थोड़ा कुमाऊँ घूम आते हैं...भाग-2

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थोड़ा कुमाऊँ घूम आते हैं...भाग- 2   पिछले लेख में हम हरिद्वार स्थित चंडी देवी के दर्शन करके आगे बढ़ रहे थे यानी कि उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल से अब कुमाऊँ मंडल की सीमाओं में प्रवेश कर रहे थे बता दें कि उत्तराखंड के इस एक मंडल को दूसरे से जोड़ने के लिए बीच में उत्तर प्रदेश की सीमाओं को भी छूना पड़ता है इसलिए आपको अपने आप बोली भाषा या भूगोल या वातावरण की विविधताओं का ज्ञान होता रहेगा।     कुमाऊँ में अल्मोडा, नैनीताल, रानीखेत, मुक्तेश्वर, काशीपुर, रुद्रपुर, पिथौरागढ, पंत नगर, हल्दवानी जैसे बहुत से प्रसिद्ध स्थान हैं लेकिन इस बार हम केवल नैनीताल नगर और नैनीताल जिले में स्थित बाबा नीम करौली के दर्शन करेंगे और साथ ही जिम कार्बेट की सफ़ारी का अनुभव लेंगे।   225 किलोमीटर का सफर हमें लगभग पांच से साढ़े पांच घंटों में पूरा करना था जिसमें दो बच्चों के साथ दो ब्रेक लेने ही थे। अब जैसे जैसे हम आगे बढ़ रहे थे वैसे वैसे बच्चे भी अपनी आपसी खींचतान में थोड़ा ढ़ीले पड़ रहे थे। इसलिए बच्चों की खींचतान से राहत मिलते ही कभी कभी मैं पुरानी यादों के सफर में भी घूम रही थी।     कुमाऊँ की मेरी ये तीसर

टैटू बनाना सही या गलत!!


टैटू बनाना सही या गलत!! (Tattoo is right or wrong) 

   "आखिर जरूरत क्या है...ईश्वर की दी हुई देह में छेड़ छाड़ की अच्छा खासा तो शरीर है त्वचा है फिर ये एक पतली सुई से शरीर को गुदवाना और नीली लाल स्याही से चित्रकारी करना उचित है क्या?? ऐसी क्या आफत आई कि टैटू के कारण दर्द को सहा जाए!! "

  ये सब तभी लिखा जब जीवन का एक अनुभव अपने शरीर को गुदवाते जिसे आज के समय में टैटू कहते के रूप में ले रही थी। मुझे लग रहा था कि कहीं मैंने गलत निर्णय तो नहीं ले लिया!! बस इतना ही सोचा और लिखा क्योंकि शरीर में सुइयों की चुभन का दर्द तो था ही और साथ में मशीन की गर्र-गर्र की आवाज ने दिमाग को शून्य कर दिया था। उसके बाद तो बस यही सोचा कि अब जब ओखल में सिर रख दिया तो मूसल से क्या डरना..!!'

  और अब जब टैटू आर्टिस्ट (प्रकाश शाही) ने अपना काम आरंभ कर दिया था तो अब बचा नहीं जा सकता क्योंकि गुदवाने का कार्यक्रम अब चल चुका था। 

  छोटे भाई के टैटू देखकर इच्छा तो बहुत समय से थी कि एक बार इसका भी अनुभव लिया जाए क्योंकि उसके हाथ, गर्दन और कंधे में भी टैटू हैं..
.इसीलिए तीन चार साल पहले भी समय निकालकर टैटू स्टूडियो गई थी लेकिन ये प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो पाया था। पूरा क्या, आरंभ भी नहीं हो पाया था। 
  इस भाई दूज के दिन भाई ने ये काम भी पूरा करा दिया। न किसी ज्योतिष न किसी भाग्य से संबंधित कुछ ख्याल था। न कुछ डिजाइन का ध्यान था और न ही जगह का कि कहाँ बनाना है लेकिन बस ये निर्धारित था कि मुझे दो अक्षर Vऔर R लिखवाने हैं। ये बिना किसी प्लान के और बिना किसी तैयारी का दिन था। लेकिन फिर भी बहुत जल्दी ही टैटू की आकृति निर्धारित की और पहुँच गए टैटू स्टूडियो, ऋषिकेश। अब थोड़ा घबराहट हो रही थी क्योंकि दर्द का तो पता नहीं था कि कैसा होगा लेकिन मशीन की गरगराहट तो बहुत जगह सुनी थी और डर के साथ थोड़ी शंकाएं भी थी कि कहीं कुछ गलत न बने या किसी तरह का कुछ संक्रमण न हो और पता नहीं क्या क्या चल रहा था। लेकिन इस घबराहट में डीप ब्रीथिंग ( गहरी सांस) से जरूर राहत मिली और स्वयं को तैयार किया। 
 Tattoo Making Process:
  चूंकि मेरा टैटू गर्दन के पीछे की ओर बन रहा था तो मुझे अधिक तो नहीं दिखाई दिया लेकिन जी देखा उसमें यही था कि 
-टैटू बनाते समय हाइजीन (साफ सफाई) का ध्यान रखा था जिससे कि किसी भी तरह का संक्रमण न हो इसलिए दस्ताने पहन कर ही काम किया। 
-एक नई नीडल (सुई) का प्रयोग किया, जो स्याही गुदवाते समय प्रयोग होगी उसके बारे में बताया. 
- जो डिजाइन बनाना है उसका प्रिंट आउट लेकर उसका प्रतिरूप लिया जाता है। 
-फिर जिस जगह पर बनाना है उस जगह को नए रेज़र से साफ किया। 
- मुझे मानसिक रूप से तैयार करने के लिए मशीन की आवाज़ सुनाई और दर्द से परिचित करने के लिए भी पहले उस सुई को उस जगह के आस पास चुभाया। ( जो कि को उस समय मुझे सामान्य लगा।) 
- डिजाइन का कार्बन प्रिंट गर्दन के पीछे छाप दिया और फिर उस आकृति को मशीन की स्याही भरी सुइयों से धीरे धीरे बनाया गया। बीच बीच में किसो सॉल्यूशन से भी टैटू साफ किया गया। 
- उसके बाद एक मेडिकेटेड टेप से टैटू को ढ़क दिया जिससे कि किसी प्रकार के संक्रमण का डर न हो और घाव भी जल्दी ठीक हो जाए। 
  
   टैटू मेरी गर्दन के पीछे बन चुका था जिसे मैंने नहीं देखा लेकिन उसी समय ली गई फोटो से मेरा सारा दर्द, भ्रम, शंका सब गायब थे। गाढ़े नीले रंग का टैटू बहुत सुंदर तरीके से मेरे शरीर पर गुद गया था और मुझे किसी अचीवमेंट (उपलब्धि) वाली फीलिंग आ रही थी। मुझे लग रहा था कि आज मैंने भी जीवन का एक अलग रूप का अनुभव किया है। 
   इस छोटी सी आकृति में भी शायद 30-35 मिनट तो लगे थे जो मुझे बहुत अधिक लगे क्योंकि मैं ऐसे खाली नहीं बैठ सकती जबकि टैटू बनाना एक धैर्य का भी काम है जो बनवाता है उसके लिए भी और जो बनाता है उसके लिए भी। साथ ही पानी से भी उस स्थान की दूरी बनाना चुनौती भरा रहा। 
  गुदवाते समय आसपास की त्वचा का लाल होना स्वभाविक है और हल्का सा दर्द होना भी लेकिन कुछ समय के बाद सब गायब हो जाता है। असली दर्द तो तीन दिन बाद हुआ जब उस मेडिकेटेड टेप के चारों ओर लगाई गई डॉक्टर टेप को हटाना हुआ लेकिन सच में बाद में मुझे बहुत अच्छा लगा कि मैंने अपने परिवार को ध्यान में रखते हुए जो टैटू सोचा था वो वैसा ही बना और मेरा ये निर्णय बिल्कुल सही था। और अब मुझे भी लगा कि टैटू से सने शरीर वाले लोग चाहे जैसे भी हो लेकिन साहसी तो होते ही हैं। 
   आगे फिर कभी बनाऊँगी की नहीं अभी तो नहीं पता नहीं लेकिन अगली बार जब भी टैटू बनवाउंगी तो दर्द कम ही होगा। इस बार तो बहुत जल्दी ही सब कुछ हो गया लेकिन अगली बार थोड़ा और तसल्ली से टैटू बनाने का सोचूँगी। आप भी सोच विचार और जानकारी के साथ ही आगे बढे। कुछ जानकारी आपके साथ भी साझा कर रही हूँ... 

 क्या टैटू बनाते समय दर्द होता है?? Is tattoo painful?? 

 मेरा अनुभव तो मानता है कि हाँ, दर्द होता है। जब सुइयाँ शरीर में चुभती है तो दर्द तो होगा ही। और अगर वो सुइयाँ आधे घंटे से लगातार शरीर में चुभती रहे तो भला किसे दर्द नहीं होगा!! हाँ, ये अलग बात है कि शुरुआत में ये अधिक लगे और बाद में थोड़ा कम या फिर सामान्य ही क्योंकि फिर मस्तिष्क इस दर्द को सहने के लिए हमें तैयार करने लगता है। 
   जो लोग इसे पहली बार बनाते हैं वो लोग भी मेरी बात से सहमत होंगे ही। मशीन की आवाज इस दर्द को थोड़ा डर में बदलती रहती है इसलिए भी दर्द से अधिक तो भय होता है लेकिन टैटू बनाते समय पहले कुछ मिनटों के बाद इस दर्द में कमी लगने लगती है। मुझे तो लगता है कि कमी तो नहीं होती लेकिन शरीर को दर्द सहने की ताकत जरूर आ जाती है। ये भी है कि ये दर्द केवल टैटू बनते समय कुछ समय के लिए ही होगा उसके बाद किसी तरह की कोई परेशानी का अनुभव तो मैंने नहीं किया। 
  दर्द की संवेदनशीलता हर किसी की अलग होती है तो किसी को कम तो किसी को अधिक भी हो सकती है। व्यक्ति विशेष के साथ ही शरीर के किस स्थान पर टैटू बनवाना है इस पर भी निर्भर करता है, जैसे कम चर्बी और अधिक तंत्रिकाओं वाले स्थान पर अधिक दर्द होता है। 


लोग टैटू क्यों बनवाते हैं?? (Why people do get tattoo) 
  शरीर में टैटू बनाने का कारण सबके लिए अलग अलग हो सकता है। कोई इसे फैशन ट्रैंड से जोड़ता है तो किसी के लिए टैटू करवाना अपनी सभ्यता की पहचान होती है। कुछ लोग अपने प्यार या भावनाओं को बताने या अपनी मनोस्थिति को समझाने के लिए भी टैटू बनवाते हैं। टैटू धार्मिक भावनाओं को भी समर्पित होता है तो कुछ लोग किसी विशेष घटना से संबंधित गुदाई करवाता है। वहीं लोग इसे शरीर की सुंदरता बढ़ाने, आकर्षक दिखने या फैशन ट्रेंड के लिए गुदवाते हैं लेकिन एक और भी कारण आजकल प्रमुख हो रहा है वो है वो है भाग्य। ज्योतिष और भाग्य पर विश्वास रखने वाले लोग टैटू की आकृति विशेष को ध्यान में रखकर ही गुदवाते हैं। 
  (आप टैटू क्यों बनवा रहे हैं, इसका कारण टैटू बनवाने से पहले जरूर सोचिये) 

टैटू और भाग्य का साथ... (Tattoo and luck) 
  आज बहुत से लोग टैटू को ज्योतिष और भाग्य से भी जोड़ते हैं। कुछ विशेष आकृतियों का किसी विशेष स्थान पर बनवाना कितना उचित होता है इसका भी प्रभाव भाग्य पर पड़ता है तभी तो आजकल बहुत से सेलेब्रिटी भी इसे फैशन के साथ भाग्य के रूप में आजमाते हैं। 

  जैसे कि माना जाता है कि ओम, स्वस्तिक या अन्य धार्मिक आकृति से मन प्रसन्न रहता है और काम भी बनते हैं लेकिन अगर टैटू किसी गलत अंग जैसे पैरों में या फिर इन आकृति को विकृत कर दी जाए तो मन अशांत रहता है और नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलते हैं। 
   पीठ पर बनाय टैटू बल देते हैं, हाथ पर बनाए तो क्रियाशीलता बढ़ती है, महिलाएं बायें तो पुरुष दाएं हाथ में टैटू बनवाए तो शुभ होता है और भी बहुत कुछ है। कहने का अर्थ है कि टैटू हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं जिसका प्रभाव घर परिवार, कैरियर, समाज और आर्थिक स्थिति में भी पड़ता है। 

क्या टैटू असभ्य लोगों की पहचान है?? Are tattoos a mark of uncultured or rude people??)
  इसे कुछ लोग असभ्य क्यों मानते हैं इसे समझना थोड़ा मुश्किल है। टैटू को लेकर हर किसी की अपनी अलग राय हो सकती है। किन्हीं देशों में या एक पारंपरिक प्रक्रिया है जिसे लोग अपनी सभ्यता की पहचान मानते हैं तो किसी जगह पर लोग गुदना (टैटू) को असभ्य समाज की निशानी मानते हैं। ऑस्ट्रेलिया और न्यूगिनी के कुछ आदिवासी कबीलों में तो लड़कियों के विवाह के लिए गुदना अनिवार्य है। अब शायद ये उनके अलंकरण के लिए माना जाए या फिर ये उनका कोई विश्वास लेकिन इसे असभ्य नहीं माना जाता। 

  यहाँ हमारे समाज में भी कई राय बनी हुई है। अधिकतर लोग इसे पश्चिमी सभ्यता से जोड़ते हैं या फिर इसे गांव, कबीलों के पुराने जमाने का समझते हैं। कुछ लोग टैटू को असभ्य मानते हैं और कुछ टैटू को अनाड़ी, गैंगस्टर या बुरे लोगों की पहचान भी मानते हैं लेकिन भारत में भी गुदना, गुदवाना बहुत पहले से चला आ रहा है। स्त्रियों के ठोढी व आँख के पास भी छोटे छोटे डॉट गुदवाये जाते थे। नाक, हाथ पेट, कमर पर भी गुदवाना एक आम बात थी। प्राचीन समय से धार्मिक चिन्ह भी स्वस्तिक, ओम, शंख, चक्र, बाँसुरी, डमरू या नाम आदि स्याही से गोदते समय लिखवाया जाता था। इसी गुदना या गुदवाने के कलात्मक रूप को टैटू का नाम से जाना जा रहा है और आज के समय में टैटू युवाओं में खास प्रचलित है। अब अगर इसे शरीर के ऊपर की गई एक कला के रूप में देखा जाए तो इसे असभ्य कहना तो मुझे गलत लगता है क्योंकि अब इसे मैंने भी अपना लिया है और मुझे नहीं लगता शरीर पर की गई चित्रकारी ने मेरे अंदर किसी असभ्यता का संचार किया हो!! 

 टैटू का इतिहास (History of Tattoo) 
गुदवाने की टैटू मशीन 19वीं सदी के अंत में अस्तित्व में आ गई थी जिसमें अभी तक कुछ बहुत अधिक बदलाव नही आया है किंतु शरीर को गुदवाने की परंपरा अलग अलग जगह में सदियों से ही रही है। दुनिया का सबसे पुराना टैटू बर्फ में दबी एक ममी में था जिसे आइसमैन भी कहते हैं। वर्ष 1991 में इटली के किसी सुदूर क्षेत्र में इस ममी को खोज गया था जिसके बारे में बताया कि या लगभग 5000 वर्षों से बर्फ में ही दबी हुई थी। हालांकि ये टैटू केवल डॉट और डैश के निशान थे जो अलंकरण या उपचार संबंधित रहे हो। टैटू डिजाइन के प्रमाण पश्चिमी चीन के शिनजियांग प्रांत में मिली 2100 ईसा पूर्व की ममी से भी मिलता है। 
 उसके बाद तो कहा जाता है कि 18वीं शताब्दी के अंत में बहुत से लोगो ने अपनी यात्रा अनुभव के लिए टैटू बनवाये। मुख्यतः ब्रिटिश नौ सैनिकों ने अपनी यात्राओं के अनुभव को याद रखने के लिए मूत्र और बारूद के प्रयोग से टैटू बनाए। 
  टैटू डिजाइन के प्रमाण पश्चिमी चीन के शिनजियांग प्रांत में मिली 2100 ईसा पूर्व की ममी से भी मिलता है। हालांकि प्राचीन चीन में कैदियों के मुख पर विशेष आकृति गुदवाई जाती थी जिनसे उनकी पहचान हो पाए। 

टैटू बनाते समय सावधानियां: (Tattoo Precautions)


1- सबसे आवश्यक है टैटू बनाने का निर्णय लेना क्योंकि ये जीवन भर का फैसला होता है इसलिए बड़े ही सोच विचार के साथ ही फैसला लें। बनाने से अधिक से इसे हटाना महंगा और  एक जटिल प्रक्रिया है। अमेरिका जैसे देश में टैटू बनवाने से अधिक बड़ा व्यापार तो टैटू हटवाने का है।
2- टैटू बनाने के लिए किसी प्रोफेशनल टैटू आर्टिस्ट का ही चुनाव करें।
3- अपनी त्वचा और शरीर का भी ज्ञान रखे। संवेदनशील त्वचा या किसी भी तरह के संक्रमण के दौरान टैटू न बनवाये।
4- साफ सफाई, सुई, स्याही सभी के बारे में जानकारी लें। संक्रमित सुई से एचआईवी और हेपेटाइटिस कैंसर और त्वचा संबंधित रोग का भी खतरा होता है।
5- टैटू बनाने के बाद पहले तीन दिन तक पानी से अवश्य बचाएं। 45 दिनों तक स्वीमिन्ग् से भी बचे क्योंकि संक्रमण का खतरा हो सकता है।
6. अगले 15 दिनों तक दी गई क्रीम या लोशन का प्रयोग करते रहे।
7- टैटू वाले स्थान को नाखून या अन्य किसी भी तरह की रगड़ से बचाए।
8- टैटू आर्टिस्ट के द्वारा दी गई सलाह अवश्य माने और किसी भी दुविधा के लिए तुरंत उन्हें संपर्क करे।
9- त्वचा से संबंधित किसी भी तरह के संक्रमण के लिए तुरंत ही अपने डॉक्टर की सलाह ले।

(मुख्य बात: साफ, सुरक्षित और समझदारी के साथ ही टैटू बनाए। )

एक - Naari


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