आज का लेख मेरे लिए बहुत खास है क्योंकि ये 100वां लेख है और वो भी सबसे खास त्यौहार दिवाली के साथ। भले ही ये आंकडा बहुत बड़ा न हो लेकिन 'शतक' की तो अपनी पहचान है। कितने लोग मेरा लेख पढ़ते हैं या नहीं भी पढ़ते, कितने लोग मुझे जानते हैं और कितने नहीं भी जानते लेकिन उन सभी की शुभकामनाओं के लिए बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद।
पिछले लगभग दो ढाई सालों से अच्छा बुरा जो भी मन किया बस वो लिख दिया। न कोई विषय विशेष न कोई व्यक्ति विशेष, बस जैसा लगा वैसा लिख दिया लेकिन एक चीज थी जो बड़ी ही सामान्य थी वो थी संतुष्टि। हर एक पोस्ट के बाद एक तसल्ली मिलती थी, एक खुशी होती थी कि मैंने अपने लिए समय निकालकर कुछ तो लिखा है. भले ही इसके लिए हफ्ते दो हफ्ते का समय लगा हो!
लिखने का सफर भी कोरोना काल से ही आरंभ हुआ है जो बहुत लंबा तो नहीं है लेकिन न भूलने वाला है। यह समय सभी के लिए बहुत कठिन और कष्टदायी था लेकिन इस कठिन समय ने बहुत कुछ सिखाया भी।
कोरोना के समय लॉक डाउन में जहाँ सभी परेशान थे वहीं सुकून का एक कोना मुझे पढ़ने और लिखने से मिला। सोचा इसी बहाने आप भी अपने लिए समय निकाले और कुछ न कुछ तो अवश्य पढ़े, शायद पढ़कर आपको भी अच्छा लगे। अब मैं कितनी सफल हुई इसका तो पता नहीं लेकिन आप का प्यार और शुभकामनाएं मुझे किसी न किसी रूप में हमेशा मिलती रही जिसने मेरे लिए प्रेरणा का काम किया। इसीलिए आज इस 100 वें पोस्ट पर आप सभी का धन्यवाद और दिवाली की ढेर सारी शुभकामनाएं भी।
रंग रोगन से लेकर विशेष पूजा पाठ तक और घर से लेकर ऑफिस की हर छोटी बड़ी खरीदारी के लिए कहा जाता है कि 'इस दिवाली पर लेंगे'। ये दिवाली ही तो है जिसका इंतज़ार पूरे वर्ष रहता है इसलिए इस दिवाली खूब सारी मस्ती करें लेकिन थोड़ी सावधानी के साथ क्योंकि त्यौहार की रंगत स्वस्थ शरीर के साथ ही है। दिवाली की धूमधाम और दौड़ भाग के साथ अपने स्वास्थ्य का भी विशेष ध्यान रखें क्योंकि...
दिवाली में सेहत का ख्याल. ..
- भीड़भाड़ वाले स्थानों मे मास्क का प्रयोग करें।
कोरोना की वैक्सीन के बाद भीड़भाड़ को देखकर अब डर तो नहीं लगता लेकिन हाँ थोड़ी सावधानी की याद तो आ ही जाती है। जो स्वास्थ्य के लिए आवश्यक भी है इसलिए भी थोड़ा जागरूक रहें और भीड़भाड़ वाले स्थानों में मास्क का प्रयोग अवश्य करें।
- ऋतु परिवर्तन का विशेष ध्यान
दिवाली का समय ऋतु परिवर्तन का रहता है इसीलिए हमारे शरीर को मौसम के अनुसार तैयारी करनी पड़ती है और इस प्रक्रिया में कई बार सर्दी जुकाम खाँसी जैसी बीमारियों से भी पाला पड़ता है, इसलिए साधारण सा मौसमी जुकाम भी दिवाली का मज़ा किरकिरा कर सकता है। थोड़ी सी भी लापरवाही दिवाली के समय बीमार कर सकती है। विशेषकर बच्चों को समय के अनुसार हल्के गर्म कपड़े पहनाए और खान पान का भी विशेष ध्यान दे।
- पटाखों में थोड़ी कटौती करें।
पटाखे जलाते समय भी मास्क का प्रयोग करें जिससे कि दूषित धुँआ फेफड़ों को नुकसान न पहुंचाए। दिवाली के समय पटाखों से भी दूरी तो नहीं बनाई जा सकती लेकिन थोड़ी कमी तो की जा सकती है। क्योंकि ये पटाखे किसी के लिए हर्षो उल्लास होते हैं तो किसी के लिए इसका धुआँ एलर्ज़ी का कारण भी होता है। (जैसे की जय को है, इसीलिए मैं समझ सकती हूँ कि इसके धुंए से बहुत परेशानी होती है)
- मीठे पर नियंत्रण
दिवाली का समय दावतों और खूब खाने खिलाने का समय है। लोगों से मिलने जुलने का समय है इसलिए लोग आपस में दिल खोलकर मिलते हैं और मिठाइयों का लुत्फ़ भी उठाते हैं। लेकिन दिवाली के बाद अधिकतर लोग पेट संबंधी, वजन एवं अन्य रोगों का भी शिकार हो जाते हैं इसलिए मीठा तो खाएं लेकिन थोड़े नियंत्रण और सावधानी के साथ।
इस दिवाली पर घर धन धान्य से पूर्ण हो और शरीर सेहत से भर पूर!!
दिवाली के महा पर्व में भगवान गणेश और माँ लक्ष्मी जी सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करें!
100वें लेख के लिए सभी का धन्यवाद, किसी भी त्रुटि के लिए क्षमा और सुझाव के लिए ईमेल eaknaari@gmail.com
Happy Diwali,,,
Congratulations Reena!!! It's a great achievement, I have enjoyed your posts. Keep writing, keep sharing...
ReplyDeleteWow congratulations.
ReplyDeleteHappy Deepawali
Congratulations 👏👏👏 Great Achievement , many more to come .....
ReplyDeleteMany congratulations...I always enjoy to read your articles especially your travelogue...you are an awesome writer..keep writing
ReplyDeleteWarmest Congratulations !! keep writing......📝
ReplyDeleteCongratulations Reena
ReplyDeleteCongratulations, keep writing
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