Teej Where Love Meets Devotion and Grace

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    तीज: सुहागनों का उत्सव (प्रेम, तप, समर्पण, श्रृंगार)       छाया: मोनिका ठाकुर, देहरादून   प्रकृति स्वयं माता पार्वती का एक रूप है इसलिए सावन माह में जहाँ हम भगवान् शिव की आराधना करते हैं  वहीं शिवा की पूजा का भी विशेष महत्व है। सावन माह में आने वाली तीज माता पार्वती को ही समर्पित पूजा है। इस दिन सुहागन महिलाएं  माता पार्वती से अपने सुहाग की लम्बी आयु और परिवार की खुशहाली के लिए व्रत करती हैं।  पार्वती का तप:  पौराणिक कथानुसार माता पार्वती आदिदेव शिव से विवाह करना चाहती थी लेकिन शिव उस समय विरक्त थे। नारद मुनि ने बचपन से ही माता के अंदर शिव नाम के बीज बौ दिये थे इसलिए माता शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तप करने का निर्णय लिया।     शिव महापुराण के द्वितीय पार्वतीखंड के बाईसवें अध्याय के अनुसार माता पार्वती ने अपने राजसी वास्त्रों को त्यागकर मौंजी और मृगछाला पहनी और गंगोत्री के समीप श्रृंगी नामक तीर्थ पर शंकर जी का स्मरण कर तप करने के लिए चली। तपस्या के पहले वर्ष माता ने केवल फल का आहा...

Let's Travel and Learn

New Year Special..
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   नये साल के स्वागत की तैयारी खूब जोर शोर से चल रही है। कई जगह दावतों का दौर चल रहा है तो कहीं पर नाच गाने का कार्यक्रम। कुछ लोग भक्ति रस का आनंद ले रहे हैं तो कोई अपने प्रियजनों के साथ घर पर समय बिताने को ही अपना आनंद मग्न हैं। देखा जाए तो सभी के अपने अपने तरीके होते हैं जहाँ पर वे नये साल की तैयारी अपने अनुरूप कर रहे होते हैं और अपने हिस्से की खुशियाँ उन्हीं पलों में समेट लेते हैं।
  चूँकि ये समय ही छुट्टियों का होता है इसलिए बहुत से लोग नये साल पर घूमने फिरने के लिए निकल जाते हैं जो छुट्टी बिताने का एक रोमांचक विकल्प है। यहाँ केवल मौज मस्ती होती है जो दैनिक चिंताओं या समस्याओं से कुछ देर के लिए राहत देती हैं। वहीं कुछ लोगों के लिए यह समय होता है यात्रा पर जाने का और यात्रा केवल एक जगह से दूसरी जगह जाना मात्र नहीं होती। यहाँ यात्रा एक उद्देश्य से होती है जहाँ वे अपना समय यात्रा के माध्यम से जीवन के अनुभवों को समझने ओर सीखने के लिए करते हैं । यह यात्रा भी रोमांच और उत्साह से भरती है लेकिन इन यात्राओं का असर क्षण भर के लिए नहीं होता। ये यात्राएं जीवनपर्यंत तक अपनी छाप छोड़ती हैं क्योंकि इन यात्राओं के अनुभवों से सोचने- समझने की क्षमता विकसित होती है और एक व्यापक दृष्टिकोण के साथ हमारा जीवन बेहतर होता है।
   आज के समय में हर कोई किसी न किसी डर, चिंता, तनाव या असुरक्षा की भावाना से ग्रस्त है। वहीं ये छोटी-बड़ी यात्रा मानसिक संतुष्टि देती है। एक जिज्ञासु की तरह की गई यात्रा से जो अनुभव मिलता है उससे समझ बढ़ती है, समस्याओं से, उलझनों से निपटने के लिए दिशा मिलती है और विपरीत परिस्थितियों में भी आगे बढ़ने की सीख भी मिलती है। 
    यात्राओं से नई ऊर्जा का निर्माण होता है जो हमारी रचनात्मकता को बढ़ाता है। हम नई जगह में  नये लोगों से जुड़ते हैं, नई संस्कृतियो से मिलते हैं जिससे हमारा मानसिक ओर भावनात्मक विकास होता है।
  और ये सभी तभी संभव है जब यात्रा का कारण चाहे जो भी हो लेकिन उद्देश्य कुछ नया देखने से अधिक कुछ नया सीखना हो। 
  आने वाले नव वर्ष पर आप भी यात्राओं का आनंद लीजिये और इन अनुभवों से नई सीख भी। 

ढेर सारी शुभकामनाओं के साथ। नव वर्ष की बधाइयां।


एक -Naari 
 

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