जन्माष्टमी विशेष: कृष्ण भक्ति: प्रेम्, सुख, आनंद का प्रतीक

Image
कृष्ण भक्ति:  प्रेम्, सुख, आनंद का प्रतीक  भारत में मनाये जाने वाले विविध त्यौहार और पर्व  यहाँ की समृद्ध संस्कृति की पहचान है इसलिए भारत को पर्वों का देश कहा जाता है। वर्ष भर में समय समय पर आने वाले ये उत्सव हमें ऊर्जा से भर देते हैं। जीवन में भले ही समय कैसा भी हो लेकिन त्यौहार का समय हमारे नीरस और उदासीन जीवन को खुशियों से भर देता है। ऐसे ही जन्माष्टमी का त्यौहार एक ऐसा समय होता है जब मन प्रफुल्लित होता है और हम अपने कान्हा के जन्मोत्सव को पूरे जोश और प्रेम के साथ मनाते हैं।  नटखट कान्हा का रूप ही ऐसा है कि जिससे प्रेम होना स्वाभाविक है। उनकी लीलाएं जितनी पूजनीय है उतना ही मोहक उनका बाल रूप है। इसलिए जन्माष्टमी के पावन उत्सव में घर घर में हम कान्हा के उसी रूप का पूजन करते हैं जिससे हमें अपार सुख की अनुभूति होती है।  कान्हा का रूप ही ऐसा है जो मन को सुख और आनंद से भर देता है। कभी माखन खाते हुए, कभी जंगलों में गाय चराते हुए, कभी तिरछी कटी के साथ मुरली बजाते हुए तो कभी गोपियों के साथ हंसी ठिठोली करते हुए तो कभी शेषनाग के फन पर नृत्य करते ...

New Year.. New Resolution 2025

New Year's Resolutions 

नये साल के नये संकल्प



  जनवरी से वर्ष आरम्भ हुआ और हम चलते चलते अब वर्ष के अंतिम दिनों में भी आ गए हैं। इन बारह माह की यात्रा जब जनवरी से आरम्भ होती है तब लगता है कि अभी तो बहुत समय है लेकिन दिसंबर के आते ही मन अपने आप ही बड़बड़ाने लगता है कि "साल कब बीत गया, पता ही नही चला।" तब लगता है कि इस वर्ष का कुछ काम अभी छूट गया है और कई बार तो लगता है कि कुछ काम का तो श्री गणेश भी नहीं किया बस उन्हें करने का सोचा ही था। 
  लेकिन वर्ष के जाते जाते मन में विश्वास भी जागता है कि जो काम छूट गये हैं या अभी अधूरे है या फिर जो आरम्भ ही नही हुए, वे सभी कार्य नव वर्ष में अवश्य ही पूरे कर दिये जाएंगे।
   इसी सोच के साथ मन एक नई उड़ान भरने लगता है और हम एक बार फिर से नव् वर्ष के स्वागत की तैयारी में लग जाते है। 


  वर्ष का आरम्भ होना एक ऐसा समय होता है जब मन प्रफुल्लित होकर नई कल्पनाओं का सृजन करने लगता है। इस सकारात्मकता का अनुभव हमें अपने आस पास की नई ऊर्जा से होता है जो हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। हम इसी ऊर्जा के माध्यम से आगे बढ़ते हैँ और एक नई उमंग के साथ
आने वाले वर्ष की योजनाएं बनाने लगते हैं।

   इन्हीं योजनाओं के चलते कुछ संकल्प भी लिये जाते हैं जिन्हें पूरा करने का वादा हम सवयं से करते हैं ताकि आने वाला वर्ष पिछले वर्ष से बेहतर हो लेकिन वर्ष के प्रारम्भ में जितने जोश से इन्हें निभाया जाता है वहीं वर्ष के अंत तक आते आते ये संकल्प टूट जाते हैँ या फिर भुला दिये जाते हैं। अब कारण चाहे जो भी हो लेकिन इनके टूटने पर अगर हम अपने मन को बहलाने के लिए यह कहते हैं कि "नए साल के संकल्प तो बनते ही टूटने के लिए है" तो समझ जाइये कि लिये गए संकल्प हमारे लिए महत्त्वहीन है जिनका हमारे जीवन से किसी प्रकार का कोई सम्बन्ध नहीं है। जबकि संकल्प स्वयं को बेहतर करने के लिए और आगे बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण आधार है। संकल्प शक्ति के माध्यम से अनुशासित रहना भी सीखते हैं और मन की बाधाओं को दूर करके अपने उद्देश्य को पूरा भी कर सकते हैं। 



  सच मानिये, इन संकल्पों को पूर्ण करने के बाद (sense of achievement) अपने लक्ष्य की प्राप्ति पर हमारा आत्मविश्वास बढ़ता है। हमें स्वयं पर विश्वास होता है कि हमने जो सोचा वो करके दिखाया और इस तरह से हम अपनी सफलता का अनुभव भी करते है। अपनी क्षमताओं का आंकलन भी इसके माध्यम से हो जाता है और अपनी इच्छाशक्ति पर विश्वास भी। यहाँ तक कि किसी भी संकल्प के पूर्ण होने के साथ ही एक नये संकल्प लेने की प्रेरणा भी हमे मिलती है। 
  इसलिए अपने जीवन के छोटे बड़े लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए अपनी संकल्प शक्ति को विकसित करें। उसको पूर्ण करने की एक सीमा निर्धारित करें, पूरे वर्ष तक निभाने पर आपने कितने प्रतिशत तक अपना संकल्प पूरा किया इसका आंकलन भी करें। विचार करें कि आप कहाँ तक सफल हुए, अगर संकल्प टूटा भी तो उस स्थिति परिस्थिति को समझे और एक बार फिर से पूरा करने की ठाने।




  आइये, इस नये साल में नये संकल्प लें जो स्वयं और समाज के कल्याण के लिए हो। फिर चाहे वो शिक्षा, स्वास्थ्य, बजट, बचत, करियर, आदत, संबंध, समाज, समय, खान पान, खेलकूद, यात्रा, रहन सहन, सीखने या सिखाने इत्यादि से सम्बन्धित हो। बस अपने उद्देश्यों को निर्धारित करे और इस नये साल के स्वागत की तैयारी एक नये संकल्प के साथ करें जो भले ही छोटा हो लेकिन दृढ हो।
 


  एक- Naari


Comments

  1. Very true. I will try to fulfill new year's resolution. Wonderful piece of writing. God bless you and keep writing.

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

उत्तराखंडी अनाज.....झंगोरा (Jhangora: Indian Barnyard Millet)

मेरे ब्रदर की दुल्हन (गढ़वाली विवाह के रीति रिवाज)

अहिंसा परमो धर्म: