थोड़ा कुमाऊँ घूम आते हैं...भाग-2

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थोड़ा कुमाऊँ घूम आते हैं...भाग- 2   पिछले लेख में हम हरिद्वार स्थित चंडी देवी के दर्शन करके आगे बढ़ रहे थे यानी कि उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल से अब कुमाऊँ मंडल की सीमाओं में प्रवेश कर रहे थे बता दें कि उत्तराखंड के इस एक मंडल को दूसरे से जोड़ने के लिए बीच में उत्तर प्रदेश की सीमाओं को भी छूना पड़ता है इसलिए आपको अपने आप बोली भाषा या भूगोल या वातावरण की विविधताओं का ज्ञान होता रहेगा।     कुमाऊँ में अल्मोडा, नैनीताल, रानीखेत, मुक्तेश्वर, काशीपुर, रुद्रपुर, पिथौरागढ, पंत नगर, हल्दवानी जैसे बहुत से प्रसिद्ध स्थान हैं लेकिन इस बार हम केवल नैनीताल नगर और नैनीताल जिले में स्थित बाबा नीम करौली के दर्शन करेंगे और साथ ही जिम कार्बेट की सफ़ारी का अनुभव लेंगे।   225 किलोमीटर का सफर हमें लगभग पांच से साढ़े पांच घंटों में पूरा करना था जिसमें दो बच्चों के साथ दो ब्रेक लेने ही थे। अब जैसे जैसे हम आगे बढ़ रहे थे वैसे वैसे बच्चे भी अपनी आपसी खींचतान में थोड़ा ढ़ीले पड़ रहे थे। इसलिए बच्चों की खींचतान से राहत मिलते ही कभी कभी मैं पुरानी यादों के सफर में भी घूम रही थी।     कुमाऊँ की मेरी ये तीसर

थोड़ा खाएं पर ताज़ा खाएं।


थोड़ा खाएं पर ताज़ा खाएं।


हम सभी को ज्ञात है कि गर्मियों में खानपान जितना सादा, सुपाच्य और हल्का हो उतना ही अच्छा है और भोजन ताजा खाया जाए वो ही स्वास्थ्य के लिए सबसे अच्छा है। किंतु फिर भी हम लोग कई बार अपनी आदतों या अपने आलस या फिर समय की कमी या फिर अन्य कारणों से बासी भोजन करते हैं जो स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है।
   क्योंकि ताज़े भोजन में हमें जो पोषक तत्व मिलते हैं वो बासी भोजन से नहीं मिलते। उनसे केवल पेट भरा जा सकता है, स्वस्थ शरीर नहीं। इसके उलट बासी खाने से कई प्रकार के उदर (पेट) रोग हो जाते हैं। इसलिए थोड़ा खाओ लेकिन ताज़ा खाओ।

बासी खाना किसे माना जाए: बचा हुआ खाना (leftover food) कुछ समय के बाद बासी कहलाता है साथ ही हम कह सकते हैं कि पकाए हुए भोजन के 3 घंटे के बाद जो बचा हुए खाना हो उसे बासी मान लेना चाहिए। सुबह की बनाई सब्जी दोपहर में खाने पर बासी मानी जाती है। यानी की एक पहर के बाद भोजन बासी हो जाता है।

 


क्यों न करें बासी भोजन का सेवन:
   ताजे भोजन करने से आवश्यक पोषक तत्व और विटामिंस शरीर को मिलते हैं जबकि इसी भोजन को गर्म करने से पोषक तत्वों में कमी आ जाती है और बार बार गर्म करने पर यह भोजन केवल पेट भरने का काम करता है जिसमें पोषक तत्व शून्य होता है और भोजन के अंदर ही हानिकारक संघटन (कम्पोजिशन) होने लगता हैं। साथ ही बासी भोजन में नमी सूखने लगती है और बैक्टेरिया और कई रोगजनक (Pathogen)पनपने लगते हैं जिसके कारण रासायनिक क्रियाएँ होने लगती हैं और भिन्न भिन्न प्रकार का संक्रमण हो जाता है।
   आयुर्वेद के अनुसार भी 3 घंटे के बाद तक ही भोजन को ताजा माना जाता है और बचे खाने को 24 घंटे के बाद तो उपभोग भी नहीं करना चाहिए। माना जाता है पका हुआ भोजन दो घंटे के अंदर खा लेना चाहिए और अगर सेवन न करना जो तो 90 मिनट के अंदर इस भोजन को अच्छे से बंद करके फ्रीज़ में रख देना चाहिए क्योंकि बाहर रखने पर बैकटीरिया तेजी से वृद्धि करता है और भोजन सड़ने की क्रिया आरंभ होने लगती है।

बासी भोजन के नुकसान:


बचे हुए खाने में बैक्टीरिया उत्पन्न होने लगते हैं और अगर पका हुआ भोजन तीन घंटे से अधिक समय से तैयार है और बाहर रखा हुआ है तो उसमें बैक्टीरिया की वृद्धि और भी तेजी से होने लगती है। अब इस भोजन को अगर से सेवन किया जाए तो शरीर में बैटीरियल इंफेक्शन हो जाता है जिससे कि उदर संबंधित रोग जैसे कि अपच, दस्त, गैस, एसिडीटी, बुखार के साथ साथ फूड पॉइसनिंग (Food Poisioning) हो सकती है। साथ ही बचे हुए भोजन को बार बार गर्म करके खाने से शरीर में कैंसर कारक कोशिकाओं की भी वृद्धि होती है। आयुर्वेद में बासी भोजन को तामसिक भोजन माना है जिससे न केवल शरीर अपितु हमारे मन पर भी नकारात्मक प्रभाव होता है। 

 
इस भोजन को गर्म करने से पहले ध्यान दें...

food that should not be reheated

- चावल: बचे हुए चावल में बैसिलस सेरेअस नाम का बैक्टीरिया पनपता है जो कि कुछ समय बाद वृद्धि करने लगता है ऐसे में हम बासी या ठंडे चावल को गर्म भी करते हैं तो फूड पॉइज़निंग का डर बना रहता है। हालांकि भारत के कुछ राज्यों में बासी चावल खाने का प्रचलन भी है जिसे रात में पानी में भिगोया जाता है और सुबह खमीर (फरमेंट) होने पर इन चवालों का सेवन किया जाता है। जिसके लिए कहा जाता है कि इससे शरीर को ठंडक मिलती है और पेट भी सही रहता है। ध्यान रखें एक निश्चित अवधि के लिए ही चावल रखा जाता है और इसे बिना गर्म किये ही खाया जाता है।

 
- मशरूम: मशरूम का सेवन भी उसी समय कर लेना चाहिए क्योंकि मशरूम में प्रोटीन होता है और इसको बार बार गर्म करने से प्रोटीन टूटता है और अन्य हानिकारक घटकों में बदलता है जो पेट के लिए उचित नहीं है।
- चिकन, अंडे, सी फूड: ऐसे ही अंडे में भी प्रोटीन होता है इसलिए बासी अंडे या उस से बनी सब्जी को भी सेवन में नहीं लाना चाहिए। बासी अंडे में सैल्मोनमा नाम का बैक्टीरिया पनपने लगता है, जिससे फूड पॉयजनिंग का खतरा हो सकता है।
- आलू: आलूओं को भी ताज़ा खाना चाहिए क्योंकि पके हुए आलू में जो बैक्टीरिया पनपता है वो बॉटुलिज्म बीमारी का कारण बन सकता है जिसके कारण शरीर में कमजोरी, आँखों में धुंधलापन और की शिकायत होती है।
- पालक: हरी पालक जितनी जल्दी बिना पके खराब होती है उतनी ही जल्दी पक कर भी खराब हो जाती है। पालक पौष्टिक गुणों से भरपूर होती है। इसमें नाईट्रेट होता है जो रक्त चाप को नियंत्रित करता है। वहीं बची हुई पालक को गर्म करने पर नाइट्रेट  कैंसर का कारण बन सकता है। इसी तरह चुकन्दर को भी गर्म करने से परहेज करना चाहिए क्योंकि चुकन्दर में नाइट्रिक ऑक्साइड होता है।


बासी खाने से कैसे बचें:

Save yourself from stale food 

1- सबसे पहले तो भोजन को अन्नपूर्णा माना जाए इसलिए उतना ही बनाये जितने की आवश्यकता हो। क्योंकि इसको बचाना या फेंकना अन्नपूर्णा का अपमान होगा। इसके लिए भले ही थोड़ा बनाये लेकिन ताज़ा खाएं के सिद्धांत को अपनाएं।

यह एक ऐसा सिद्धांत है जो हमारी पेट संबंधी विकारों को दूर करेगा और हमारी आदतों में भी सुधार लायेगा।
 
2- खाना पकाने के 90 मिनट तक खाना खा लेना चाहिए। अन्यथा दो घंटे मे तो फ्रीज़ में रख देना चाहिए। क्योंकि फ्रीज़ के कम तापमान में खाना एक निश्चित अवधि के लिए बचाया जा सकता है। भोज्य पदार्थ को 5°C से कम तथा 60°C से ऊपर ही रखना चाहिए जिससे कि भोजन को जीवाणुओं से बचाया जा सके। बचा हुआ खाना अगर खाना हो तो 70°C पर गर्म करके ही प्रयोग में लाना चाहिए। (माइक्रोवेव का प्रयोग कम से कम करें।) 

 
3- फ्रिज की नियमित रूप से सफाई करें और समान की व्यवस्था पर भी ध्यान दें। जैसे पके हुए भोज्य पदार्थ को कच्चे फल और सब्जियों से अलग रखें जिससे कि फ्रीज़ के अंदर कोई भी अति सूक्ष्म जीव अन्य चीजों पर भी संक्रमण न करे। दूध या अन्य समान को भी ढ़क कर रखें। (इस गलत फहमी में न रहें कि फ्रीज़ में रखा समान कई दिनों तक खराब नहीं होता। ध्यान दें कि फ्रिज केवल साल्मोनेला, ई-कोलाई और बोटुलिनम इत्यादि जैसे बैक्टीरिया की वृद्धि दर को केवल कम कर देता है। चूंकि हम गर्म खाने को सीधे फ्रीज़ में नहीं रखते हैं और इस दौरान ही बैक्टीरिया और अन्य रोगजनक (Pathogens) खाने में प्रजनन करते हैं।  )
4- काम काज़ी महिलाएं या अन्य भी समय की कमी के कारण या अपनी सुविधानुसार अधिक खाना बनाती हैं या फल सब्जियां काटकर संभालती है तो अपनी आदतों पर थोड़ा सुधार अनिवार्य है क्योंकि कम समय का उचित प्रबंधन किया जा सकता है लेकिन कम समय के कारण अपनी सेहत से खिलवाड नहीं किया जा सकता। (अमेरीकन कैंसर एसोसिएशन के अनुसार बासी खाना या फ्रिज में रखे खाने को गर्म करने से टॉक्सिंस पैदा होते हैं जो आगे चलकर कैंसर कोशिकाओं को बढ़ाने का काम करते हैं।)

Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारी या सुझाव, सामान्य सूचना के उद्देश्य पर आधारित है। किसी भी प्रकार के स्वास्थ्य संबंधी परेशानी के लिए तुरंत अपने डॉक्टर से परामर्श लें। 

Pic source: freepik

एक -Naari

Comments

  1. A nice read with lots and lots of information. I will definitely follow this 💗

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  2. Good to know information,but sometimes difficult to apply.

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  3. अत्यधिक महत्वपूर्ण जानकारी। साधुवाद

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