International Women's Day

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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस International Women's Day  सुन्दर नहीं सशक्त नारी  "चूड़ी, बिंदी, लाली, हार-श्रृंगार यही तो रूप है एक नारी का। इस श्रृंगार के साथ ही जिसकी सूरत चमकती हो और जो  गोरी उजली भी हो वही तो एक सुन्दर नारी है।"  कुछ ऐसा ही एक नारी के विषय में सोचा और समझा जाता है। समाज ने हमेशा से उसके रूप और रंग से उसे जाना है और उसी के अनुसार ही उसकी सुंदरता के मानक भी तय कर दिये हैं। जबकि आप कैसे दिखाई देते हैं  से आवश्यक है कि आप कैसे है!! ये अवश्य है कि श्रृंगार तो नारी के लिए ही बने हैं जो उसे सुन्दर दिखाते है लेकिन असल में नारी की सुंदरता उसके बाहरी श्रृंगार से कहीं अधिक उसके मन से होती है और हर एक नारी मन से सुन्दर होती है।  वही मन जो बचपन में निर्मल और चंचल होता है, यौवन में भावुक और उसके बाद सुकोमल भावनाओं का सागर बन जाता है।  इसी नारी में सौम्यता के गुणों के साथ साथ शक्ति का समावेश हो जाए तो तब वह केवल सुन्दर नहीं, एक सशक्त नारी भी है और इस नारी की शक्ति है ज्ञान। इसलिए श्रृंगार नहीं अपितु ज्ञान की शक्ति एक महिला को विशेष बनाती है।   ज्...

तीज: प्रकृति का तप, पुरुष का संकल्प!!



पुरुषों के संकल्प के बिना अधूरा है तीज व्रत!! 
   
   कहने को तीज भले ही महिलाओं का पर्व माना जाता हो किंतु तीज पुरुष के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि महिलाओं के लिए। यह कठिन व्रत भले ही महिलाओं द्वारा लिया जाता हो किंतु इस व्रत का आधार पुरुष ही है। दोनों के तप और संकल्प के साथ ही तीज व्रत संपूर्ण होता है। 
   तीज का व्रत सुहाग और घर परिवार की कुशलता के लिए महिलाओं द्वारा लिया जाने वाला व्रत है। इस दिन बिना अन्न जल ग्रहण किये भगवान शिव और माता पार्वती की परिवार सहित आराधना की जाती है। 
   यह महिलाओं का तप ही तो है जो इस कठिन व्रत को सफल बनाता है लेकिन इसके लिए उस पुरुष का संकल्प भी आवश्यक है। पुरुष के संकल्प के बिना स्त्री का यह कठोर व्रत फलदायी नहीं है। जहाँ स्त्री अपने अखंड सौभाग्य के लिए तप रूपी व्रत करती हैं वहीं पुरुष का अपनी स्त्री के प्रति पूर्ण भाव से संकल्पित होना भी उसी व्रत को पूर्ण करता है।

    ये संकल्प होता है अपनी स्त्री के प्रति भगवान् शिव की भाँति निष्ठा का, उसके मान का, उसके प्रति प्रेम का, विश्वास का, उसके हर कार्य को सिद्ध करने का और उसके हर तप को पूर्ण करने का। 

  शिव पुराण में भी कहा गया है कि संसार का हर पुरुष भगवान शिव का अंश है और हर स्त्री माता पार्वती का अंश है। इस जगत की केंद्र बिंदु ही शिव और शिवा हैं और हम उन्हीं की संतान। फिर उस शिवांश का तप और संकल्प तो दृढ़ होना ही चाहिए। 
 यह पर्व केवल स्त्रियों की परीक्षा का ही नहीं है अपितु यह प्रकृति और पुरुष दोनों को समरण कराने का दिन होता है कि हम उसी ईश्वर की संतान हैं जो हर धर्म से परम पूजनीय हैं। जिस प्रकार से शिव और शिवा एक ही हैं। उसी प्रकार से उनके सभी कर्म एक उद्देश्य में निहित हैं इसीलिए शिव का संकल्प और देवी शिवा का तप एक दूसरे के पूरक हैं। 

पहचाने अपने अंदर के शिव और पार्वती को
  तीज का व्रत एक पर्व है जो प्रकृति और पुरुष दोनों को समान रूप से आनंदित करता है और जो दोनों को एक दूसरे का पूरक होने का संदेश देता है। जैसे कि शिव और शिवा के संबंध में कहा गया है कि दोनों इस प्रकार पूरक हैं जैसे कि वृक्ष और लताओं का, आकाश और पृथ्वी का, हवा और सुगंध का, सागर और तरंग का। और सबसे अधिक तो यह व्रत है स्वयं के अंदर बसे पार्वती और शिव को पहचानने का जो तप की शक्ति और संकल्प के ठोस आधार के साथ हमें अपने धर्म में आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं। 
  जिस प्रकार से माता पार्वती ने कठोर तप कर अपने परम पूज्य शिव को प्राप्त किया था और इस तप के साथ भगवान् शिव ने माता को पूर्ण संकल्प के साथ ग्रहण किया था ठीक उसी तरह का तप और संकल्प शिव और शिवा हर गृहस्थ को प्रदान करें।
इस तीज पर भगवान् शिव और माता पार्वती की कृपा सभी पर बनी रहे। हरियाली तीज की हार्दिक शुभकामनाएं। 

एक -Naari

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