जंगल: बचा लो...मैं जल रहा हूं!

Image
जंगल: बचा लो...मैं जल रहा हूं!    इन दिनों हर कोई गर्मी से बेहाल है क्या लोग और क्या जानवर। यहां तक कि पक्षियों के लिए भी ये दिन कठिन हो रहे हैं। मैदानी क्षेत्र के लोगों को तो गर्मी और उमस के साथ लड़ाई लड़ने की आदत हो गई है लेकिन पहाड़ी क्षेत्र के जीव का क्या उन्हें गर्मी की आदत नहीं है क्योंकि गर्मियों में सूरज चाहे जितना भी तपा ले लेकिन शाम होते होते पहाड़ तो ठंडे हो ही जाते हैं। लेकिन तब क्या हाल हो जब पहाड़ ही जल रहा हो?? उस पहाड़ के जंगल जल रहे हो, वहां के औषधीय वनस्पति से लेकर जानवर तक जल रहे हों। पूरा का पूरा पारिस्थितिकी तंत्र संकट में हो!! उस पहाड़ी क्षेत्र का क्या जहां वन ही जीवन है और जब उस वन में ही आग लगी हो तो जीवन कहां बचा रह जायेगा!!      पिछले कुछ दिनों से बस ऐसी ही खबरें सुनकर डर लग रहा है क्योंकि हमारा जंगल जल रहा है। पिछले साल इसी माह के केवल पांच दिनों में ही जंगल की आग की 361 घटनाएं हो चुकी थी और इसमें लगभग 570 हेक्टेयर जंगल की भूमि का नुकसान हो चुका था। और इस साल 2022 में भी 20 अप्रैल तक 799 आग की घटनाएं सामने आ चुकी हैं जिसमें 1133 हेक्टेयर वन प्रभ

एक छोटा सा ब्रेक

 एक छोटा सा ब्रेक

   ऑफिस हो या घर दिन भर किसी न किसी काम के चलते शरीर और मन कई बार टूट जाता है ऐसे में अपने व्यस्त जीवन शैली से "एक छोटा सा ब्रेक" हमें एक नई ऊर्जा से भर देता है। 
  घर से बाहर छुट्टी बिताना हमेशा से ही मन मस्तिष्क को तरोताज़ा करता है और अगर हम यही समय प्रकृति के साथ गुज़ारे तो सकारात्मक प्रभाव आप स्वयं ही जान सकते हैं। भले ही यह समय केवल कुछ घंटों का हो या एक-दो दिन का लेकिन यह समय अपनी थकान को दूर करने के लिए उपयुक्त होता है। और अब तो बच्चों की गर्मियों की छुट्टियां भी दो चार दिन की ही बाकी हैं इसलिए जो लोग अभी भी छुट्टी मनाने घर से बाहर नहीं निकले हैं तो इसी बहाने से निकल जाइये। चाहे किसी अपनों से मिलने या फिर किसी जगह को देखने। यकीन मानिए ये "छोटा सा ब्रेक" आपकी भागती दौड़ती दिनचर्या को थोड़ी देर के लिए पॉज (रोक) तो करेगा लेकिन आगे बढ़ने की गति को भी अवश्य बढ़ा देगा। 

छुट्टियों में घर से बाहर घूमने के लाभ: 

1- तनाव कम करने के लिए: तनाव कम करने का सबसे अच्छा उपाय पैदल चलना है। वो भी "नैचर वॉक" प्रकृति के साथ की गई पैदल यात्रा तनाव को दूर रखती है इसीलिए कहा जाता है कि 15 पार्क में ही मिनट की वॉक मन और शरीर दोनों के लिए लाभकारी है। घूमने से हमें खुशी मिलती है, हमारा मन प्रसन्न रहता है, नींद अच्छी आती है जिससे बढ़ा हुआ स्ट्रेस हार्मोन कॉर्टिसोल कम होता है और हम तनाव, अवसाद, मानसिक थकान से दूर रहते है।
2- रचनात्मक विकास के लिए: घूमने से रचनात्मक विकास भी संभव हैं क्योंकि हमें समय मिलता है प्रकृति को देखने का, जानने का और समझने का। क्योंकि अब हमारा मस्तिष्क किसी भी वर्चुअल दुनिया में नहीं होगा। सोशल मीडिया और गैजेट से कुछ पलों की दूरी भी मस्तिष्क को गतिशील बनाती है परिणामस्वरूप हम अधिक रचनात्मक (creative) हो सकते हैं। 
3- शारीरिक लाभ के लिए: घूमना केवल मन मस्तिष्क को ही स्वस्थ नहीं रखता अपितु शरीर को भी स्वस्थ रखता है।जगह जगह मौसम की प्रकृति बदलती है जिससे हमारा शरीर भी अपने को अनुकूल बनाता है। प्रकृति के साथ घूमना ह्रदय संबंधी रक्तचाप को नियंत्रित करने के साथ साथ निकट दृष्टिदोष (मायोपिआ) को कम करता है और प्रतिरक्षा प्रणाली को भी मजबूत करता है। तभी कहा जाता है कि सुबह पार्क की सैर करनी चाहिए। (एक अध्ययन के अनुसार, जो लोग अधिक यात्रा करते हैं, उनमें हार्ट अटैक या अन्य बीमारियों के होने की संभावना बहुत कम होती है।) 
4- सामाजिक विकास के लिए: सामाजिक विकास के लिए भी घर से बाहर घूमना जरूरी है। क्योंकि अपनी यात्रा के दौरान हम वहाँ के स्थानीय लोग और वहाँ की संस्कृति से जुड़ते हैं जिससे एक दूसरे के साथ पारस्परिक संबंध अच्छे होते हैं और सामाजिक विकास होता है। ठीक इसी तरह से परिवार सहित की गई यात्रा पारिवारिक संबंधों को और भी मजबूत करती है क्योंकि परिवार खुले मन से संचार करता है और ऐसे में हम लोग भावनात्मक रूप से एक दूसरे के साथ जुड़ते हैं और परिवार एकजुट होता है। विशेषकर बच्चें इस यात्राओं से बहुत कुछ सीखते हैं। 
5- एक जिम्मेदार और जागरूक नागरिक बनने के लिए: जीवन की दौड़ में प्रकृति माँ की गोद थकान को दूर तो करती है लेकिन एक जिम्मेदार नागरिक बनने का भी बोध कराती है। हम सकारात्मक सोच की ओर बढ़ते हैं। 
   प्रकृति हमें पर्यावरण और पूरे परिस्थितिकी तंत्र के प्रति संवेदनशील बनाती है, हमें सिखाती है जिससे कि हम प्राकृतिक एवं सांस्‍कृतिक धरोहर के प्रति जिम्मेदार बनते हैं। (ये अलग बात है कि कुछ लोग अपनी यात्रा को फूहड़, असभ्य और गैर जिम्मेदाराना बनाकर स्थान को दूषित करते हैं। शायद वो भूल जाते हैं कि इस प्रकार की यात्रा अन्य के लिए और अगली बार स्वयं के लिए भी सुखद नहीं रहेगी। इसीलिए जिम्मेदारी के साथ यात्रा करें।) 

अब कुछ लोग तो एक छोटा सा ब्रेक लेकर मन मस्तिष्क और शरीर से हल्का अनुभव कर रहे हैं लेकिन अभी भी कुछ लोग अपनी व्यस्तता के चलते तनाव में हैं। उन्हीं के लिए आवश्यक है कि वे भी एक ब्रेक लें और बाहर घूमने जाएं और संपूर्ण लाभ लें लेकिन एक जागरूक और जिम्मेदार नागरिक की तरह। 


एक -Naari

Comments

  1. प्रेरणा देने के लिए धन्यवाद

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

उत्तराखंडी अनाज.....झंगोरा (Jhangora: Indian Barnyard Millet)

उत्तराखंड का मंडुआ/ कोदा/ क्वादु/ चुन

मेरे ब्रदर की दुल्हन (गढ़वाली विवाह के रीति रिवाज)