योग: 'स्वयं और समाज के लिए योग'
आज योग शब्द से कोई भी अनभिज्ञ नहीं है, इसके लाभ आज समस्त विश्व पूर्ण सहमति से मानता है इसीलिए इसके महत्व को समझते हुए संयुक्त राष्ट्र के 177 देशों ने अपनी मुहर लगाई और 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने का संकल्प लिया। योग के द्वारा स्वस्थ और संतुलित जीवन शैली अपनाने के लिए देश-दुनिया के लोग 21 जून को योग से जुड़ते हैं। योग सभी के लिए है। धर्म, जाति या लिंग के बंंधन से परे
यह आज के समय में सभी के लिए एक आवश्यक अभ्यास है क्योंकि इससे व्यक्तिगत विकास तो होता ही है साथ ही सामूहिक रूप से भी समाज में सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसी को जानकर संपूर्ण मानव जगत के कल्याण के लिए इस वर्ष के अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (21 जून 2024) का विषय (थीम) है, 'स्वयं और समाज के लिए योग' (Yoga for Self and Society)
स्वयं और समाज के लिए योग
योग तो स्वयं अपने आप में एक वृहद विषय है जो केवल शारीरिक स्वास्थ्य को ही नहीं अपितु आंतरिक स्वास्थ्य पर भी केंद्रित है। योग एक कला है जिसके निरंतर अभ्यास से मानव का सर्वांगीण विकास होता है और इसके विज्ञान को समझने पर समाज का कल्याण।
एक एक व्यक्ति मिलकर ही समाज का निर्माण करता है और प्रत्येक व्यक्ति अगर स्वयं को अनुशासित करते हुए योग का अभ्यास करता है तो एक उच्च कोटि के समाज का निर्माण होना तय है। योग में हम स्वयं के शरीर, मन, मस्तिष्क और आत्मा को एकरूप करते हैं और साथ ही हम मानव और प्रकृति के बीच सामंजस्य को भी समझते हैं। इसके अभ्यास से स्वयं के बाहरी और आंतरिक स्वास्थ्य पर बहुत ही स्कारामक प्रभाव पड़ते हैं जिससे कि बेहतर शारीरिक स्वास्थ्य मिलता है, मानसिक शांति की प्राप्ति होती है, अधिक ऊर्जावान बनते हैं, रचनात्मकता बढ़ती है, एकाग्रता में ध्यान लगता है और हमारा स्वयं का दृष्टिकोण भी बदलता है और जब स्वयं का दृष्टिकोण बदलता है तो हम सकारात्मक और आशावादी भी होते हैं जो कि किसी भी समाज के उत्थान में सहायक है।
यह बिल्कुल सत्य है कि स्वस्थ शरीर से ही सारे कर्म किये जाते हैं लेकिन योग में शरीर और मन दोनों की ऊर्जाओं का समन्वय है इसलिए केवल तरह तरह के आसन लगाकर पारंगत होना ही योग नहीं है। यह जीवन को अनुशासित करने का, एक सद्गुणी मनुष्य बनने का और एक स्वस्थ समाज बनाने का माध्यम भी है क्योंकि योगसूत्र के यम नियम ही नैतिक मूल्यों का अभ्यास कराते हैं जो हमें अनुशासन, व्यक्तिगत सुधार और मन, वचन और कर्मों की शुद्धिकरण कराते हैं। इसीलिए कोई भी व्यक्ति योग के इन यम नियम से ही आरम्भ कर दे तो इसका प्रभाव स्वत: ही उसके आस पास के वातावरण में पड़ जायेगा।
योग से हमें शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक लाभ तो मिलते ही हैं लेकिन इसके यम नियम जैसे मूल सिद्धांत नैतिकता का पाठ भी पढ़ाते हैं जो एक स्वस्थ समाज का निर्माण करते हैं।
यम: सिखाता है नैतिक व्रत
1- सत्य (हमेशा सत्य का साथ देना चाहिए। )
2- अहिंसा (मन, वचन और कर्म से हिंसामुक्त रहे। )
3-अस्तेय (मन,वचन, कर्म से किसी की वस्तु की चोरी न करें),
4- अपरिग्रह (अनावश्यक धन और सम्पत्ति एकत्र न करना)
5- ब्रह्मचर्य (ऊर्जा का सही उपयोग)
नियम: सिखाता है शुद्धिकरण
1- शौच (शरीर, मन और आत्मा की स्वच्छता और पवित्रता )
2- सन्तोष ( स्थिति परिस्थिति में संतुष्टि का भाव रखना)
3- तपस (मन और शरीर को अनुशासित रखकर काम करना, कार्य को तप के साथ उत्साह के साथ पूर्ण करना)
4- स्वाध्याय (स्वयं के मन, वाणी, कर्म पर विचार करना और सुधार करना)
5- ईश्वरप्राणिधान (ईश्वर के प्रति श्रद्धा, विश्वास रखना और मनन करना) इसलिए योग केवल एक व्यक्ति विशेष के लिए नहीं अपितु पूरे समाज के लिए वरदान है।
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की शुभकामनाएँ!!
"करो योग, रहो निरोग"
एक -Naari
अतिसुंदर अभिव्यक्ति👌👌👍👍
ReplyDeleteआपको भी अंतराष्ट्रीय योग दिवस की शुभकामनाएं💐❣️💐
Thoughtful writeup
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