Posts

Showing posts from April, 2023

International Women's Day

Image
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस International Women's Day  सुन्दर नहीं सशक्त नारी  "चूड़ी, बिंदी, लाली, हार-श्रृंगार यही तो रूप है एक नारी का। इस श्रृंगार के साथ ही जिसकी सूरत चमकती हो और जो  गोरी उजली भी हो वही तो एक सुन्दर नारी है।"  कुछ ऐसा ही एक नारी के विषय में सोचा और समझा जाता है। समाज ने हमेशा से उसके रूप और रंग से उसे जाना है और उसी के अनुसार ही उसकी सुंदरता के मानक भी तय कर दिये हैं। जबकि आप कैसे दिखाई देते हैं  से आवश्यक है कि आप कैसे है!! ये अवश्य है कि श्रृंगार तो नारी के लिए ही बने हैं जो उसे सुन्दर दिखाते है लेकिन असल में नारी की सुंदरता उसके बाहरी श्रृंगार से कहीं अधिक उसके मन से होती है और हर एक नारी मन से सुन्दर होती है।  वही मन जो बचपन में निर्मल और चंचल होता है, यौवन में भावुक और उसके बाद सुकोमल भावनाओं का सागर बन जाता है।  इसी नारी में सौम्यता के गुणों के साथ साथ शक्ति का समावेश हो जाए तो तब वह केवल सुन्दर नहीं, एक सशक्त नारी भी है और इस नारी की शक्ति है ज्ञान। इसलिए श्रृंगार नहीं अपितु ज्ञान की शक्ति एक महिला को विशेष बनाती है।   ज्...

तो चलिए मिलते हैं फिर...

Image
तो चलिए मिलते हैं फिर...    मुझे लगता था कि तुम कोई मिस्टर इंडिया की तरह हो जिसकी केवल आवाज ही सुनाई देती है लेकिन आज जब तुम से मिली तो लगा कि ये मिस्टर इंडिया चाहे कितना भी गायब रहे लेकिन है, सभी के साथ।  चलिए अब तो मुलाकात हो ही गई। उनसे ही जिसे कभी देखा नहीं था लेकिन हाँ सुना बहुत था।     बचपन से बहुत सी आवाजे़ कानों में गूंजती रहती थी। कभी गीत संगीत तो कभी सूचना, कभी चर्चा परिचर्चा और जानकारी भी। ऐसा लगता था कि उस छोर पर कोई अपना बैठा है जिसे हम एक एक धातु के डब्बे की सुइयों को ऊपर नीचे करके सुन रहे हैं। और अपने अलग अलग अंदाज़ से हम सभी के दिलों को आपस में जोड़ रहा है। सच कहूँ तो जनमानस के जीवन का एक अनूठा हिस्सा है, रेडियो। कल (28अप्रैल 23) उसी रेडियो यानी आकाशवाणी से मिली जहाँ मैंने अपना पहला आलेख प्रस्तुत किया।     आकाशवाणी में मेरा यह पहला अनुभव था जिसनें मुझे ध्वनियों के संसार का केंद्र बिंदु दिखाया। एक ध्वनिरोधी (साउंडप्रूफ) कमरे में केवल अपनी आवाज को सुनना अपने लिए तो बहुत अच्छा था लेकिन जब इसे लाखों लोगों न...

उत्तराखंड: चार धाम यात्रा के नियम

Image
उत्तराखंड: चार धाम/पहाड़ी यात्रा के नियम उत्तराखंड की चार धाम यात्रा का आरंभ हो चुका है। यह एक ऐसा समय है जब सनातन धर्म से संबंधित प्रत्येक व्यक्ति इस यात्रा का अनुभव करना चाहता है। यह हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण धार्मिक यात्रा है जिसके लिए कहा जाता है कि मनुष्य को अपने जीवनकाल में एक बार तो अवश्य ही चार धाम यात्रा करनी चाहिए। लेकिन आज के समय में यह यात्रा केवल तीर्थ यात्रा ही नहीं अपितु बहुत लोगों के लिए रोमांचक, साहसिक, जिज्ञासा, रहस्य, शांति और ध्यान केंद्रित यात्रा है। किंतु आज के समय देखा गया है इससे भी आगे कुछ लोगों के लिए यह यात्रा केवल उनकी पिकनिक की भाँति है जहाँ वे खुलकर मौज,मस्ती मज़ा, मज़ाक, शरारत, उत्पात, माँस मदिरा, फूहड़ गीत संगीत और अय्याशी की यात्रा करते हैं।  सभी को यह ध्यान में रखना चाहिए कि उत्तराखंड की चार धाम यात्रा जप, तप और दान के लिए होती है। जहाँ पर किया गया पुण्य मोक्ष के द्वार खोलता है और यहाँ किया गया किसी भी प्रकार का गलत काम उस व्यक्ति को रोग, दोष और अनिष्ट का भागीदार बनाता है।    पहाड़ की इस तीर्थ यात्रा पर भले ही पहल...

प्रकृति और मानव

Image
प्रकृति और मानव  Nature and Human आखिर तुम्हारे दर्शन हो ही गए। लगभग तीन साढ़े तीन साल से इंतज़ार कर रही थी कि कब तुम्हारे दर्शन होंगे और एक तुम थे कि जिसे देखकर लग रहा था कि अपनी जिद्द में अड़े हो और मेरी प्रतिक्षा की परीक्षा ले रहे हो। खैर! जो भी था लेकिन अब तो मैंने भी मान लिया है कि "सब्र का फूल लाल होता है।"    अक्सर में यही सोचा करती थी कि जिसके लोग दीवाने हैं उसमें आखिर ऐसा है क्या?? क्योंकि मेरे लिए तो सभी फूल खुशी, प्यार, शांति का प्रतीक है लेकिन फिर भी दुनिया के 10 खूबसूरत फूलों में से एक फूल को अपने सामने खिलता हुआ देखना भला किसे पसंद नहीं। अब भले ही चाहे वो शुद्ध लिलि के स्थान पर उसका एक प्रतिरूप लाल लिलि (Amaryllis lily/ लाल कुमुदनी) क्यों न हो। इसके खिलने के साथ ही मेरा इंतज़ार खत्म हो गया और एक नई सीख भी दे गया।    इस एक छोटे से पौधे को तीन - साढ़े तीन साल पहले अपने ऑफिस के एक गमले में लगाया गया था। लेकिन साल भर बाद भी इसमें कोई अच्छी वृद्धि नहीं हो पाई थी। फिर माली को लगा कि जब इसमें कोई फूल नहीं आ रहा है तो इसे हटा कर इस...

जय श्रीराम

Image
जय श्री राम हनुमान जी का नाम राम नाम के बिना अधूरा है। अगर हनुमान जी का सुमिरन करना है तो भगवान राम का नाम उनकी भक्ति का पूरक है। इसलिए हनुमान  जन्मोत्सव पर... जय श्री राम।    कृष्ण जन्माष्टमी में घर घर में नन्हें मुन्ने बाल गोपाल कान्हा   जैसे भगवान कृष्ण का बाल रूप मनमोहक है वैसे ही बलशाली हनुमान अपने बाल हनुमान के रूप में सभी के प्रिय हैं तभी तो हर माता को अपने पुत्र में नटखट कान्हा और बाल हनुमान की छवि दिखाई देती है। और उसे उसी रूप में देखकर मन में अति उत्साही और आनंदित भी होती हैं और हो भी क्यों न, क्योंकि चाहे कान्हा हो या बाल हनुमान ये तो सभी के प्रिय है। वैसे ही राम भी जन जन के प्रिय हैं और घर घर में वंदनीय हैं। बस आज थोड़ा राम की छवि समाज में दिखना भी कम हो गया है। या कहें कि समाज में राम गायब होता नज़र आ रहा है। लेकिन अगर मानो तो राम हर जगह विद्यमान हैं,, “रमंते सर्वत्र इति रामः” (जो सब जगह व्याप्त है, वह राम है) क्योंकि जिसका मन सुंदर है उसके लिए हर जगह राम है।    अब भले ही राम का नाम आज कुछेक लोगों ने केवल अपने धर्म से जोड़ दिय...