जंगल: बचा लो...मैं जल रहा हूं!

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जंगल: बचा लो...मैं जल रहा हूं!    इन दिनों हर कोई गर्मी से बेहाल है क्या लोग और क्या जानवर। यहां तक कि पक्षियों के लिए भी ये दिन कठिन हो रहे हैं। मैदानी क्षेत्र के लोगों को तो गर्मी और उमस के साथ लड़ाई लड़ने की आदत हो गई है लेकिन पहाड़ी क्षेत्र के जीव का क्या उन्हें गर्मी की आदत नहीं है क्योंकि गर्मियों में सूरज चाहे जितना भी तपा ले लेकिन शाम होते होते पहाड़ तो ठंडे हो ही जाते हैं। लेकिन तब क्या हाल हो जब पहाड़ ही जल रहा हो?? उस पहाड़ के जंगल जल रहे हो, वहां के औषधीय वनस्पति से लेकर जानवर तक जल रहे हों। पूरा का पूरा पारिस्थितिकी तंत्र संकट में हो!! उस पहाड़ी क्षेत्र का क्या जहां वन ही जीवन है और जब उस वन में ही आग लगी हो तो जीवन कहां बचा रह जायेगा!!      पिछले कुछ दिनों से बस ऐसी ही खबरें सुनकर डर लग रहा है क्योंकि हमारा जंगल जल रहा है। पिछले साल इसी माह के केवल पांच दिनों में ही जंगल की आग की 361 घटनाएं हो चुकी थी और इसमें लगभग 570 हेक्टेयर जंगल की भूमि का नुकसान हो चुका था। और इस साल 2022 में भी 20 अप्रैल तक 799 आग की घटनाएं सामने आ चुकी हैं जिसमें 1133 हेक्टेयर वन प्रभ

स्वदेशी खादी

स्वदेशी खादी
    नये नये कपड़े पहनने की चाह हमेशा से ही हर दिल में रहती है तभी तो चाहे कितने भी कपड़े हो लेकिन हमारे लिए हमेशा कम ही होते हैं। खासकर कि महिलाएं, जिनके पास घर में कपड़ों के ढ़ेरों विकल्प होते हैं लेकिन समय पर एक भी विकल्प नहीं भाता!! आज बाजार में रंग, फैब्रिक, डिजाइन सब तरह के विकल्प उपलब्ध हैं इसीलिए तो वस्त्र उद्योग आज चरम पर है। 
   2800 ईसा पूर्व से ही वस्त्रों के विकास की जो झलक सिंधू घाटी सभ्यता से मिली उसने यह सिद्ध कर दिया कि वस्त्र उद्योग भारत के प्राचीन उद्योगों में से एक है। धीरे धीरे समय बीतता गया और तकनीकी ज्ञान के साथ वस्त्र उद्योग भी आगे बढ़ता गया। 
  भले ही तकनीक और अपने प्रयोगों से तरह तरह के कपड़े बन रहे हैं लेकिन आज भी हाथ से बने हुए कपड़ों का अपना एक विशिष्ट स्थान है। जैसे कि खादी। खादी एक ऐसा स्वदेशी वस्त्र है जो हाथ से कते हुए सूत से बनाया जाता है और जो हमें भारतीयता से जोड़ता है। जिस समय भारत अपनी आजादी के लिए लड़ रहा था। उस समय खादी एक आंदोलन की तरह उभरा जो पूरे भारत में एकता की मिसाल की तरह फैल गया। महात्मा गाँधी जी ने देश को खादी के समूह में जोड़ा और इन समूहों को क्रांति से।  और इस तरह से एक चरखे के माध्यम से आत्मनिर्भरता का संदेश दिया। इसीलिए तो खादी केवल एक वस्त्र ही नहीं है अपितु देशप्रेम, सत्य, अहिंसा और आत्मनिर्भरता का एक भाव भी है। 
  अब इसका अर्थ केवल यह नहीं है कि खादी स्वतंत्रता संग्राम के दिनों का वस्त्र है तो यह केवल नेता लोगों के लिए बना है या फिर केवल सरकारी लोगों के लिए या फिर ये केवल किसी पुराने जमाने के लोगों के लिए है। खादी आज के समय के हिसाब से भी एकदम उत्तम वस्त्र है। अब यह केवल मोटा खद्दर नहीं है आज इसके तरह तरह के विकल्प भी बाजार में उपलब्ध हैं। अब खादी केवल सफेद रंग में ही नहीं अपितु सुंदर सुंदर रंग और डिजाइन के विकल्प में भी हमें मिलती है। साथ ही गाँधी जयंती 2 अक्टूबर पर जगह जगह खादी उत्सव या खादी मेले भी लगते हैं जहाँ से हम हाथ से बने हुए इन सुंदर खादी वस्त्रों को ले सकते हैं। महिलाओं को तो विशेषकर ये स्टॉल बहुत आकर्षित करते हैं क्योंकि इनमें हैंडलूम साड़ियों की भरमार होती है। यहाँ उनकी मनपसंद खादी कांचीवरम, बाटिक खादी सिल्क, खादी कॉटन सिल्क, कलमकारी खादी सिल्क आदि साड़ियों की विविधताएं मिलती हैं साथ ही पुरुषों के लिए भी कुर्ता, जैकेट, कोट आदि भी उपलब्ध रहते है और घर के उपयोग का समान भी। हालांकि खादी एक किफ़ायती वस्त्र है लेकिन आज के फैशन डिमांड और सभ्यता के अनूसार हाथ के बने वस्त्रों का मूल्य तो थोड़ा अधिक होगा ही। गाँधी आश्रम में तो वर्षभर उच्च श्रेणी के सूती, रेशम और ऊनी वस्त्र मिलते हैं तो 
इस 2 अक्टूबर, गाँधी जयंती और लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती पर उन्हें नमन करें और उनके मंत्र स्वदेशी अपनाओ का पाठ भी याद करें क्योंकि वे मानते थे कि देश की समृद्धि के लिए आत्म निर्भर बनना आवश्यक है।  इसलिए अपने जीवन में स्वदेशी खादी एवं स्वदेशी वस्तुओं को प्रथम स्थान दें। 

खादी की विशेषता:
1- खादी एक किफ़ायती, टिकाऊ और मजबूत कपड़ा है। 
2- खादी मौसम के अनुकूल होता है। सर्दियों में गर्म और गर्मियों में ठंडा। 
3- ये एक प्राकृतिक कपड़ा है तो त्वचा के लिए भी खादी उपयुक्त है। 
4- पर्यावरण के लिए भी उपयुक्त है खादी क्योंकि ये रासायनिक प्रक्रिया के बिना बनते हैं। 
5- खादी एक स्वदेशी कपड़ा है तो गर्व की भावना भी हमेशा रहती है। 
   

गांधी जी कहते थे कि “खादी के कपड़े पहनना न सिर्फ अपने देश के प्रति प्रेम और भक्ति-भाव दिखाना है बल्कि कुछ ऐसा पहनना भी है, जो भारतीयों की एकता दर्शाता है।”



एक -Naari




Comments

  1. खादी की महत्वता बताने के लिए और खादी के प्रति लगाव के लिए लेखिका का धन्यवाद गांधी जयंती के उपलक्ष में खादी का उल्लेख करके सच्ची श्रद्धांजलि दी है लेखिका को तहे दिल से धन्यवाद।

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  2. Interesting post...will buy a new khadi

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