तमाशा बनती डिग्री या तमाचा मारती बेरोजगारी
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तमाशा बनती डिग्रियाँ या तमाचा मारती बेरोजगारी
अभी कल ही एक विज्ञापन देखा जिसे एक शिक्षित महोदय ने मुझे भेजा था। ये एक विज्ञप्ति थी नौकरी के लिए जिसे देश के एक बहुत बड़े प्रतिष्ठित संस्थान ने प्रकाशित किया था जिसमें नौकरी के लिए सिर्फ एक ही व्यक्ति की आवश्यकता थी, और अगर वेतन की बात की जाय तो एक आम युवा के लिए तो बहुत सी जरूरत पूरी हो सकती हैं शैक्षिक योग्यता के लिए भी आपको सिर्फ स्नातक होना काफी है, उसके लिए आप चाहें तो B. A./B.Com./B.Sc ही क्यों ना हो। हाँ एक और खास बात है अगर B.Tech. या फिर इसके समानांतर कोई दूसरी डिग्री भी हो तो वो भी अपना आवेदन इस नौकरी के लिए कर सकता है। अब हमारे मन मे थोड़ा सा विरोधाभास प्रश्न भी जागृत हो जाता है कि ऐसी कौन सी नौकरी है ? जहाँ शैक्षिक योग्यता B.A. के साथ साथ B.Tech. को भी आमंत्रण मिला है। तो आपको बताना चाहूँगी कि ये पद है, 'Dog Handler' का। जी हाँ, कुत्ते को संभालने का कार्य हेतु एक कुशल डिग्री धारक की आवश्यकता है,देश के IIT, Delhi
में।
ये विज्ञप्ति सत्य है या फिर किसी ने कोई मज़ाक किया है,इसका मुझे कोई ज्ञान नही है, लेकिन परेशान करने वाली बात ये है कि अगर ये सत्य है तो क्या हमारे देश में अब स्नातक की डिग्री वाला युवा, क्या कुत्ता संभालने का कार्य करेगा? मुझे तो लगा था कि पढ़ा लिखा नौजवान देश संभालने का कार्य करता है,लेकिन लगता है अब डिग्री धारक नौजवान और कुछ ना सही किंतु एक 'Dog
Handler' के लिए तो बिल्कुल शैक्षिक मानक पूरा कर ही लेगा।
मुझे समझ नही आ रहा कि ये डिग्री हमारे मुँह में तमाचा मार रही है,या फिर आज की बेरोजगारी। या फिर कहीं ऐसा तो नहीं है कि इतना बड़ा संस्थान हमे आईना दिखा रहा है, कि इनका उपयोग इससे अधिक कहीं नहीं है? ये जो भी बात हो, लेकिन एक बात तो तय है कि इस तरह का विज्ञापन एक तरह से हमारी डिग्रीयों का तमाशा ही है, जो आज इस प्रकार से हमे नाच दिखा रहा है। B. A. /B.Com/B.Sc. को भी चलो एक तरफ अगर छोड़ दें कि इनका तो कोई ज्यादा मोल नही है ये तो सिर्फ एक तरह से खानापूर्ति है आगे की पढ़ाई के लिए, इन्हे तो सामन्यता वही लोग करते हैं जिन्हे आगे ज्यादा कुछ करना नही होता या जिन्हे केवल डिग्रीधारक् की उपाधि तक ही सीमित होना होता है या फिर वे लोग होते हैं जिनके पास इतना पैसा नही होता कि वे भी कोई बहुत अच्छे संस्थान से कुछ रोजगारपरक पाठ्यक्रम चुन सके। लेकिन इस विज्ञप्ति में जो B.Tech. के लिए भी जोर दिया गया है, उससे हम क्या अभिप्राय निकाले?
एक बात अगर ये भी मान ली जाए कि इस संस्थान का मानक इतना ऊँचा है कि यहाँ पर कोई भी बिना स्नातक वाला कर्मचारी कार्य नही कर सकता किंतु Dog Handler के कार्य के लिए भी B.Tech. को भी आमंत्रण देना क्या आपको उचित लगता है? ये बहुत ही सोच विचार का विषय है। इसका अर्थ क्या निकाला जाय? क्या चार साल B.Tech. की पढाई किया हुआ नौजवान एक 'Dog Handler' के पद के लिए एक 'Perfect Candidate' होगा? मैं ये कतई नहीं कह रही हूँ कि कोई भी काम छोटा या बड़ा होता है किंतु हर कार्य के लिए कुछ योग्यताएँ भी होती है, क्या B.Tech. के पाठ्यक्रम में कुत्ता संभालने से संबंधित भी कुछ पाठ होते हैं या फिर कोई विशेष प्रकार के व्यवहारिक कक्षाएं भी।
इस पद के लिए जो और भी योग्यताएँ है जिनमे कि कंप्यूटर का ज्ञान होना, हिंदी और अंग्रेज़ी का ज्ञान होना, चार पहियों वाली गाड़ी चलाना, NGO और संस्थान के अंदर आपस में ताल मेल बैठाना, ये सब तो सही है जो शायद एक B.Tech. या कोई भी डिग्री वाला कर सकता है या फिर व्यवहारिक कुशल भी कर सकता है लेकिन कुछ विशेष योग्यता हैं जैसे कि कुत्ते की वैक्सीन कराने में सक्षम होना, कुत्ते की medical सुविधाओं का ज्ञान, दवाई की जानकारी होना, कुत्ते को खाना खिलाने का अनुभव, आदि। क्या इस प्रकार का पाठ्यक्रम भी इन डिग्रियों में मिलता है? मुझे ऐसा क्यों लगता है कि इस प्रकार के कार्य के लिए तो कोई भी जानवर प्रेमी या वेटनरी का जानकार या वेटनरी का कोई पढ़ा लिखा सहायक भी उपयुक्त हो सकता था।
क्या आपको ऐसा नही लगता है कि ये एक तरह से हर उस B.Tech. वाले इंसान का अपमान है जिसने अपनी मेहनत और लगन से अपने चार वर्ष इस डिग्री को कमाने में लगाए हैं। सिर्फ B. Tech. ही क्यों B. A./B.Com./B.Sc करने वाले विधार्थियों का भी है।वैसे एक बात और मन में आ रही है और वह ये है कि इस प्रकार से डिग्री की विज्ञप्ति देना एक सच्चाई भी तो हो सकती है।
पहली सच्चाई तो है बेरोजगारी की। देश में इतनी ज्यादा बेरोजगारी है कि साधारण स्नातक वाले लोगों के पास नौकरी के अधिक विकल्प है ही नही। बढ़ते बेरोजगारी को देखते हुए शायद उन्हे भी शायद ये एक विकल्प की तरह लग रहा हो।
दूसरी सच्चाई शायद डिग्री का बज़ारीकरण भी हो सकता है, चूँकि अब कई बार देखा गया है कि कितने ही बच्चे अब डिग्री कमाना या पढ़ना नही चाहते, उसे सिर्फ पाना चाहते है या खरीदना। अनगिनत विद्यालय महाविद्यालय और ना जाने कितनी ही संस्थाए इस प्रकार अपने ही मानदंडों को ताक में रख कर शिक्षा के साथ खिलवाड कर रही है। शायद यह भी एक कारण हो सकता है कि इस प्रकार के स्नातक होने से इसी प्रकार के पद के लिए उपयोगी माना जाए।
आशा यही रखती हूं कि इस तरह के रोजगार से संबंधित विज्ञापन पढ़े-लिखे बेरोजगारो का मन न बहलाएं। नही तो वह दिन भी दूर नही जब इस प्रकार की नौकरियों के लिए भी असंख्य अनपढ़ और बेरोजगार लोग भी डिग्री खरीद फरोख्त कर शैक्षिक मानक पूरा कर ले और पढ़े लिखे बेरोजगार अपनी डिग्रियों और मेहनत का तमाशा देखते रह जाएं। और फिर कहें कि 'पकोड़े तलना अधिक अच्छा है या किसी का कुत्ता संभालना। '
Comments
Superb
ReplyDeleteAbsolutely true !
ReplyDeleteबहुत सुंदर तरीके से लिखा गया
ReplyDeleteVery true.
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