधना करते हैं  वहीं शिवा की पूजा का भी विशेष महत्व है। सावन माह में आने वाली तीज माता पार्वती को ही समर्पित पूजा है। इस दिन सुहागन महिलाएं  माता पार्वती से अपने सुहाग की लम्बी आयु और परिवार की खुशहाली के लिए व्रत करती हैं।  पार्वती का तप:  पौराणिक कथानुसार माता पार्वती आदिदेव शिव से विवाह करना चाहती थी लेकिन शिव उस समय विरक्त थे। नारद मुनि ने बचपन से ही माता के अंदर शिव नाम के बीज बौ दिये थे इसलिए माता शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तप करने का निर्णय लिया।     शिव महापुराण के द्वितीय पार्वतीखंड के बाईसवें अध्याय के अनुसार माता पार्वती ने अपने राजसी वास्त्रों को त्यागकर मौंजी और मृगछाला पहनी और गंगोत्री के समीप श्रृंगी नामक तीर्थ पर शंकर जी का स्मरण कर तप करने के लिए चली। तपस्या के पहले वर्ष माता ने केवल फल का आहा...

मायके का एक्स्ट्रा थैला

मायके का एक्स्ट्रा थैला
  ऐसा मेरे साथ अक्सर होता है कि जब भी मायके जाओ तो एक बैग और आओ तो दुगुने से तिगुने बैग। ये हाल तब है जब कि मायके की दूरी घंटे भर की है। भले ही मायके कुछ घंटे के लिए जाना हो लेकिन साथ में एक झोला वापसी में न बंधे ऐसा मेरे साथ शायद ही कभी हुआ हो।  
   अपनी प्रतिदिन की व्यस्त दिनचर्या से इतर मायके में पूरा दिन कहाँ निकल गया पता ही नहीं चलता। पता तब ही चलता है जब अगले दिन या अगले पल वापसी होती है वो भी एक "एक्स्ट्रा थैले" के साथ। सच में शगुन के नाम पर ये थैले, पैकेट
या पुड़िया के रूप में ये अनुपम भेंट 'एक्स्ट्रा' नहीं अपनी खास सखी लगती है। भले ही उनमें कुछ भी हो। 
  मुझे लगता है कि ये मेरा मायके से मोह होगा या फिर माँ बाबू जी का प्रेम लेकिन हर छोटी बड़ी चीजों का जो मुझे या मेरे परिवार को पसंद हो उनका उन झोलों में साथ आना तय हो जाता है। ये फल सब्जी मिठाई भाजी या फिर कुछ भी समान जो मायके से साथ आता है उसे अन्य चाहे कोई लालच समझे या कुछ और लेकिन बेटियों के लिए ये छोटे बड़े झोले खुशियों और प्रेम के बड़े बड़े पिटारे होते हैं जो मन में अथाह संतुष्टि देते हैं और साथ ही एक उम्मीद कि चाहे स्थिति परिस्थिति कैसी भी हो बेटियों के लिए मायके के द्वार हमेशा खुले हैं। 
  सच मानों तो इनमें चाहे महंगी साड़ियां हो या एक छोटा रुमाल संतुष्टि की ओढ़नी लगती है और इनमें स्वादिष्ट मिठाईयाँ हों या मुट्ठी भर गुड़ चीनी सभी की मिठास अव्वल दर्जे की होती हैं वैसे ही मौसमी फल व सब्जी कद्दू, तोरी, बैंगन, हरी सब्जी सब बाजार में उपलब्ध होती हैं लेकिन मायके से आई फल सब्जियों का स्वाद उनसे बेहतर होगा। 
      (pic source: google) 

     ये बड़ी स्वाभाविक सी प्रक्रिया है कि मायके में जाकर हर बेटी का मन हल्का हो जाता है और वापसी में मां बाबू जी की चिंता से भारी। तभी मायके वाले सोचते होंगे कि तू यहाँ से चिंता नहीं प्रेम और आशीर्वाद लेकर जा। और सच में उन थैलों, पैकेटों या पुड़ियाओं में कुछ भी हो लेकिन उनमें बंधा माँ बाबू जी, भाई भाभियों और बहनों का स्नेह व प्रेम हमेशा रहता है। जिन्हें भला कौन छोड़ना चाहेगा!! 
एक -Naari

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