पति पीता है, लेकिन पीटता नहीं ।।
"Weekend आने वाला है,,,"
कितना अजीब है ना, 'पीता' या 'पीना' इन शब्दों से ही हमारा दिमाग कितना दौड़ने लग जाता है, बिना किसी और इशारा किए, सीधा बता देता है कि इन शब्दों का अर्थ 'किसके' सेवन से है और इसका कौन सा रूप है? अब वो तो आप अपने स्वादानुसार या सोचानुसार या जेबानुसार समझ सकते हैं। शायद आपके साथ भी कुछ इस प्रकार के शब्दों का प्रयोग हुआ होगा। कुछ वाक्य ऐसे हैं जिनसे आप समझ ही जाते हैं कि यहाँ क्या पीया जा रहा है? जैसे की,,,
"लगता है आज पी कर आए हो, पीया हुआ है क्या, यार, बहुत समय से नही पी, पीने का भी अपना मज़ा है, तुम्हे क्या लगा मैं पी कर आया हूँ, पियो और पीने दो"
ऐसे अनगिनत वाक्य हैं, जिन्हे हम अमूमन सुन ही लेते हैं। और जिनका अर्थ भी हम समझ जाते हैं कि किसी 'पानी या फलों के रस' पीने से तो कदापि नही है। फिर भी एक फल का रस तो है ही, चलिए समझदार को इशारा काफी है, और इस शब्द ने तो सबको समझदार बना दिया है और ना जाने कितनो को अपना दीवाना भी। हाँ, लेकिन अब तो कुछ लोग इस शब्द को बिना बोले भी समझ जाते है कि क्या काम है।
"अपने दोस्त के यहाँ जा रहा हूँ, लेट हो जाएगा।, आज मौसम बहुत बढ़िया है, कुछ मूड बनाते हैं।, शाम का कुछ इंतज़ाम किया है क्या? "
बिना 'पीना' शब्द कहे ही आप भावों का अर्थ भी समझ गए होंगे। अब आप समझदार है या दीवाना, ये तो आपका मन ही जानता है।
चलो अब इस शब्द के बारे में और कितना ज्ञान बाँटा जाय, जब सब इससे भरे पड़े हैं। तो लौट आते है, शीर्षक 'पति पीता है, लेकिन पीटता नहीं' पर। ये वाक्य कुछ विरोधाभास जैसा है। कि मर्द पीता भी है,लेकिन मारता पीटता नही है। क्योंकि हमने तो यही सुना और पढ़ा है कि, पीने के बाद तो लडाई झगड़ा और मार पीट ही होती है। ये सब हमने इसलिए पढ़ा क्योंकि
ये भी एक सच्चाई है,हमारे समाज की।
'शराब पीना' सामाजिक कुरीति मे ही सम्मिलित है। अब ये पता नही की सरकार भी इस कुरीति पर इतनी मेहरबानी क्यों रखती हैं। इसके सेवन पर घर परिवार में गृह क्लेश होता है, पत्नी और बच्चों को पीटा जाता है, और तो और ये लड़ाई कभी कभी तो किसी की जान तक ले जाती है। कितने ही परिवारों को नष्ट कर चुका है, ये ' शराब पीना'। यह एक बहुत ही गंभीर विषय है, इस पर हमारे जागरूक और कई सामाजिक लोग भी काम कर रहे हैं।
लेकिन शीर्षक, 'पति पीता है, लेकिन पीटता नहीं', इस पर भी कुछ बात करते हैं। अब ये बिल्कुल स्पष्ट है कि इस परिस्थिति में वो क्या पी कर आया हुआ होगा। मुख्य बात तो यह है कि पीकर आने के बाद वो कोई 'हो हल्ला' नहीं करता, ना ही कोई गाली-गलौच करता, ना ही कहीं गिरा पड़ा मिला और जब घर आकर ना तो कोई शोर शराबा हुआ, ना तो कोई विवाद हुआ और ना ही कोई क्लेश तो पति पीटेगा भी क्यों?
हाँ, लेकिन। झूठ क्यों बोला जाए। ये बात भी है,कि ये हो - हल्ला पति नही, अपितु थोड़ा बहुत पत्नी करती हूँ। लेकिन पति पर हाथ उठाना, 'राम राम राम', ऐसा तो पत्नी कभी कल्पना में भी नही कर सकती। और वैसे भी ऐसी नौबत कभी पति देव ने आने ही नही दी। इसमें भी कोई अलग राय नहीं कि 'self protection' तो सबका अधिकार ही है। अधिकतर विवाहित लोग जानते है कि जब पत्नी रानी बोलती है तो पति देव को चुप रहने में ही अपनी भलाई दिखाई देती हैं। इसीलिए चुप चाप पीने वाले और चुप रहने वाले पति को हर पत्नी समझदार मानती है, जो कि पीता तो है लेकिन पीटता नहीं।
मुझे तो ये लगता है कि पीकर आने के बाद पति भीगी बिल्ली तो बिल्कुल नही, लेकिन हाँ एक पालतू शेर जैसा बन जाता है। अब ये पालतू शेर, ना तो गुरराता है और ना ही ये मारता है, बल्कि वो काम करता जाता है जो उसकी मास्टरनी इशारों से ही बोल दे। क्योंकि यहाँ तो मास्टरनी जी भी समझदार है, वो भी मुँह से कुछ नही बोलेंगी, बस अपने आँखों से ही काम लेंगी। शेर महाराज को मास्टरनी जी के हाव भाव और समय के हिसाब से ही सब कुछ समझ जाना होता है।
अब ये पता नही कि ये शेर किसी डर से या प्यार से या फिर नशे में करता है। लेकिन वो तभी शेर बनता है जब पीता है, बस वो पीता है, लेकिन पीटता कभी नहीं।
'Occasional Drinker' कहलाने वाला पति भी अपने दोस्तों ओर शुभचिंतकों से मिलकर 'Regular' हो ही जाता है। अब उसके पीने के लिए कोई कारण नही अपितु पीने का बहाना होता है। पीने का कारण कुछ भी हो सकता है किंतु
"पीने के बाद वो किसी प्रकार का गुस्सा या रोष नहीं दिखाता बल्कि कभी एक मासूम बालक तो कभी प्रेमी जैसा दिखता है जो पत्नी में कभी अपना सखा तो कभी पुरानी प्रेमिका खोजता है। फिर, साधारण सी दिखने वाली पत्नी को भी पूर्णिमा का चाँद कहता है।"
और चाँद बनकर रहना भला किसे पसंद नही होगा? इच्छा तो यही है कि चाँद जैसा आकर्षण हमेशा बना रहे किंतु ये आकर्षण तो मानो पत्नी से अधिक पीने में दिखता है। फिर भी, भले ही थोड़ी देर के लिए ही सही लेकिन पति का पीना और पत्नी का रूठना शायद दोनों को आनंदित भी कर देता है। इस बात का भी दिलासा है कि कम से कम वो पीटता नही है।
इस संदर्भ में अब, कृप्या आप मेरी बात का विपरीत अर्थ ना निकाले कि मैं किसी पत्नी को ज्ञान नही दे रही हूँ कि उसका पति पालतू शेर बना रहे इसलिए 'पीने दो' और ना ही किसी पति को प्रोत्साहित कर रही हूँ की उसकी पत्नी हमेशा चाँद बनी रहे इसलिए 'पीने दो'। मैं तो सिर्फ सोच रही हूँ कि दोनों की गाड़ी हंसती- मुस्कुराती, खट्टी- मीठी नोकझोंक के साथ चलती रहे, जिसमे जिंदगी का आनंद दोनों अपने अपने हिसाब से लेते रहें। फिर चाहे पति पीता हो या ना पीता हो, लेकिन पत्नी को पीटना तो बिल्कुल ही निषेध हो और जिसमे किसी की भी ना तो शारीरिक क्षति हो ना ही किसी का मानसिक उत्पीड़न हो। बस प्यार के ये रिश्ते सदा साथ हों।
" ये लेख कोई भी पति एवं पत्नी अन्यथा ना लें। ये मेरी सोच के उपज हैंपति पीता है, लेकिन पीटता नहीं ।। सूचना विवाहित एवम जनहित में जारी।"
एक-Naari
Bahut khub. पति पीता है लेकिन पीटता नहीं,..nice Reena ..
ReplyDeleteWha ise pad kar majja aaya.
ReplyDeleteVery well articulated ....🙂
ReplyDeleteThis subject only reveals the bitter truth of our society . . Domestic violence N it breaks my heart a thousand times thinking abt the women who go thru this pain.dont know what more to say on this.. But totally agree on moving on with life with little nok jhok everyday. That's what makes marriage worthwhile. Again beautifully written.
ReplyDeleteWell said
ReplyDelete👌👌
ReplyDeleteBilkul sahi...peeny ke baad hi patni chand jaise dikhti hai..hahaha
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