शांत से विकराल होते पहाड़...

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शांत से विकराल होते पहाड़...   क्या हो गया है पहाड़ में?? शांत और स्थिरता के साथ खड़े पहाड़ों में इतनी उथल पुथल हो रही है कि लगता है पहाड़ दरक कर बस अब मैदान के साथ में समाने वाला है। क्या जम्मू, क्या उत्तराखंड और क्या हिमाचल! दोनों जगह एक सा हाल! कभी बादल फटने से तो कभी नदी के रौद्र् रूप ने तो कभी चट्टानों के टूटने या भू धंसाव से ऐसी तबाही हो रही है जिसे देखकर सभी का मन विचलित हो गया है। प्रकृति के विनाशकारी स्वरुप को देख कर मन भय और आतंक से भर गया है। इन्हें केवल आपदाओं के रूप में स्वीकार करना गलती है। असल में ये चेतावनी है और प्रकृति की इन चेतावनियों को समझना और स्वयं को संभालना दोनों जरूरी है।     ऐसा विकराल रूप देखकर सब जगह हाहाकार मच गया है कि कोई इसे कुदरत का कहर तो कोई प्रकृति का प्रलय तो कोई दैवीए आपदा कह रहा है लेकिन जिस तेजी के साथ ये घटनाएं बढ़ रही है उससे तो यह भली भांति समझा जा सकता है कि यह प्राकृतिक नहीं मानव निर्मित आपदाएं हैं जो प्राकृतिक रूप से बरस पड़ी हैं।    और यह कोई नई बात नहीं है बहुत पहले से कितने भू वैज्ञानिक, पर्यावरणविद और ...

कुछ कहता है 2022...Goodbye 2022

कुछ कहता है 2022...
Self Assessment (आत्म आंकलन) 
   बस अब कुछ दिन शेष है और नव वर्ष हमारे सामने अपने स्वागत के लिए खड़ा है और हम भी नव वर्ष के आगमन की तैयारी में हैं। इन बचे हुए बाकी के दिनों में हम बस यही कहते और सुनते चले जाते हैं कि "साल कब बीत गया, पता ही नहीं चला!" और पता भी तो कैसे चलेगा क्योंकि हम सभी अपने अपने जीवन में सेकंड की सुई की तरह से चलायमान है। जैसे समय किसी के लिए नहीं रुकता वैसे ही जीवन का पहिया भी लगातार चलता रहता है। तभी तो समय गुजरता रहता है और हम अपने उम्र के सफर में आगे बढ़ते रहते हैं।
   नए साल में कदम रखने की खुशी तो सभी को होती है इसीलिए तो लोग अपनी खुशीयां मनाते घर, बाजार, होटल, हिल स्टेशन या पवित्र धामों में दिखाई दे जाते हैं। जहाँ नव वर्ष के आगमन का शोर है वहीं बीता हुआ वर्ष भी कुछ कहता है जिसे सुनना भी जरूरी है। 
  'गुजरा साल कब बीता पता ही नहीं चला' की रट छोड़कर 'गुजरा साल कैसे बीता'...इस पर एक मनन अवश्य होना चाहिए। क्योंकि आने वाले कल के सुधार के लिए बीते हुए कल की एक झलक जरूरी है।
    बीता हुआ पिछला वर्ष किसी के लिए अच्छा तो किसी के लिए बुरा तो किसी के लिए सामान्य रहा होगा। सुख दुख तो हर किसी के जीवन में चलता ही रहता है। बीते साल के खूबसूरत यादें हों या कड़वे अनुभव सभी के लिए कुछ न कुछ संदेश तो दे ही रहा है और अब समय आ गया है पिछले दिन, महीने और साल के कुछ पलों को मनन करने का इसलिए याद करें गुजरे साल को और नोट करें अपने अच्छे बुरे हर अनुभव को जो अपने स्वयं के आंकलन (self assessment) के लिए आवश्यक है, जिसका अनुभव चार रूपों में कर सकते हैं। 
- मानसिक
- शरीरिक
- आर्थिक
- सामाजिक

और अगर इसमे भी कठिनाई हो तो स्वयं से ही कुछ प्रश्न करें जैसे कि....
- पूरे वर्ष में क्या अच्छा था? कौन से ऐसे क्षण थे जब हम बहुत खुश थे? इस वर्ष हमें कौन सी चीज़े प्राप्त हुई? कौन नया साथी जुड़ा? इस वर्ष हमने क्या संचय किया? इस वर्ष हमने क्या नया सीखा या क्या नया किया? हमारा स्वास्थ्य कैसा था? अपने स्वास्थ्य पर कितना ध्यान दिया? 
- इस वर्ष क्या बुरा था? हमारे लिए कौन सा समय कठिन था? हमने इस वर्ष क्या खोया? कौन साथी छुट गया? क्या हानि हुई उसका क्या परिणाम था? कौन सी चुनौतियाँ थी जो हमने पार की, कौन सी अभी बाकी हैं और हम कितने तैयार हैं? 

  और भी बहुत से प्रश्न हैं जिनका उत्तर जानने के लिए हमें बीते साल पर नज़र डालनी पड़ेगी क्योंकि अपने स्वयं के आंकलन से ही हम हर वर्ष कुछ बेहतर और यादगार बना सकते हैं और इसी तरह तो हर चुनौती से निपटने के लिए भी स्वयं को तैयार कर सकेंगे। अब भले ही किसी के लिए पिछला साल दुख और कष्ट के साथ बीता हो लेकिन विश्वास करें, नव वर्ष में सुख का अनुभव भी अवश्य होगा। 
 बीते वर्ष के दिनों का मनन करते हुए नव वर्ष का स्वागत करें।
 नव वर्ष 2023 सभी के लिए मंगलमय हो इसी कामना के साथ आने वाले नव वर्ष की बधाई। Happy New Year...


एक -Naari

Comments

  1. Very relatable for personal growth.. nice one

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