उत्तराखंड: चार धाम/पहाड़ी यात्रा के नियमउत्तराखंड की चार धाम यात्रा का आरंभ हो चुका है। यह एक ऐसा समय है जब सनातन धर्म से संबंधित प्रत्येक व्यक्ति इस यात्रा का अनुभव करना चाहता है। यह हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण धार्मिक यात्रा है जिसके लिए कहा जाता है कि मनुष्य को अपने जीवनकाल में एक बार तो अवश्य ही चार धाम यात्रा करनी चाहिए। लेकिन आज के समय में यह यात्रा केवल तीर्थ यात्रा ही नहीं अपितु बहुत लोगों के लिए रोमांचक, साहसिक, जिज्ञासा, रहस्य, शांति और ध्यान केंद्रित यात्रा है। किंतु आज के समय देखा गया है इससे भी आगे कुछ लोगों के लिए यह यात्रा केवल उनकी पिकनिक की भाँति है जहाँ वे खुलकर मौज,मस्ती मज़ा, मज़ाक, शरारत, उत्पात, माँस मदिरा, फूहड़ गीत संगीत और अय्याशी की यात्रा करते हैं।
सभी को यह ध्यान में रखना चाहिए कि उत्तराखंड की चार धाम यात्रा जप, तप और दान के लिए होती है। जहाँ पर किया गया पुण्य मोक्ष के द्वार खोलता है और यहाँ किया गया किसी भी प्रकार का गलत काम उस व्यक्ति को रोग, दोष और अनिष्ट का भागीदार बनाता है।
पहाड़ की इस तीर्थ यात्रा पर भले ही पहले केवल बुजुर्ग या परिवार के बड़े बूढ़े मोक्ष प्राप्ति के लिए जाया करते थे लेकिन अभी किसी भी आयु वर्ग का व्यक्ति इस तीर्थ यात्रा का अनुभव कर सकता है। क्योंकि अभी उत्तराखंड पर्यटन के क्षेत्र में अधिक ध्यान केंद्रित कर रहा है। तभी तो तीर्थ यात्री कम और सैलानी इन यात्राओं का अनुभव अधिक ले रहे हैं। अभी यात्री चाहे तीर्थ के लिए हों या अन्य विशेष उद्देश्य के लिए लेकिन सभी के लिए इन पहाड़ी यात्राओं के नियम भी हैं। जिनका पालन करने से यात्रा न केवल अपने लिए अपितु सभी के लिए भी सुखद रहेगी।
अब भले ही इन्हें यहाँ नियम के रूप में बताया गया है लेकिन ये नियम से अधिक पहाड़ी यात्रा के शिष्टाचार हैं इसलिए जब भी उत्तराखंड आयें तो ध्यान दें...
1- सबसे जरूरी नियम तो यही है कि अगर आप स्वस्थ हैं और इन यात्राओं को अपनी जिम्मेदारियों पर करने में सक्षम हैं, तभी उत्तराखंड के तीर्थ स्थल पर जाएं। किसी भी प्रकार के संक्रमण, बीमारी या असुविधा के साथ यात्रा करना अपने साथ साथ दूसरों (मनुष्य और जानवर) के लिए भी महंगा पड़ सकता है। यहाँ के मौसम परिवर्तन या उच्च हिमालयी क्षेत्र के कम तापमान पर दिल, फेफड़े और मस्तिष्क पर असर पड़ता है इसलिए अपनी सुरक्षा का ध्यान रख कर ही आगे जाना चाहिए।
2- बड़ा ही सामान्य सा नियम है जो मुख्यत: पहाड़ी मार्ग पर दिखाई देता है कि 'उपर आती हुई गाड़ी को स्थान दे'। अब भले ही यह यातायात नियम को बताए लेकिन यह पहाड़ पर चढ़ने वालों पर सभी के लिए लागू है।
चाहे गाड़ी हो या पैदल चलने वाले यात्री वो चढ़ते समय गुरुत्वाकर्षण के खिलाफ चढ़ रहा होता है इसलिए उसको नीचे आते हुए गाड़ी से अधिक ऊर्जा ताकत की आवश्यकता होती है साथ ही चढ़ाई के समय उसके पास देखने के लिए एक सीमित या संकीर्ण क्षेत्र होता है जबकि उतराई के समय एक व्यापक क्षेत्र देखने से अच्छा अनुमान लग जाता है। इसलिए अपनी यात्रा को सुखद बनाने के लिए इस नियम का हमेशा पालन करें।
3- पहाड़ी यात्राओं को मज़ाक में न ले। गाड़ी चलाते समय या पैदल यात्रा के समय ध्यान से आगे बढ़े। नदी, पर्वत, झरने, जंगल सभी प्राकृतिक दृश्यों का आनंद लें लेकिन सावधानी के साथ। सेल्फी और फोटो के चक्कर में किसी भी प्रकार का जोखिम न लें।
4- शौच के लिए टॉयलेट का प्रयोग करें। रास्ते में या कैंप के दौरान शौच आने पर रास्ते से अलग एवं अपने स्थान से थोड़ी दूरी पर शौच जाएं क्योंकि मल मूत्र की गंध कई जंगली जानवरों को आकर्षित करती है। साथ ही बहते पानी की धाराओं से भी दूर रही चाहिए जिससे कि पानी में किसी भी प्रकार का प्रदूषण न हो। क्योंकि पहाड़ पर पानी पीने के लिए यही प्राकृतिक स्त्रोत होते हैं।
5- यात्रा के समय अपना कूड़ा एक बड़े बैग में एकत्रित करें। जगह जगह कचरा न फैलाएं और कूड़ा कचरा केवल कुड़ेदान में ही डालें। यहाँ तक कि प्रयोग किये गए टिशू पेपर या गीले वाइप्स भी बाहर न फेंके क्योंकि पहाड़ों में तापमान कम होता है इसलिए इन्हें डिकॉम्पोस होने में अधिक समय लगता है।
6- अपनी यात्रा के दौरान किसी किसी भी प्रकार की आग न जलाएं। यहाँ तक कि सुलगती हुई छोटी सी बीड़ी या सिगरेट का अंश भी पूरा का पूरा जंगल जला सकता है इसलिए ध्यान रखें कि थोड़ी सी लापरवाही भी पहाड़ को बहुत नुकसान पहुंचाती है। पर्यावरण के साथ गैर जिम्मेदाराना व्यवहार आपकी यात्रा को कठोर दंड की ओर ले जा सकता है।
7- किसी भी प्रकार का ऊँचा या फूहड़ संगीत न बजाए। ये ऊँचे ऊँचे पहाड़ पर स्थित धार्मिक स्थल हैं इसलिए पहाड़ और पहाड़ी लोगों (स्थानीय लोग) के साथ साथ अन्य सभी यात्रियों का भी सम्मान करें और उनके प्रति थोड़ा संवेदनशील बनें। यहाँ पर केवल लोग ही नहीं एक बहुत बड़ा पारिस्थितिकी तंत्र रहता है जो अपनी तरह से काम करता है। अनावश्यक शोर शराबा यहाँ के पर्यावरण, बस्ती के लोग और जीव जंतुओं को परेशान करता है।
ध्यान रखें कि आपका किसी भी प्रकार का अशिष्ट या अभद्र व्यवहार या फिर किसी भी प्रकार की अनुचित गतिविधियां आपको मुसीबत में डाल सकती हैं।
8- बिना प्लान और बिना पंजीकरण के यात्रा पर न निकले। किसी भी प्रकार की असुविधा से बचने एवं उत्तराखंड में अपनी यात्रा को सुखद बनाने के लिए हमेशा विश्वसनीय ट्रैवल और टूर कंपनी के साथ ही संपर्क करें।
पहाड़ी यात्रा के समय आवश्यक समान (essential things to carry while travelling to hills)
- गर्म कपड़े ( टोपा, मोजा, दस्ताने, मफलर, जैकेट)
- जरूरी दवाएं ( आपातकालीन दवा, जैसे- सिर दर्द, बुखार, उल्टी या दस्त)
- ग्लूकोज़ पाऊडर और ऊर्जा देने वाले स्नैक्स (चोकलैट, ड्राई फ्रूट, एनर्जी बार)
- छाता/ बरसती (मौसम परिवर्तन के समय उपयोग)
- टॉर्च/ इमर्जेंसी लाइट (बिजली की असुविधा से बचने के लिए)
- नकदी (कई बार atm या upi काम नहीं करता)
- पॉवर बैंक
- अच्छे जूते ( जो चलते समय आरामदायक और मजबूत हो)
- धूप का चश्मा, संसक्रीन लोशन ( सन बर्न से बचने के लिए न्युनतम 40 spf वाली)
- फोटो और पहचान पत्र
पहाड़ी यात्रा के नियम/ शिष्टाचार अपनाएं और उत्तराखंड के पर्यटन का आनंद लें।
एक -Naari
Excellent 👍
ReplyDeleteThanx Reena ji....very informative 👌👌👏👏 - Santoshi (riya sharma)
ReplyDeleteVery nice piece of writing
ReplyDeleteVery informative Reena 👏👏 Aage sejab bhi pahado mei jane ka plan banayenge to in dab baaton ka dhyan zarur rakhenge
ReplyDeleteNice and useful information.
ReplyDeleteVery informative. Wonderful piece of writing. Kudos
ReplyDeleteVery true...we all should know about these etiquettes while going for any hill station too.. wonderful thought
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