गर्मियों का मौसम है तो गर्मी होगी ही लेकिन जब पृथ्वी का तापमान ही औसत से अधिक होना आरंभ हो जाए तो गर्मी का भीषण होना स्वाभाविक है। हमें इस बात का ध्यान रखना होगा कि अगर प्रकृति के साथ मानव की अनावश्यक छेड़छाड़ होगी तो उसका असर किसी न किसी रूप में दिखेगा ही। फिर भी प्रकृति तो माँ है,"मदर नैचर" है, इसीलिए प्रकृति हमें सिखाती है कि विपरीत परिस्थिति में भी स्वयं का संतुलन किस प्रकार किया जाए बस प्रकृति को समझना आवश्यक है। तभी तो प्रकृति माँ हमें योग भी सिखाती है।
अब जैसे योग का अर्थ केवल मन, मस्तिष्क, शरीर तक ही सीमित नहीं है अपितु मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य (adjustment) भी है इसीलिए गर्मियों में शरीर के ताप का संतुलन भी योग के द्वारा संभव है।
बाहर चाहे कितनी भी गर्मी हो लेकिन प्राकृतिक तरीके से शरीर को ठंडा करने का आसान सा उपाय है, शीतली, शीतकारी एवं भ्रामरी प्राणायम। केवल दस मिनट के इन योग से शरीर के अंदर की ताप को नियंत्रित कर सकते हैं जिससे गर्मी में मिलेगा आराम...
शरीर को ठंडक देने वाले तीन प्राणायाम...
Three Yogasanas to cool down...
1- शीतली प्राणायाम: शीतली शब्द का अर्थ शीतल अर्थात ठंडा एवं शांत से है। जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि इसका उद्देश्य शरीर के ताप को नियंत्रित करना है इसलिए शीतली प्राणायाम करने से शरीर को शीतलता का अनुभव कराता है और साथ ही मन को शांत रखता है। इस क्रिया से शीतलता और मानसिक शांति का अनुभव तो होता ही है साथ ही रक्तचाप संतुलन में भी सहायक है।
शीतली प्राणायाम का तरीका
1- अपनी योग मैट पर शांति से ध्यान आसन में बैठे।
2- आँखे बंद करके शरीर को थोड़ा शिथिल करने का प्रयास करें। हाथ की ध्यान मुद्रा बनाते हुए घुटनों पर रखें।
3- मुँह खोलें और जीभ को बाहर निकालकर जीभ के दोनों किनारों को एक नली (ट्यूब) की भाँति गोल (रोल) करें।
4- इसी नलिका से सांस को अंदर खींचे जिससे हवा की ध्वनि आए।
5- सांस अंदर लेते ही मुँह बंद कर दें और अपनी क्षमता अनुसार सांस रोके फिर धीरे धीरे बाईं नासिका से सांस छोड़े। मुँह में ठंडक का आभास होगा। इस क्रिया को 10 बार दोहराएं। धीरे धीरे क्रम को आगे बढ़ाएं।
2- शीतकारी प्राणायाम : सीतकारी का अर्थ शीत (ठंडा) और कारी का अर्थ करने वाला है। अर्थात सीतकारी प्राणायाम शरीर में शीतलता उतपन करता है। इस क्रिया को करते समय 'सी' की ध्वनि का आभास होता है और पूरे शरीर में ठंडक होती है। शीतकारी प्राणायाम से चिंता, तनाव, क्रोध पर भी नियंत्रण रहता है और रक्तचाप भी संतुलित होता है। पित्त दोष (गर्मी) में भी लाभकारी है।
सीतकारी प्राणायाम का तरीका
1- अपनी योग मैट पर शांति से ध्यान आसन में बैठे।
2- आँखे बंद करके शरीर को थोड़ा शिथिल करने का प्रयास करें। हाथ की ध्यान मुद्रा बनाते हुए घुटनों पर रखें।
3- दोनों जबड़ों के दांतों को आगे से आपस में मिलाते हुए होंठों को खोलते हैं। (बत्तिसी दिखाना) जीभ को तालु पर या दांतों के पीछे लगाते हैं और एक लंबी सांस अंदर लेते हैं जिससे "सी की ध्वनि उत्पन्न होती है।
4- इस क्रिया में ठंडी हवा दांतों से होती हुई मुँह में जायेगी और अब मुँह बंद करके अपनी क्षमता अनुसार सांस रोककर फिर बाएँ नासिका से धीरे धीरे छोड़े।
इस क्रिया को 10 बार दोहराएं। धीरे धीरे क्रम को आगे बढ़ाएं।
3- भ्रामरी प्रणायाम: मन और शरीर को ठंडा रखने के लिए भ्रामरी प्राणायाम बहुत ही लाभकारी है। भ्रामरी का अर्थ भ्रमर (भँवरे) से है और इसे करते समय भँवरे के कुंजन का आभास होता है इसलिए इसे हमिंग बी प्राणायाम से भी जाना जाता है। इससे मस्तिष्क पर शीघ्र प्रभाव पड़ता है। किसी भी तनाव, चिंता, क्रोध पर नियंत्रण होता है, उच्च रक्तचाप संतुलित होता है, अच्छी नींद में सहायक और अंतःस्त्रावि ग्रंथियों का स्राव भी ढंग से करता है। भ्रामरी से शरीर और मन दोनों हल्के शांत और शीत होते हैं क्योंकि इस क्रिया के कंपन से तंत्रिका तंत्र में प्रभाव पड़ता है और मन, मस्तिष्क, शरीर संतुलित रहता है।
भ्रामरी प्रणायाम का तरीका
1- अपनी योग मैट पर शांति से पदमासन या सुखासन में बैठे।
2- आँखे बंद करके मन को शांत करने का प्रयास करें।
3- दोनों अंगूठों से कान के छिद्र बंद करे।
4- दोनों तर्जनी (index finger) माथे में और मध्यमा (middle), अनामिका (ring) और कनिष्का (little)अंगुली को आँखों और गाल पर रखें।
5- नाक से गहरी सांस लें और फिर मुँह बंद करते हुए “ॐ” के उच्चारण के साथ सांस धीरे धीरे छोड़े। इस प्रकार से भवरें का कुंजन या मधुमक्खी के भिनभिनानेे का आभास होता है।
इस क्रिया को, 5-7 बार दोहराएं।
वीडियो सौन्जन्य: योगाचार्य सुश्री प्राची भट्ट (हिमालयन योगपीठ, देहरादून)
शीतली, शीतकारी, भ्रामरी प्राणायाम करते समय बरतनी चाहिए सावधानियां...
Precautions while doing Pranayam (Sheetali, Sheetkari, Bhrahmari)
1- ये सभी प्राणायाम बाकी सभी आसनों के बाद ही करने चाहिए।
2- शीतली या शीतकारी प्राणायाम सर्दियों के मौसम या ठंड में नहीं करना चाहिए।
3- सांस के रोगी जैसे अस्थमा या बलगम से पीड़ित लोगों एवं कम रक्तचाप के रोगी को भी इस शीतली/सीतकारी प्राणायाम से बचना चाहिए।
4- कान के किसी भी संक्रमण में भ्रामरी न करें।
5- योग हमेशा कुशल योग प्रशिक्षक के निरीक्षण में करें।
एक -Naari
इन गर्मियों के मौसम में बहुत ही उपयोगी जानकारी
ReplyDeleteइस गर्मी के मौसम में बहुत ही उपयोगी जानकारी।
ReplyDeleteBahut aachi jankari
ReplyDeleteVery relatable to the weather these days...must do for everyone
ReplyDeleteBahut acchi jaankari
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