थोड़ा कुमाऊँ घूम आते हैं...भाग-2

Image
थोड़ा कुमाऊँ घूम आते हैं...भाग- 2   पिछले लेख में हम हरिद्वार स्थित चंडी देवी के दर्शन करके आगे बढ़ रहे थे यानी कि उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल से अब कुमाऊँ मंडल की सीमाओं में प्रवेश कर रहे थे बता दें कि उत्तराखंड के इस एक मंडल को दूसरे से जोड़ने के लिए बीच में उत्तर प्रदेश की सीमाओं को भी छूना पड़ता है इसलिए आपको अपने आप बोली भाषा या भूगोल या वातावरण की विविधताओं का ज्ञान होता रहेगा।     कुमाऊँ में अल्मोडा, नैनीताल, रानीखेत, मुक्तेश्वर, काशीपुर, रुद्रपुर, पिथौरागढ, पंत नगर, हल्दवानी जैसे बहुत से प्रसिद्ध स्थान हैं लेकिन इस बार हम केवल नैनीताल नगर और नैनीताल जिले में स्थित बाबा नीम करौली के दर्शन करेंगे और साथ ही जिम कार्बेट की सफ़ारी का अनुभव लेंगे।   225 किलोमीटर का सफर हमें लगभग पांच से साढ़े पांच घंटों में पूरा करना था जिसमें दो बच्चों के साथ दो ब्रेक लेने ही थे। अब जैसे जैसे हम आगे बढ़ रहे थे वैसे वैसे बच्चे भी अपनी आपसी खींचतान में थोड़ा ढ़ीले पड़ रहे थे। इसलिए बच्चों की खींचतान से राहत मिलते ही कभी कभी मैं पुरानी यादों के सफर में भी घूम रही थी।     कुमाऊँ की मेरी ये तीसर

5 सितंबर.. शिक्षक दिवस (Teachers Day)" मैं बड़ा होकर शिक्षक बनूंगा!!"

5 सितंबर.. शिक्षक दिवस (Teachers Day)
" मैं बड़ा होकर शिक्षक बनूंगा!!"
  "मैं बड़ा होकर एक शिक्षक बनूंगा।" ऐसा आजकल बहुत कम ही सुनने को मिलता है।क्या आपने भी ऐसा किसी बच्चे के मुंह से सुना है कि वह बड़ा होकर एक शिक्षक बनना चाहता है?? शायद नहीं। आज हर बच्चे को डॉक्टर बनना है, इंजीनियर बनना है, पायलट बनना है, वकील बनना है, सैनिक बनना है, बैंकर बनना है, अफसर बनना है लेकिन शिक्षक नहीं!! और अगर किसी बच्चे को बनना भी है तो वो भी केवल किसी शिक्षक के प्रति मोह होगा जो कुछ समय के बाद गायब हो जाता है। उस बच्चे को अक्षर ज्ञान कराने वाले सबसे पहले एक शिक्षक ही होता है पर ऐसा क्यों है कि उसे अब शिक्षक नहीं बनना होता। शायद उसे शिक्षक की नौकरी में किसी प्रकार का आकर्षण नहीं लगता या घर परिवार की मंशा अन्य क्षेत्रों में जाने की हो या फिर आजकल के शिक्षकों की स्थिति ऐसी है कि कोई बच्चा भविष्य में शिक्षक बनने की कल्पना करना ही नहीं चाहता। या फिर आज का विद्यार्थी और आज का शिक्षक दोनों बस अंकों के फेर तक ही सीमित हो चुके हैं इसीलिए कुछ कल्पना परिकल्पना से दूर ही हैं।
      आज के समय में लगता है कि शिक्षक बनना एक ऐसा विकल्प है जिसे लोग अपने जीवन में सबसे पीछे रखते हैं। यही बच्चे जब बड़े होते हैं तो कुछ इन पदों में आसीन मिलते हैं और बाकी अन्य विकल्प आजमाने के बाद आखिर में एक शिक्षक ही बन जाते हैं। ऐसा शायद इसलिए होता है क्योंकि उन्हें लगता है कि शिक्षक बनना तो सबसे आसान है जब कुछ नहीं होगा तो एक शिक्षक तो बना ही जा सकता है क्योंकि उस विषय का थोड़ा ज्ञान तो है और साथ ही जब से सरकारी अध्यापक का मानदेय बढ़ा है तब से पढ़ाना भी एक काम बन ही गया है जबकि वे भूल जाते हैं कि विषय पढ़ाना और एक शिक्षक होना दोनों अलग बात है। 

शिक्षक बनना एक तप के बराबर है।
शिक्षक के गुण (Qualities of a Teacher)
    शिक्षक बनना आसान नहीं है, शिक्षा देने की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है जहां आप सिर्फ किताबी या तकनीकी ज्ञान या शिक्षा ही प्रदान नहीं होता अपितु सामाजिक शिक्षा का भी ध्यान देते हैं। इसलिए शिक्षक बनना एक तप ही है क्योंकि एक साधारण व्यक्ति को बहुत से गुणों का समावेश करके अपने व्यक्तित्व का निर्माण करना होता है।
      पढ़ाने के लिए तो केवल शैक्षिक योग्यता, विषय का ज्ञान और कुशल अभिव्यक्ति ही बहुत होती है लेकिन जब बात आती है एक कुशल शिक्षक की तो उसे हम एक ऐसा व्यक्ति मानते है जो जाति, धर्म, रंग वर्ण के भेदभाव से परे होता है, जो श्रेष्ठ चरित्रवान होता जिसे आदर्श माना जाता है।      
      शिक्षक ऐसा उत्साही होता है जिसे देखकर विद्यार्थी स्वयं उत्साही हो। एक शिक्षक शिक्षण की विधियां या अपनी शिक्षण शैली से विषय तो रोचक बनाता ही है लेकिन अपने जीवन के अनुभव का पाठ भी पढ़ाता है। उच्च मूल्यांकन क्षमता तो होती ही है साथ ही चाहे वेशभूषा हो या फिर स्वास्थ्य, नेतृत्व क्षमता हो या सहयोग भावना या स्पष्ट भाषा ज्ञान एक शिक्षक हर गुण में आदर्श होता है। क्योंकि ये माना जाता है कि भले ही संस्कार का जिम्मा घर परिवार को और शिक्षा की जिम्मेदारी शिक्षक को दे दी जाती है लेकिन एक शिक्षक के ऊपर इन गुण और सभ्यता की जिम्मेदारी भी होती है ताकि ऐसे ही गुण आगे चलकर बच्चे के अंदर भी विकसित हों।
।     चलचित्र सौंजन्य गूगल

शिक्षक दिवस है तो डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को ही याद किया जा रहा है और उन्होंने ही कहीं लिखा भी है कि “समाज में अध्यापक का स्थान अत्यन महत्त्वपूर्ण है। वह एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को बौद्धिक परम्पराएँ और तकनीकी कौशल पहुंचाने का केन्द्र है और सभ्यता के प्रकाश को प्रज्जवलित रखने में सहायता देता है।”

पहले जैसे शिक्षक कहां मिलते हैं!!
  आज कई बार लोगों के मुंह से सुनने को मिल जाता है कि अब पहले जैसे शिक्षक नहीं है पर देखा जाए तो अब समय भी तो बदल गया है और इस बदलाव के साथ सभी के तौर तरीके और विचार भी बदल गए हैं। पहले तो गुरुजी की बेंत भी खाते थे और पढ़ते भी थे वो भी बिना किसी परिवार के हस्तक्षेप किए क्योंकि बच्चे का पढ़ना और आगे बढ़ना भी गुरुजी की ही जिम्मेदारी होती थी। पहले अपने गुरुजी के प्रति डर भी था और सम्मान भी लेकिन अब न तो वैसा समय है न ही ऐसा वातावरण। केवल अब विद्यार्थी अंकों के फेर में उलझा है और शिक्षक अपने पाठ्यक्रम को पूरा करने के। इसलिए समय के साथ आगे बढ़ने पर न तो विद्यार्थी पहले जैसा है और न ही शिक्षक पहले जैसा है।लेकिन फिर भी आज भी कई ऐसे अध्यापक या शिक्षक हैं जो आज भी बिना किसी स्वार्थ बच्चों का भविष्य संवार रहे हैं।
   लेकिन फिर भी यह तो मानना ही पड़ेगा समय चाहे जो भी हो लेकिन एक विद्यार्थी के बिना शिक्षक तो शिक्षक ही रहता है लेकिन एक शिक्षक के बिना विद्यार्थी का कोई अस्तित्व नहीं है क्योंकि गुरु के बिना ज्ञान नहीं है।

धन्यवाद का दिन,, 5 सितंबर (Big Thanks to all Teachers)
    इसीलिए वर्ष का एक दिन ऐसा भी है जिसे सुनकर ही सबसे पहले ध्यान में आता है शिक्षक दिवस का। भारत के पहले उपराष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस को शिक्षक दिवस के रूप में पूरे भारत में 5 सितंबर 1962 से मनाया जा रहा है। अन्य दिनों का तो पता नहीं लेकिन इस दिन तो वे लोग भी अपने विद्यालय को याद करते हैं जिन्होंने बरसों पहले छात्र जीवन को अलविदा कह दिया था। इस दिन लोग अपने विद्यालय की यादों में खो जाते हैं और अपने प्रिय शिक्षक को याद करते हैं और जो अभी भी विद्यार्थी हैं वे अपने शिक्षकों को शुभकामनाएं एवं धन्यवाद दे रहे होते हैं। हालांकि विश्व में शिक्षकों के लिए 5 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक दिवस के रूप में घोषित किया है लेकिन बहुत से देश अपने हिसाब से शिक्षक दिवस मनाते हैं। चाहे शिक्षक दिवस की तिथि किसी भी देश में कोई भी हो लेकिन उद्देश्य सबका शिक्षकों के प्रति सम्मान ही है। इसलिए 
   5 सितंबर, शिक्षक दिवस पर अपने जीवन के सभी गुरुजनों का धन्यवाद दें, वंदन करें और उनका आभार करें।

एक - Naari

Comments

  1. Very relatable to today's context ....मन की बात कह दी तुमने.....
    Neelam Thapliyal

    ReplyDelete
  2. Happy Teachers Day... Life mei bahut se teacher milte hai lekin har shikshak kuch n kuch to sikhata hi hai.. isliye sabhi Teachers ke liye... Thanks

    ReplyDelete
  3. Very nice 👍.... Really heart' touching... Koi bhi ek shikshak nahi banana chahta ... Hum bhi nahi banana chahte the but kuch time ke liye hi sahi yahi koi 8 9 mahine but humne bhi ek shikshak ki bhumika nibhai hai

    ReplyDelete
  4. Sahi baat likhi hai aapne... Today's Reality.. Nobody wants to become a teacher. But we should always thanks to our teacher. Happy Teachers Day..

    ReplyDelete
  5. True words and also compel us to think that still the impact the teacher have on students is etched for life.

    ReplyDelete
  6. 🌹🌺🌸🙏 जय श्री माता जी🙏🌸🌺🌹 Happy teachers day

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

उत्तराखंडी अनाज.....झंगोरा (Jhangora: Indian Barnyard Millet)

उत्तराखंड का मंडुआ/ कोदा/ क्वादु/ चुन

मेरे ब्रदर की दुल्हन (गढ़वाली विवाह के रीति रिवाज)