Teej Where Love Meets Devotion and Grace

Image
    तीज: सुहागनों का उत्सव (प्रेम, तप, समर्पण, श्रृंगार)       छाया: मोनिका ठाकुर, देहरादून   प्रकृति स्वयं माता पार्वती का एक रूप है इसलिए सावन माह में जहाँ हम भगवान् शिव की आराधना करते हैं  वहीं शिवा की पूजा का भी विशेष महत्व है। सावन माह में आने वाली तीज माता पार्वती को ही समर्पित पूजा है। इस दिन सुहागन महिलाएं  माता पार्वती से अपने सुहाग की लम्बी आयु और परिवार की खुशहाली के लिए व्रत करती हैं।  पार्वती का तप:  पौराणिक कथानुसार माता पार्वती आदिदेव शिव से विवाह करना चाहती थी लेकिन शिव उस समय विरक्त थे। नारद मुनि ने बचपन से ही माता के अंदर शिव नाम के बीज बौ दिये थे इसलिए माता शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तप करने का निर्णय लिया।     शिव महापुराण के द्वितीय पार्वतीखंड के बाईसवें अध्याय के अनुसार माता पार्वती ने अपने राजसी वास्त्रों को त्यागकर मौंजी और मृगछाला पहनी और गंगोत्री के समीप श्रृंगी नामक तीर्थ पर शंकर जी का स्मरण कर तप करने के लिए चली। तपस्या के पहले वर्ष माता ने केवल फल का आहा...

नेता जी का overtime

   नेता जी का overtime
     गिरती हुई बल्लियों से लगा कि आखिरकार आज तो राहत मिल जायेगी क्योंकि बल्लियों पर टंगे हुए भैय्या जब रस्सियों को खोल रहे थे तो पता चल गया कि आज राज्य के विकास की चर्चा परिचर्चा समाप्त हो चुकी है और नेता जी अब अगले विधान सभा सत्र में क्या क्या विकास के विषय होंगे, उन पर ध्यान लगाएंगे। 
    विकास का तो पता नहीं लेकिन चलो इस विधानसभा सत्र के दौरान सब नेता लोगों की राजी खुशी का पता तो चल ही जाता है। नहीं तो आम जनता को भला इस सत्र के दौरान और मिलता क्या है?? 
  अरे हाँ, ट्रैफिक जाम भी तो इसी सत्र में मिलता है। खैर! हम तो इसी में संतुष्ट हो जाते हैं कि चलो नेता जी को हमारी चिंता है इसी लिए सत्र में आते हैं लेकिन नेता जी थोड़ी सी चिंता और कर लें तो इस सत्र के दौरान होने वाले ट्रैफिक से भी हमें उबार लें। हाँ ये चिंता थोड़ी सी कष्टकारी हो सकती है लेकिन जब नेता जी जनता की सेवा के लिए ही हैं तो क्या थोड़ा सा कष्ट उठाया जा सकता है?? 

  गुस्ताखी माफ, लेकिन अगर ये सत्र रात में चले तो!!

मतलब कि वैसे तो नेता जी हमेशा ही जनता की ड्यूटी में होते हैं लेकिन सत्र के समय थोड़ा सा over time अगर कर लें तो!! तो शायद सत्र के समय लगने वाले जाम से जनता को थोड़ी राहत मिल सकती है।
   विधान सभा सत्र अगर रात में चले तो आम जनता को नेता जी के आश्वासनों के साथ साथ थोड़ी जाम से भी राहत मिल सकती है। दिन भर के काम कम से कम थोड़ी राहत से निपटाए जा सकते हैं। वैसे तो दून का ट्रैफिक बढ़ ही रहा है लेकिन सत्र के दौरान तो आम लोगों के साथ साथ पुलिस के भी धूंएं निकल जाते हैं । 
  इसलिए नेता जी अपना दिल बढ़ा करें तो आम जनता कम से कम समय से अपने ऑफिस और घर पहुंचे, या बच्चे अपने स्कूल से घर और बीमार अस्पताल। यहाँ समय का ध्यान केवल नेता जी का है ताकि नेता जी को बिना देरी किए और बिना किसी ट्रैफिक में फसें विधान सभा अपनी हाजिरी समय पर लगाने जाना है। (आम जनता की हाज़िरी जाए भाड़ में!! ऐसा तो हमारे नेता जी बिल्कुल नहीं सोचते हैं।)  
 आप भी मानते हैं न कि नेता जी को जाम की परेशानी न हो इस का ध्यान हम सभी को रखना है लेकिन साथ ही जनता की परेशानी का ध्यान नेता जी को। इसीलिए आदत डाल लो कि अगली चर्चा परिचर्चा में भी चुपचाप ट्रैफिक में रेंगते हुए जाना है और फिर जब बेरिकेडिंग खुले तो मुस्कुराते हुए नेता जी को धन्यवाद देना है। 


Pic sources: Google

एक -Naari

Comments

  1. Hahaha,,,,,that's a genuine suggestion

    ReplyDelete
  2. Neta ji to neta ji hain...common people's problems do not bother them..

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

उत्तराखंडी अनाज.....झंगोरा (Jhangora: Indian Barnyard Millet)

मेरे ब्रदर की दुल्हन (गढ़वाली विवाह के रीति रिवाज)

अहिंसा परमो धर्म: