चूरमा Mothers Day Special Short Story

नटखट कान्हा को तो सभी प्रेम करते हैं। माखन खाते हुए, मोरपंख सजाते हुए, बंसी बजाते हुए या फिर ग्वाल बाल के साथ गइया चराते हुए । उनका हर बाल रूप दिव्य और अलौकिक है और उनकी बाल लीलाएं अद्भुत। उनका यही स्वरूप तो मन को मोह लेता है इसीलिए कान्हा को मनमोहन भी कहा जाता है। इसी मनमोहिनी छवि से प्रेरित प्रत्येक बाल मनमोहन लगता है इसीलिए जन्माष्टमी के अवसर पर बालक कान्हा बनते हैं और सभी से खूब लाड और प्यार पाते हैं।
हमें कृष्ण बनना है,, स्त्री का सम्मान करना है...
Follow Krishna: Give Respect to Woman
हमें वही कृष्ण बनना है जिन्होंने कर्म को ही सर्वोपरि माना इसलिए हमें भी अपने कर्म में निरंतर बढ़ते रहना चाहिए। वही कर्म करने चाहिए जो मानव और समाज के लिए कल्याणकारी है।
ऐसे ही कृष्ण बने जो स्त्री के कोमल भावों को समझे, स्त्री को ही पाषाण समझकर उसे ठोकर न मारें।
कृष्ण की रासलीला शारीरिक सुख न होकर अचेतन मन की संतुष्टि थी जहाँ भक्त और भगवान का, आत्मा और परमात्मा के मिलन का अद्भुत आनंद प्राप्त होता था। राधा और गोपियों से प्रेम उनकी रासलीला नहीं उनकी निर्मल मन और भक्ति का प्रतीक है। ऐसे ही कृष्ण बने जो भौतिकता से परे विशुद्ध मन के भाव से प्रेम करें।
कृष्ण की आठ पत्नियां रुक्मणि, जाम्बवन्ती, सत्यभामा, कालिन्दी, मित्रबिन्दा, सत्या, भद्रा और लक्ष्मणा थीं। वे सभी का समान आदर करते थे। साथ ही नरकासुर के बंदी गृह से मुक्त की गई 16000 कन्याएं भी कृष्ण की पत्नियाँ बनी। यहाँ भी हम कृष्ण को बहु पत्नी न मानकर उन्हें समाज का कल्याणकारी माने क्योंकि यहाँ कृष्ण ने इन सभी 16000 बंदी कन्याओं को समाज के कलंक से मुक्ति देने के लिए उनसे विवाह किया और उन सभी की पत्नी रूप की जिम्मेदारी ली। इसप्रकार उन्होंने उन सभी 16000 रानियों की सामाजिक प्रतिष्ठा बढाई। इसलिए ऐसे कृष्ण बने जो महिलाओं के कल्याण के लिए सामाजिक बंधनों को भी चुनौती दें सके।
कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाओं के साथ...
एक -Naari
Jai Shri Krishna
ReplyDeleteJai shree Krishna🙏🌺 Jai shree Radhe Radhe🙏🌺
ReplyDeleteJai shree Krishna
ReplyDeleteसबसे बड़ा कलाकार-कृष्ण
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