Rainy Season: Enjoy the greenery, but stay safe बरसात: हरियाली के साथ सावधानी भी

   बरसात: हरियाली के साथ सावधानी भी





  तपती धरती पर जब बारिश की बूँदे गिरती है तभी से आशा बंध जाती है कि अब गर्मीं से राहत मिल जाएगी। रूखा सूखा मन इन बूंदों की खुशबू से ही भीग जाता है। सच में, ये बरसात ही कुछ ऐसी होती है जो केवल धरती ही नहीं अपितु हमारे मन को भी हरियाली से भर देती है। इसीलिए पेड़ पौधे, पशु पक्षी, मनुष्य सभी बरसात में खिले खिले लगते हैं। 
   अब इस मौसम में जहाँ हमें गर्मी और निराशा से निजात मिलती है वही साथ में अपने स्वास्थ्य के लिए भी लिए कई  चुनौतियाँ मिलती है क्योंकि ये बारिश पेड़ पौधे, पशु पक्षी सभी के लिए एक टॉनिक की तरह काम करती है इसीलिए इसमें केवल ये ही नहीं अपितु सूक्ष्म से सूक्ष्म जीव भी खूब फलते फूलते है। जिस कारण से बैक्टियरिया, वायरस, फंगस आदि के कारण कई रोग फैलते हैं। 


बरसात में होने वाले रोग

 वायु मे नमी, आद्रता के कारण रोगाणुओं को एक ऐसा उपयुक्त वातावरण मिलता है जिसमें ये बहुत तेजी से पनपते हैं और  जल्दी ही संक्रमित करते है। असल में यह संक्रमण काल होता है इसलिए इस समय पर हमें अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना आवश्यक है जिससे कि बरसात में होने वाले रोग या संक्रमण से बचा जा सके। बरसात के समय में मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया, हैजा, टायफ़ाइड, पीलिया, इंफ्लुंजा फ़्लू, वायरल, डीसेंट्री, वायरल कंजंक्टिवाइटिस आई फ़्लू जैसे रोग होने का खतरा बना रहता है साथ ही इस समय फंगस से होने वाले बाल एवं त्वचा रोग भी होते हैं। बालों के झड़ने के साथ, रूसी, फोड़े फुंसी की समस्या इन दिनों अधिक रहती है। त्वचा में  भी फंगल इन्फेक्शन होता है जिससे त्वचा में रेशेज, दाद, खाज से परेशानी बढ़ जाती है।




बरसात में रोगों से बचने के उपाय

1- चुंकि इस मौसम में पानी बहुत आसानी से दूषित हो जाता है इसलिए इस पानी से पेट सम्बन्धित रोग होने का खतरा बना रहता है इसलिए पीने के लिए स्वच्छ पानी मुख्यत उबले  हुए पानी का प्रयोग करें।
2- बाहर के खाने से बचे। ताजा और संतुलित आहार ही लें। बरसात में मांस एवं पत्तेदार भोजन से भी परहेज करना भी उचित रहता है। हरी सब्जियों में मिट्टी और पानी के कई छोटे कीड़े या 
सूक्ष्म जीव पनपने की संभावाना बढ़ जाती है साथ ही इस जानवरों में भी संक्रमण का खतरा बना रहता है खासकर कि इस समय पानी बहुत जल्दी दूषित हो जाता है जिससे कि मछली आदि भी दूषित हो सकती है इसलिए विशेषत: सीफ़ूड से बचना चाहिए।


3- जगह जगह पानी रुकने से मच्छरों की समस्या रहती है जिससे मच्छर जनित डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया जैसी बिमारियां का खतरा रहता है इसलिए आसपास पानी न जमा होने दे साथ ही शरीर ढकने के लिए पूरे कपड़े पहने।
4- तापमान इस समय अपने उतार चढ़ाव में रहता है जो कि फ़्लू के रोगाणुओं के प्रजनन के लिए उपयुक्त होता है इसलिए सफाई का ध्यान दे।
गर्म ठंडा होने के कारण गले और नाक की समस्या भी रहती है। ठंडा पानी गले में  खराश और टॉन्सिल की समस्या करता है। सादे पानी का सेवन करना उचित होता है। सबसे आवश्यक है
संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाना और तरल पदार्थ का सेवन अधिक करना।
4-  इस समय बाल एवं त्वचा रोग भी शिकायत बनी रहती है। इसलिए बारिश के पानी से भीगने के बाद स्नान अवश्य करें। 


5- इस समय पसीने और नमी के कारण सिर में रूसी देंड्रफ हो जाती है या फिर छोटे छोटे दाने निकल आते है इसलिए 
गीले बालों को न बांधे, बालों में  नमी न रहने दे।
6- त्वचा को भी साफ रखे। चेहरे को धोयें और दानों या किसी भी तरह के फंगस इन्फेक्शन को हाथ से न छुएं।
7- नियमित योग या व्यायाम करें, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए और किसी भी तरह के संक्रमण होने पर डॉक्टर की सलाह अवश्य ले।



बरसात के समय प्रकृति अपने यौवन के साथ  सजी धजी इठला रही होती है और नव ऊर्जा का निर्माण करती है। यह संदेश देती है कि बरसात का अर्थ जीवन की हरियाली है। इसका आनंद ले लेकिन थोड़ी सावधानी के साथ।   


एक -Naari 

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