कान्हा से कृष्ण बने
- Get link
- X
- Other Apps
नटखट कान्हा को तो सभी प्रेम करते हैं। माखन खाते हुए, मोरपंख सजाते हुए, बंसी बजाते हुए या फिर ग्वाल बाल के साथ गइया चराते हुए । उनका हर बाल रूप दिव्य और अलौकिक है और उनकी बाल लीलाएं अद्भुत। उनका यही स्वरूप तो मन को मोह लेता है इसीलिए कान्हा को मनमोहन भी कहा जाता है। इसी मनमोहिनी छवि से प्रेरित प्रत्येक बाल मनमोहन लगता है इसीलिए जन्माष्टमी के अवसर पर बालक कान्हा बनते हैं और सभी से खूब लाड और प्यार पाते हैं।
मनमोहन का बाल स्वरूप आगे चलकर एक निष्काम कर्मयोगी का बनता है तो यही कान्हा हमारे पूजनीय कृष्ण बनते हैं और जो हमारे वंदनीय होते हैं उनका अनुसरण हमें करना ही चाहिए। जैसे हम बाल रूप में कान्हा बनते हैं तो उसी तरह से समय के साथ आगे बढ़कर हमें अपने कर्मपथ का कृष्ण बनना चाहिए।
हमें कृष्ण बनना है,, स्त्री का सम्मान करना है...
Follow Krishna: Give Respect to Woman
हमें वही कृष्ण बनना है जिन्होंने कर्म को ही सर्वोपरि माना इसलिए हमें भी अपने कर्म में निरंतर बढ़ते रहना चाहिए। वही कर्म करने चाहिए जो मानव और समाज के लिए कल्याणकारी है।
श्री कृष्ण भगवान हैं तो उनमें ऐसी बहुत सी विशेषताएँ हैं जो हमें प्रभावित करती हैं लेकिन वर्तमान समय में सबसे महत्वपूर्ण एवं अनुकरणीय है कृष्ण का स्त्रियों के प्रति सम्मान।
कृष्ण स्त्रियों की भाँति सुकोमल भी हैं तो युद्ध में पाषाण के समान भी। इसलिए कृष्ण स्त्री के भावों को अच्छे से समझते हैं, उनके दुख को, उनकी प्रसन्नता को, उनकी समस्याओं को और उनके समाधानों को, स्त्री के मन को पढ़ लेते हैं, कृष्ण। तभी तो गोपियाँ उनकी प्रिय सखियाँ हैं और गोपियाँ कृष्ण की प्रिय मित्र।
ऐसे ही कृष्ण बने जो स्त्री के कोमल भावों को समझे, स्त्री को ही पाषाण समझकर उसे ठोकर न मारें।
कृष्ण की रासलीला शारीरिक सुख न होकर अचेतन मन की संतुष्टि थी जहाँ भक्त और भगवान का, आत्मा और परमात्मा के मिलन का अद्भुत आनंद प्राप्त होता था। राधा और गोपियों से प्रेम उनकी रासलीला नहीं उनकी निर्मल मन और भक्ति का प्रतीक है। ऐसे ही कृष्ण बने जो भौतिकता से परे विशुद्ध मन के भाव से प्रेम करें।
कृष्ण की आठ पत्नियां रुक्मणि, जाम्बवन्ती, सत्यभामा, कालिन्दी, मित्रबिन्दा, सत्या, भद्रा और लक्ष्मणा थीं। वे सभी का समान आदर करते थे। साथ ही नरकासुर के बंदी गृह से मुक्त की गई 16000 कन्याएं भी कृष्ण की पत्नियाँ बनी। यहाँ भी हम कृष्ण को बहु पत्नी न मानकर उन्हें समाज का कल्याणकारी माने क्योंकि यहाँ कृष्ण ने इन सभी 16000 बंदी कन्याओं को समाज के कलंक से मुक्ति देने के लिए उनसे विवाह किया और उन सभी की पत्नी रूप की जिम्मेदारी ली। इसप्रकार उन्होंने उन सभी 16000 रानियों की सामाजिक प्रतिष्ठा बढाई। इसलिए ऐसे कृष्ण बने जो महिलाओं के कल्याण के लिए सामाजिक बंधनों को भी चुनौती दें सके।
ऐसे कृष्ण बने जो स्त्री अधिकारों और उनके निर्णयों को मानते हैं। जैसे कि गुरु सांदीपनि की पत्नी की आज्ञा पर कृष्ण उनके खोए हुए गुरुपुत्र को वापस लाकर ‘गुरुदक्षिणा' अर्पित करते हैं और कौरवों के नाश होने पर क्रोधित गांधारी के कुलनाश सम्बंधी शाप को भी सिर झुकाकर स्वीकार करते हैं।
ऐसे कृष्ण बनें जो अपनी माता के साथ साथ हर स्त्री का आदर सम्मान करें। कृष्ण अपनी जन्मदात्री मां देवकी और पालन करने वाली यशोदा मैय्या की ममता के प्रति कृतज्ञ हैं वैसे ही अपनी पत्नी रुकमणि के साथ भी। कृष्ण ऐसे भाई हैं जो अपनी बहन सुभद्रा से असीम स्नेह करते हैं इसीलिए अपनी बहन के लिए सबसे उचित वर के रूप में अर्जुन को आगे बढ़ाया।
ऐसे ही कान्हा से कृष्ण बने जिससे कि समाज में किसी भी स्त्री का चीरहरण न हो, उसका सम्मान हो, रक्षा हो और सामाजिक उत्थान हो।
कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाओं के साथ...
एक -Naari
- Get link
- X
- Other Apps
Comments
Jai Shri Krishna
ReplyDeleteJai shree Krishna🙏🌺 Jai shree Radhe Radhe🙏🌺
ReplyDeleteJai shree Krishna
ReplyDeleteसबसे बड़ा कलाकार-कृष्ण
ReplyDelete