नव वर्ष की तैयारी, मानसिक दृढ़ता के साथ

Image
नव वर्ष में नव संकल्प: मानसिक दृढ़ता New Year's Resolutions: Mental Strength/Resilience   यह साल जितनी तेजी से गुजरा उतनी ही तेजी के साथ नया साल आ रहा है। ऐसा लग रहा है कि एक साल तो जैसे एक दिन की तरह गुजर गया। मानो कल की ही तो बात थी और आज एक वर्ष भी बीत गया!   हर वर्ष की भांति इस वर्ष के अंतिम दिनों में हम यही कहते हैं कि 'साल कब गुजरा कुछ पता ही नहीं चला' लेकिन असल में अगर हम अपने को थोड़ा सा समय देकर साल के बीते दिनों पर नजर डालें तो तब हम समझ पाएंगे कि सच में इस एक वर्ष में बहुत कुछ हुआ बस हम पीछे को भुलाकर समय के साथ आगे बढ़ जाते हैं।    इस वर्ष भी सभी के अपने अलग अलग अनुभव रहे। किसी के लिए यह वर्ष सुखद था तो किसी के लिए यह वर्ष दुखों का सैलाब लेकर आया। सत्य भी है कि इस वर्ष का आरंभ प्रयागराज के महाकुंभ से हुआ जहां की पावन डुबकी से मन तृप्त हो गया था तो वहीं प्राकृतिक आपदाओं और आतंकी घटनाओं से मन विचलित भी था। इस वर्ष की ऐसी हृदय विदारक घटनाओं से मन भय और शंकाओं से घिरकर दुखी होने लगता है लेकिन आने वाले वर्ष की मंगल कामनाओं के लिए मन को मनाना ...

एक छोटा सा ब्रेक

 एक छोटा सा ब्रेक

   ऑफिस हो या घर दिन भर किसी न किसी काम के चलते शरीर और मन कई बार टूट जाता है ऐसे में अपने व्यस्त जीवन शैली से "एक छोटा सा ब्रेक" हमें एक नई ऊर्जा से भर देता है। 
  घर से बाहर छुट्टी बिताना हमेशा से ही मन मस्तिष्क को तरोताज़ा करता है और अगर हम यही समय प्रकृति के साथ गुज़ारे तो सकारात्मक प्रभाव आप स्वयं ही जान सकते हैं। भले ही यह समय केवल कुछ घंटों का हो या एक-दो दिन का लेकिन यह समय अपनी थकान को दूर करने के लिए उपयुक्त होता है। और अब तो बच्चों की गर्मियों की छुट्टियां भी दो चार दिन की ही बाकी हैं इसलिए जो लोग अभी भी छुट्टी मनाने घर से बाहर नहीं निकले हैं तो इसी बहाने से निकल जाइये। चाहे किसी अपनों से मिलने या फिर किसी जगह को देखने। यकीन मानिए ये "छोटा सा ब्रेक" आपकी भागती दौड़ती दिनचर्या को थोड़ी देर के लिए पॉज (रोक) तो करेगा लेकिन आगे बढ़ने की गति को भी अवश्य बढ़ा देगा। 

छुट्टियों में घर से बाहर घूमने के लाभ: 

1- तनाव कम करने के लिए: तनाव कम करने का सबसे अच्छा उपाय पैदल चलना है। वो भी "नैचर वॉक" प्रकृति के साथ की गई पैदल यात्रा तनाव को दूर रखती है इसीलिए कहा जाता है कि 15 पार्क में ही मिनट की वॉक मन और शरीर दोनों के लिए लाभकारी है। घूमने से हमें खुशी मिलती है, हमारा मन प्रसन्न रहता है, नींद अच्छी आती है जिससे बढ़ा हुआ स्ट्रेस हार्मोन कॉर्टिसोल कम होता है और हम तनाव, अवसाद, मानसिक थकान से दूर रहते है।
2- रचनात्मक विकास के लिए: घूमने से रचनात्मक विकास भी संभव हैं क्योंकि हमें समय मिलता है प्रकृति को देखने का, जानने का और समझने का। क्योंकि अब हमारा मस्तिष्क किसी भी वर्चुअल दुनिया में नहीं होगा। सोशल मीडिया और गैजेट से कुछ पलों की दूरी भी मस्तिष्क को गतिशील बनाती है परिणामस्वरूप हम अधिक रचनात्मक (creative) हो सकते हैं। 
3- शारीरिक लाभ के लिए: घूमना केवल मन मस्तिष्क को ही स्वस्थ नहीं रखता अपितु शरीर को भी स्वस्थ रखता है।जगह जगह मौसम की प्रकृति बदलती है जिससे हमारा शरीर भी अपने को अनुकूल बनाता है। प्रकृति के साथ घूमना ह्रदय संबंधी रक्तचाप को नियंत्रित करने के साथ साथ निकट दृष्टिदोष (मायोपिआ) को कम करता है और प्रतिरक्षा प्रणाली को भी मजबूत करता है। तभी कहा जाता है कि सुबह पार्क की सैर करनी चाहिए। (एक अध्ययन के अनुसार, जो लोग अधिक यात्रा करते हैं, उनमें हार्ट अटैक या अन्य बीमारियों के होने की संभावना बहुत कम होती है।) 
4- सामाजिक विकास के लिए: सामाजिक विकास के लिए भी घर से बाहर घूमना जरूरी है। क्योंकि अपनी यात्रा के दौरान हम वहाँ के स्थानीय लोग और वहाँ की संस्कृति से जुड़ते हैं जिससे एक दूसरे के साथ पारस्परिक संबंध अच्छे होते हैं और सामाजिक विकास होता है। ठीक इसी तरह से परिवार सहित की गई यात्रा पारिवारिक संबंधों को और भी मजबूत करती है क्योंकि परिवार खुले मन से संचार करता है और ऐसे में हम लोग भावनात्मक रूप से एक दूसरे के साथ जुड़ते हैं और परिवार एकजुट होता है। विशेषकर बच्चें इस यात्राओं से बहुत कुछ सीखते हैं। 
5- एक जिम्मेदार और जागरूक नागरिक बनने के लिए: जीवन की दौड़ में प्रकृति माँ की गोद थकान को दूर तो करती है लेकिन एक जिम्मेदार नागरिक बनने का भी बोध कराती है। हम सकारात्मक सोच की ओर बढ़ते हैं। 
   प्रकृति हमें पर्यावरण और पूरे परिस्थितिकी तंत्र के प्रति संवेदनशील बनाती है, हमें सिखाती है जिससे कि हम प्राकृतिक एवं सांस्‍कृतिक धरोहर के प्रति जिम्मेदार बनते हैं। (ये अलग बात है कि कुछ लोग अपनी यात्रा को फूहड़, असभ्य और गैर जिम्मेदाराना बनाकर स्थान को दूषित करते हैं। शायद वो भूल जाते हैं कि इस प्रकार की यात्रा अन्य के लिए और अगली बार स्वयं के लिए भी सुखद नहीं रहेगी। इसीलिए जिम्मेदारी के साथ यात्रा करें।) 

अब कुछ लोग तो एक छोटा सा ब्रेक लेकर मन मस्तिष्क और शरीर से हल्का अनुभव कर रहे हैं लेकिन अभी भी कुछ लोग अपनी व्यस्तता के चलते तनाव में हैं। उन्हीं के लिए आवश्यक है कि वे भी एक ब्रेक लें और बाहर घूमने जाएं और संपूर्ण लाभ लें लेकिन एक जागरूक और जिम्मेदार नागरिक की तरह। 


एक -Naari

Comments

  1. प्रेरणा देने के लिए धन्यवाद

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

मेरे ब्रदर की दुल्हन (गढ़वाली विवाह के रीति रिवाज)

उत्तराखंडी अनाज.....झंगोरा (Jhangora: Indian Barnyard Millet)

अहिंसा परमो धर्म: