योग,,,योग:कर्मसु कौशलम्।। Yoga,,,(Yoga is the skill in karma)
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भारत के समृद्ध इतिहास को जानने पर पता चलता है कि देश कितने ही समृद्ध संस्कृतियों, ज्ञानियों, महापुरुषों की धरती रहा है। यहां शून्य की खोज हुई तो योग की अनंत क्रियाओं की भी। लगभग 5000 साल पुरानी शैली योग को आज पूरे विश्व में कौन नहीं जानता। दुनियाभर में अपनी सिद्धता को प्रमाणित करता योग के जन्मदाता भी भारत को ही माना जाता है। वैदिक काल से ही योग का वर्णन हमें मिल जाता है हालांकि पूर्व वैदिक काल से ही योग किया जाता है, ऐसा ज्ञान हमें महर्षि पतंजलि के योग सूत्रों से भी मिलता है।
योग के प्रति मेरी प्रेरणा (My inspiration for yoga)
पिछले महीने शिवरात्रि के समय मैंने भगवान शिव से संबंधित एक लेख लिखा था और उसमें कहा था कि भगवान शिव को आदियोगी भी कहा जाता है। आदियोगी का अर्थ है सबसे पहले का योगी, मतलब भगवान शिव को सृष्टि का प्रथम योगी माना गया है इसका अभिप्राय है कि उन्हीं से योग का आरंभ हुआ है। 'मेरी कल्पना के शिव और मैं' में मैंने अपनी कल्पना से कहा था कि जब शिव आदियोगी हैं तो उनका शरीर इतना मांसल वाला कैसे हो सकता है? क्योंकि योगियों का शरीर मुख्यत: पतला और तना हुआ होता है। बस मेरी अपनी इन्हीं कल्पनाओं के कारण मुझे भी प्रेरणा मिली की कि योग के द्वारा अपने शरीर का ध्यान रखा जाए।
वैसे तो योग मैंने पहले भी आरंभ किया था लेकिन मेरा हिसाब और मिजाज़ भी तो कुछ अलग ही है इसीलिए कुछ समय बाद अपने आलस के कारण धीरे धीरे छोड़ दिया लेकिन अब एकबार पुन: मैंने योग करना आरंभ कर दिया है। योग का कमाल तो यह है कि मुझमें इतनी सकारात्मकता आ गई है कि अभी सिर्फ 3 - 4 दिन ही हुए योगा करते हुए और अभी से लग रहा है कि मेरी कमर पहले से कुछ कम हो गई है जो कि मुझे सिर्फ लग रहा है, असल में हुई नहीं है, वैसे यह इतनी जल्दी संभव भी नहीं है लेकिन खुश हूं क्योंकि 'पॉजिटिविटी' तो मिल ही रही है कि कुछ अच्छा तो हो रहा है।
योग और योगा (Yog & Yoga)
मेरे जैसे कितने ही लोग शायद योग को योगा के नाम से ही जानते हैं क्योंकि व्यवहारिक चलन में योगा शब्द ही है या फिर अंग्रेजी का प्रभाव इतना अधिक है कि योग की अपेक्षा योगा बोलना अधिक उचित लगता है क्योंकि योग को अंग्रेजी में लिखते समय yoga लिखा जाता है। खैर! इससे कोई अधिक प्रभाव नहीं पड़ता है लेकिन हां, योगा शब्द से हमारे मन में शरीर को तोड़मरोड़ कर किया जाने वाला व्यायाम वाला भाव आता है जिसमें सांसों से जुड़ी अनुलोम विलोम और प्राणायाम की भी याद आती है जो हमें एकप्रकार से शारीरिक व्यायाम की याद दिलाता है लेकिन योग शब्द इसके मुकाबले अधिक गंभीर लगता है जहां लगता है कि कोई ध्यान, साधना और तपस्या करके मन को एकाग्र करने का कार्य है और लगता है कि यह एक प्रकार से मस्तिष्क व्यायाम है।
योग का अर्थ (Meaning of Yoga)
योग का अर्थ ही जुड़ना है। मिलना, जुड़ना, जोड़ना, एक जुट होना, संघ या मिलान ये सभी अर्थ योग के ही हैं। कहा गया है कि योग शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के युज शब्द से हुई है, युज का हिंदी में अर्थ ही योग है, जुड़ना या मिलन है।
योग का अर्थ आत्मा का परमात्मा से मिलन है। योग शब्द 'युज् समाधौ' से भी आता है, जिसे हम समाधि भी कहेंगे, जिसका अर्थ यह ले सकते हैं कि मन मस्तिष्क से परमात्मा से मिलन कर आनंदित होकर समाधि में लीन हो जाना।
लेकिन इतना गंभीर अर्थ मेरे लिए तो नहीं हो सकता, मैं तो यही मानती हूं कि शरीर का अपने संतुलित मन के साथ मिलन ही योग है। जब मेरा शरीर और मेरा मन एकाग्र होकर मिलकर कार्य करता है तो मेरे लिए योग होता है। कह सकते हैं कि योग एक शक्ति है जो जीवन में सकारात्मकता लाने के लिए स्वस्थ शरीर के साथ संतुलित मन मस्तिष्क का मिलन कराता है।
तकनीकी रूप से तो योग भी चार प्रकार के होते हैं, जो हैं, राज योग, कर्म योग, ज्ञान योग और भक्ति योग। साथ ही आठ अंग भी माने गए हैं, जो
1- यम जिसका अर्थ है,शपथ
2 - नियम अर्थ है, आचरण-अनुशासन)
3- आसन अर्थ है मुद्राएं)
4- प्राणायाम अर्थ है श्वास नियंत्रण
5- प्रत्याहार अर्थ है इंद्रियों का नियंत्रण
6- धारण अर्थ है एकाग्रता
7- ध्यान अर्थ है मेडिटेशन
8- समाधि अर्थ है अंतिम मुक्ति
योग का और भी गूढ़ अध्ययन करने पर पता चलता है कि योग अपने आप में एक विज्ञान है जिसकी अनेक विद्याएं हैं और विभिन्न शाखाएं भी। लेकिन इतना अधिक ज्ञान लेने में तो वही रुचि लेते हैं जो योग का पठन पाठन या अध्ययन कर रहे होते हैं। मुझ जैसे लोग तो प्राणायाम और आसान तक ही अपने को धन्य मान लेते हैं।
योग व्यक्तित्व विकास के लिए (Yoga for personality development)
सच कहूं, आज के समय में हम अपने शरीर के लिए ही अधिक सोचते हैं, जिसमें हम चाहते हैं कि हमारे शरीर के अंग सुचारू रूप से कार्य करते रहें, इसीलिए योग के बजाय योगा पर अधिक ध्यान देते हैं, जबकि मुझे लगता है कि योग को हमें एक ऐसे पूर्ण 'पैकेज' की भांति लेना चाहिए जो शारीरिक अंगों को सुचारू रूप से कार्य करने के साथ साथ हमें मानसिक और भावनात्मक रूप से भी स्वस्थ करता है। माना जा सकता है कि योग से हम एकप्रकार की शुद्धि करते हैं, अपने शरीर से विकारों की और अपने मन से नकारात्मक विचारों की।
योग करते हुए सबसे पहले हमारे शरीर जैसे अंग, नसें, मांसपेशियां, हड्डियों इत्यादि पर ही प्रभाव डालता है उसके बाद धीरे धीरे हम योग से मानसिक और आत्मिक रूप से भी लाभान्वित होते हैं। कहा भी तो गया है कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का निवास होता है। और जब योग के द्वारा हम सभी प्रकार से स्वस्थ रहेंगें तो इन्हीं सब गुण से एक श्रेष्ठ व्यक्तित्व का निर्माण भी कर पाएंगे।
योग स्वास्थ्य के लिए (Yoga for health)
योग के द्वारा स्वस्थ शरीर का निर्माण होता है और आज के युग में जितनी भी योगशालाएं खुली हैं उनमें आने वाली संख्या से यह प्रमाणित भी होता है कि योगशालाएं भी एक प्रकार से स्वास्थ्य केंद्र की भांति कार्य कर रही हैं जिसके आम फायदे तो लगभग सभी को पता हैं।
योग के आम फायदे (Common benefits of yoga)
योग को हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग माना गया है।
यह एक मूलमंत्र है जिससे लोग स्वस्थ और सेहतमंद भी रहते हैं। रोगों से मुक्ति मिलती है और शरीर की अक्षमताओं
में भी सुधार होता है। योग के द्वारा आम फायदे जो हम समानयत जानते है,
- योग के आसनों से शरीर को लचीला बनाना
- बॉडी पोस्चर को सही रखना
- शरीर के वजन को नियंत्रित करना
- रक्त परिसंचरण में सुधार, बी पी नियंत्रित रखना
- पाचन तंत्र में सुधार लाना
- त्वचा और बालों में चमक लाना
- स्वास्थ्य संबंधी रोगों से लड़ना
- चिंता या तनाव को दूर करना
- एकाग्र शक्ति बढ़ाना
यह तो योग के फायदे हैं जो हमारे स्वस्थ के लिए अत्यंत लाभकारी हैं किंतु योग के निरंतर अभ्यास से हम सिर्फ स्वास्थ्य संबंधी लाभ ही नहीं ले सकते अपितु योग के अभ्यास से हम अपनी जीवनशैली बदलते है, योग से ही हमारे सोचने और समझने का तरीका बदलता है, हमारे विचार सात्विक हो जाते हैं, चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा बन जाती है। योग से जीवन में सरलता और पवित्रता तो आती ही है साथ ही साथ कार्य में कुशलता और बुद्धिमता भी बढ़ती है।
योग सभी के लिए (Yoga for all)
योग किसी व्यक्ति विशेष या धर्म विशेष का परिचायक नहीं है, न ही इसे सिर्फ योगी, तपस्वी ही कर सकते हैं। योग सभी के लिए है, जात पात, धर्म को परे मानते हुए, यह सभी के लिए समान रूप से लाभकारी है।
आज के समय में तो हर आयु वर्ग के लोग योग से जुड़े हुए हैं। जहां व्यस्क और वृद्ध योग को लेकर अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हो रहे हैं तो वहीं बच्चें इसे खेल की भांति ले रहे हैं और आज तो युवा इसे रोजगार के रूप में भी अपना रहे हैं।
योग रोजगार के लिए (Yoga for employment)
योग भी एक रोचक विषय है जिसे आज के युवा अपने पाठक्रम में ला सकते हैं और इसे एक रोजगार संबंधित व्यवसायिक कार्यक्रम की भांति ले सकते हैं। यह सभी को पता है कि विश्वगुरु भारत, योगगुरु भी है और विदेशों में भी भारतीय योग शिक्षक का बड़ा मान है। एक रिपोर्ट के अनुसार यहां भारत में ही 2014-2015 में वेलनेस उद्योग का कारोबार 85 करोड़ रुपए का था। और योग के द्वारा ही वैश्विक स्तर पर लगभग 80 बिलियन डालर की कमाई की।
योग आज के समय का सबसे अधिक 'फिटनेस मंत्रा' माना जा रहा है। इसकी लोकप्रियता इसी बात से है कि चाहे लेडी गागा हो या शिल्पा शेट्टी, रसेल ब्रांड हो या अक्षय कुमार सभी लोग योग का अनुसरण कर रहे हैं, सभी के अपने 'पर्सनल योगा कोच' हैं।
योग से विदेशो में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं तो यहां अपने देश में भी योग से संबंधित रोजगार के अनेक विकल्प हैं, जिनमें होटल, रिजॉर्ट, हॉस्पिटल, स्कूल, कॉलेज, कॉरपोरेट ऑफिस इत्यादि हैं जहां योगा इंस्ट्रक्टर से लेकर थेरेपिस्ट एंड नैचूरोपैथ्स तक के रूप में कार्य कर सकते है। यहां तक की योग सिखाने का अभ्यास तो अपने घर से भी किया जा सकता है। आज कितने ही शिक्षण संस्थान है जो योग की विशेष कक्षाएं भी चला रहे हैं और उत्तराखंड तो योग का केंद्र
योग के द्वारा स्वयं भी स्वस्थ रहा जा सकता है और समाज भी लेकिन इसके भी नियम हैं और अनुशासन भी इसीलिए किसी कुशल योग शिक्षक के दिशा निर्देश में ही योग करना चाहिए और वो भी सावधानी के साथ।
योग एक कर्म की भांति करते चलें या कर्म को योग की भांति करते चलें और कुशलता के साथ परमानंद को प्राप्त करें।।
योग:कर्मसु कौशलम्।। (कर्म में कुशलता ही योग है)
एक - Naari
Comments
Nice
ReplyDeleteसबको करना चाहिए
ReplyDeletegood one
ReplyDeleteBilkul sahi jaankari avam sandesh
ReplyDeleteबहुत सुंदर योग बहुत ही जरूरी है अपने शरीर और मन को स्वस्थ रखने के लिए...! 🙏🙏🙏
ReplyDeleteWaah....bahut sunder...gyaan ko bhi rochakata ke sath bataana bahut saraahneey prayas hai.
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