चैत्र माह: शुभता और ऊर्जा के साथ स्वास्थ्य का ध्यान
हम लोग वर्ष का सबसे पहला पर्व खिचड़ी समझते है और उसके बाद सबसे बड़ा त्यौहार होली को मानते हैं लेकिन हिंदू कैलेंडर यानी कि पंचांग के अनुसार हिंदू वर्ष का सबसे अंतिम पर्व होली है। होली के बाद ही हम नव माह में प्रवेश कर जाते हैं।
होली का त्यौहार जा चुका है यानी कि सर्दियों को विदा कर अब ग्रीष्म काल का स्वागत हो रहा है। हिंदू पंचांग में फाल्गुन मास का अंत हो चुका है और हिंदू नव वर्ष का प्रथम माह, अर्थात चैत्र माह का आरंभ हो चुका है। ये मानिए कि मार्च और अप्रैल का आरंभ का समय चैत्र माह का काल है।
चैत्र मास का महत्व
इस मास का हिंदू धर्म में बड़ा महत्व है क्योंकि यह हिंदू नव वर्ष का प्रथम माह तो है ही साथ ही साथ गुड़ी पड़वा, चैत्र नवरात्रि, रामनवमी जैसे बड़े व्रत त्यौहार भी लाता है जो कि शुभता और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
हमारी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को हम नव वर्ष के रूप में मनाते हैं। भारतीय संस्कृति और सभ्यता के अनुसार यह माह बहुत ही महत्व रखता है। जैसे कि...
चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन भगवान श्री ब्रह्मा जी ने इस सृष्टि की रचना आरंभ कर दी थी।
यह भी माना जाता है कि भगवान विष्णु जी ने अपने प्रथम अवतार मतस्य के रूप में लेकर प्रथम पुरुष मनु को जलप्रलय से बचाया था। और उसके बाद ही मनु ने पृथ्वी पर जीवन का आरंभ किया था।
माता दुर्गा ने भी इसी माह में अपने नौ रूपों का दर्शन दिया था और भगवान राम के जन्म भी इसी माह को राम नवमी के रूप में मानाया जाता है।
चैत्र मास में स्वास्थ्य की देखभाल...
चैत्र काल को ऋतुओं का संधिकाल भी माना जाता है। सर्दियों से अब हम गर्मियों में प्रवेश कर रहे होते हैं इसलिए चैत्र माह को संवेदनशील माह माना गया है। इस माह में रोग पैदा करने वाले अति सूक्ष्म जीव जैसे कीटाणु और वायरस अधिक सक्रिय अवस्था में रहते हैं। साथ ही दिन दोपहर में अधिक गर्मी तो रात दिन की अपेक्षा शीतल होती है। ऐसे प्रतिकूल मौसम में स्वास्थ्य पर ध्यान देना आवश्यक है नहीं तो सर्दी खाँसी जैसा सामान्य रोग भी शरीर पर भारी पड़ जाता है। साथ ही यह व्रत और त्यौहार का समय है इसलिए पाचन संबंधी समस्याएं भी बनी रहती हैं इसलिए ध्यान दे...
- मौसम में गर्मी के आगमन से आहार में अन्न का सेवन थोड़ा कम करें और पानी की मात्रा बढ़ा दे।
- दुरुस्त पाचन के लिए अधिक घी तेल या मसालेदार खाने से परहेज करे।
- गुड़ का सेवन कम या बंद कर दे क्योंकि गुड़ की तासीर गर्म होती है।
- गर्म दूध के स्थान पर गुनगुने दूध का सेवन करे साथ ही सादे दूध के स्थान पर मिश्री या शक्कर के साथ प्रयोग करें।
- रोग प्रतिरोध क्षमता के लिए चैत्र माह में सुबह खाली पेट नीम की 3-4 कोमल पत्तियाँ भी खाने को कहा जाता है। जिससे की शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता विकसित हो।
- बासी खाने से दूरी बनाए और मौसमी ताजी फल सब्जियों का सेवन करें।
- चैत्र माह में भुना या भीगा चना खाने से भी स्वास्थ्य में लाभ होता है। इसके सेवन से रक्त संचार संतुलित रहता है और रक्त में शर्करा की मात्रा भी सही रहती है।
- इस समय त्वचा पर भी शुष्कता आने लगती है जिससे की होंठ और नाक के आस पास की जगह शुष्क और पपड़ीदार हो जाती है इसलिए किसी भी रासायनिक साबुन या सौंदर्य प्रसाधन से बचना चाहिए । त्वचा की नमी बनाए रखने के लिए प्राकृतिक या घरेलू नुस्खे जैसे, दूध, हल्दी, शहद, गुलाबजल आदि अपनाने चाहिए।
- बालों की देखभाल की उतनी ही आवश्यक है इसलिए बालों की शुष्कता और डैंड्रफ से निजात पाने के लिए प्राकृतिक और हर्बल उत्पाद का ही प्रयोग करें।
चैत्र माह सभी के लिए शुभ, स्वस्थ और ऊर्जा से भरपूर हो इसी मंगल कामना के साथ. .. चैत्र माह की शुभकामनाएं!!
एक -Naari
Good.....
ReplyDeleteVery good and informative article keep on sharing this kind of good articles
ReplyDeleteNicely explained our Hindu calender and the importance of festivals.
ReplyDeleteHello spring.... nicely written
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