जिंदगी में कब क्या हो कुछ पता नहीं चलता और कई बार जब तक कुछ पता चले तब तक बहुत देर हो जाती है। बस इन्हीं सब के बीच पिछले ढाई तीन महीने बहुत अस्त व्यस्त से थे। डैडी के जाने के बाद ज्यादा कुछ समझ नहीं आ रहा था, मन भी अशांत सा था और दिमाग शून्य। इन सबके बीच जब कुछ समझ नहीं आया तो अकेले चलने लगी और जब चलना आरंभ किया तब समझ आया कि समय के साथ आगे बढ़ जाना चाहिए।
जहाँ अकारण चलना आरंभ किया था वो अब वॉक बन गई है तभी तो जहाँ शरीर भारी, मन अशांत और दिमाग शून्य सा था उसमें भी ठहराव आ गया है। अब शरीर और मन दोनों सकारात्मक ऊर्जा का आभास करते है। इसीलिए अब बस लगता है कि चलते जाना है न केवल स्वस्थ शरीर के लिए अपितु स्वस्थ मन के लिए भी। बिना किसी कारण के चलना आरंभ करने का सफर आज मुझे फिर से अपने से जोड़ रहा है शायद इसीलिए आज मुझे प्रतिदिन अपने लिए समय निकालकर एक से सवा घंटा चलना बहुत अच्छा लग रहा है।
अब इसे सैर कहिए, वॉक कहिए या चलना लेकिन अपने इस समय में लगभग 5 से 6 किलोमीटर का सफर मुझे हर बार आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रहा है और इस दौरान जो मैंने अनुभव किया वो यही बताता है कि... चलते जाना ...
Why Walk ...
- जिससे कि आपको अपने लिए समय मिले।
- जिससे कि आसपास के वातावरण का अनुभव कर सके और सकारात्मक ऊर्जा का संचरण हो।
- जिससे कि शरीर स्वस्थ रहे।
- जिससे कि नए विचार आये और नई सोच हमें प्रेरित करे।
- जिससे कि तन और मन दोनों हल्का आभास करें।
- जिससे कि हर बार थोड़ा और आगे बढ़ने का लक्ष्य बनाते रहे।
- वैसे भीड़भाड़ और प्रदूषण से बचने और प्रकृति का लाभ लेने के लिए सुबह ही सैर पर जाएं लेकिन मेरी तरह जिनके पास सुबह की चुनौतियाँ थोड़ी अधिक हैं तो शाम को भी वॉक को अपनी दिन चर्या में ला सकते है लेकिन चलने की गति थोड़ा अधिक रखे।
- पैदल चलने की गति धीरे धीरे बढ़ाये और फिर एक निश्चित अवधि के साथ एक निश्चित दूरी तय करें।
- वैसे तो वॉक किसी के साथ भी की जा सकती है, मुझे लगता है कि अकेले ही वॉक पर जाना चाहिए जिससे कि आपकी ऊर्जा एनर्जी केंद्रित रहे, नहीं तो व्यर्थ बातों में या उलझनों में रास्ता तो कट जायेगा लेकिन हम वॉक का भरपूर लाभ नहीं ले पाएंगे। (एक उम्र के बाद साथियों के साथ की गई सैर शरीर और मन दोनों को स्वस्थ रखती है।)
-वॉक करते समय अपने पॉशचर (शरीर की मुद्रा) पर अवश्य ध्यान दें।
चलने की तकनीक (walking technique)...
- चलते समय अपना सिर ऊपर रखें, सीधा देखें।
- गर्दन और पीठ सीधी रखें और पेट को हल्का कसा हुआ रखे।
- कंधों को बिना किसी दबाव या तनाव के रखें।
- कोहनी को हल्का सा मोड़ कर भुजाओं को कदम बढ़ाते हुए आराम से लहराए।
- पैरों को एड़ी से पंजों की ओर घुमाते हुए आराम से कदम बढ़ाये।
और हाँ, अगर आप हल्के मूड में वॉक करते हैं तो राह में आपको कितने ही मनोरंजक क्षण भी दिखाई देंगे या खासकर सुनाई देंगे जिनसे आप अपने मन ही मन मुस्कुराते रहेंगे और अपनी वॉक का भरपूर लाभ के साथ लुत्फ़ भी उठाएंगे।
पैदल चलना भी एक प्रकार का व्यायाम है जिसमें न किसी उपकरण की और न ही किसी कौशल की आवश्यकता होती है। बस एक गति से पैदल चलना होता है। माना जाता है कि 20 मिनट मध्यम से तेज गति से चलना,45 मिनट की कसरत के बराबर है। हम सभी जानते है कि नियमित रूप से चलने से हमारे शरीर को बहुत से लाभ मिलते है जैसे कि...
Benefits of Walk. . .
स्वस्थ ह्रदय के लिए (Healthy Heart): कई शोधों से ज्ञात हुआ है कि अपनी दिन चर्या में हम जितना अधिक पैदल चलेंगे या अपनी जीवनशैली में चलने की प्रक्रिया को बढ़ाएंगे तो हमारा हृदय भी अधिक क्षमता से पंप करेगा और धमनियों में रक्त प्रवाह भी उचित होगा। नियमित 21 मिनट की वॉक से सिस्टोलिक और डायस्टोलिक रक्तचाप नियंत्रित रहता है जिससे कि ह्रदय से जुड़ी समस्याओं का जोखिम भी 30% तक कम हो सकता है।
फेफड़ों की क्षमता बढ़ाने के लिए ( Increase Lungs Capacity): नियमित गति से पैदल चलने से हमारी सांस लेने की दर बढ़ती है जो कि एक फेफड़ों के लिए एक प्रकार का व्यायाम है। फेफड़े अपनी पूरी क्षमता से काम कर विषाक्त पदार्थो को बाहर निकालने में सहायता करता है। तभी तो पैदल चलने से हम अपने अंदर ऊर्जा का अनुभव करते हैं क्योंकि चलने से ऑक्सीजन का स्तर बढ़ता है, जिससे नॉरपेनेफ्रिन और एपिनेफ्रीन जैसे हार्मोन का स्तर बढ़ता है और हम अधिक ऊर्जा वान बनते हैं।
हड्डियों की मजबूती के लिए (Strong Muscles and Bones): मांसपेशी, जोड़ और हड्डी इन तीनों की मजबूती के लिए नियमित रूप से चलना बहुत आवश्यक है। पैदल चलने से मांसपेशियां सुडौल बनती है, हाथ पैर की नसों में होने वाले दर्द से राहत मिलती है, जोड़ो में चिकनाई आती है जिससे कि जोड़ो में पर्याप्त ऑक्सीजन और पोषक तत्व मिलते हैं और गठिया जैसे रोग से राहत मिलती है और साथ ही हड्डियों के घनत्व बढ़ाने में भी सहायक होता है जिससे कि हड्डियाँ मजबूत होती हैं।
उचित पाचन के लिए (Better Digestion): आजकल की जीवनशैली और अनुचित खान पान के साथ मुख्यत: लोग अनियंत्रित वजन और पेट की समस्या से परेशान है। वॉक करने से मेटाबोलिसम् की दर बढ़ती है और पाचन क्रिया सुचारू रूप से काम करती है जिससे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल और कब्ज जैसी समस्या से भी राहत मिलती है। वॉक करने से रक्त से शर्करा (blood सुगर) की मात्रा भी कम होती है जिससे मधुमेह बीमारी भी नियंत्रित रहती है और वजन भी साथ ही त्वचा की चमकदार होगी।
संतुलित मन के लिए (Peaceful & Balanced Mind): आजकल डिप्रेशन को गंभीर बीमारियों में गिना जाता है क्योंकि इससे तंत्रिका तंत्र को बहुत नुकसान पहुँचता है। WHO की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 20 करोड़ से अधिक लोग अवसाद या मानसिक बीमारी से जूझ रहे हैं।
पैदल चलने से तंत्रिका तंत्र के हार्मोन सक्रिय होते हैं और तनाव को दूर करते हैं। सुबह सुबह प्रकृति के समीप किया गया कदमताल मानसिक रोगों से राहत दिलाता है। यहाँ तक कि डिमेंशिया भूलने की बीमारी से बचने के लिए भी वॉक आरंभ कर देनी चाहिए।
और भी बहुत से लाभ हमें पैदल चलने/ वॉक से मिलते हैं जिनके बारे में लगभग लोगों को ज्ञात ही है लेकिन मेरे शरीर के अंदर क्या हो रहा है ये मुझे नहीं पता लेकिन तनाव वाली मानसिक स्थिति से उबर कर अब एक ऊर्जा के साथ नियंत्रित और संतुलित मन का आभास मुझे अवश्य हुआ है।
सच में, समय बड़ा बलवान होता है, ये समझना जरूरी है कि इसके साथ साथ चलते रहने से ही जिंदगी की गाड़ी भी आगे बढ़ेगी नहीं तो अव्यवस्थित और अनियंत्रित जीवन के साथ हम अपने को कहाँ पाएंगे कुछ पता नहीं और इन्हीं सब के बीच हम कहीं खो भी जायेंगे। इसलिए जब भी कुछ समझ न आए या फिर मन अशांत हो तो "चलते जाना".... Keep Going/ Keep Walking
एक -Naari
Superb thought
ReplyDeleteBahut sunder lekhan
ReplyDeleteBahot achche thoughts aur badiya jaankari. Keep writing.. 👍
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