short story: Rakhi Special (A thread of love and care)

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राखी: धागा प्रेम का...(लघु कथा) भाई बहन का प्रेम... सुनो जी, राखी आई है आपकी दीदी की। लगता है इस बार भी मीनू दीदी नहीं आ रही है!! कुछ जरूरी काम आ गया होगा दीदी का। हां,,,पिछले दो सालों से तो उनका काम ही ख़त्म नहीं हो पा रहा। दीदी का सही है बस 100 रूपए की राखी भाई को भेजो और हो गया रक्षा बंधन। न आने का खर्चा और न ही फल मिठाई की सिरदर्दी। (शशि ने मुंह सिकोड़ाते हुए केशव से कहा) ओह हो तुम भी न, क्या बेकार की बातें सोचती रहती हो। रिश्तों को पैसों से तोला जाता है क्या?? मैं कोई तोल नहीं रही। मैं तो बस सोच रही हूँ कि दीदी इतना दूर रहती है। वहां से यहाँ आने में बहुत खर्चा पानी तो लगता ही है और ऊपर से सफर कि तकलीफ अलग।  इसलिए शायद नहीं आती होंगी या फिर मुझ से ही कुछ नाराजगी होगी। तभी तो जब से हमारी शादी हुई है मीनू दीदी का काम इतना बढ़ गया है कि अपने मायके की सुध लेना भी भूल जाती है। पता तो है तुम्हें कि दीदी का घर परिवार कितना बड़ा है और जीजा जी का व्यापार भी काफी फैला हुआ है। आ गया होगा कोई काम इसलिए राखी भेज दी। इसमें कोई बड़ी बात नहीं है। राखी ही तो है।  केशव, ब...

शिव पार्वती: एक आदर्श दंपति

शिव पार्वती: एक आदर्श दंपति

 हिंदू धर्म में कृष्ण और राधा का प्रेम सर्वोपरि माना जाता है किंतु शिव पार्वती का स्थान दाम्पत्य में सर्वश्रेठ है। उनका स्थान सभी देवी देवताओं से ऊपर माना गया है। वैसे तो सभी देवी देवता एक समान है किंतु फिर भी पिता का स्थान तो सबसे ऊँचा होता है और भगवान शिव तो परमपिता हैं और माता पार्वती जगत जननी। 
  यह तो सभी मानते ही हैं कि हम सभी भगवान की संतान है इसलिए हमारे लिए देवी देवताओं का स्थान हमेशा ही पूजनीय और उच्च होता है किंतु अगर व्यवहारिक रूप से देखा जाए तो एक पुत्र के लिए माता और पिता का स्थान उच्च तभी बनता है जब वह अपने माता पिता को एक आदर्श मानता हो। उनके माता पिता के कर्तव्यों से अलग उन दोनों को एक आदर्श पति पत्नी के रूप में भी देखता हो और उनके गुणों का अनुसरण भी करता हो। 

   भगवान शिव और माता पार्वती हमारे ईष्ट माता पिता इसीलिए हैं क्योंकि हिंदू धर्म में शिव और पार्वती पति पत्नी के रूप में एक आदर्श दंपति हैं। हमारे पौराणिक कथाएं हो या कोई ग्रंथ शिव पार्वती प्रसंग में भगवान में भी एक सामान्य स्त्री पुरुष जैसा व्यवहार भी दिखाई देगा। जैसे शिव पार्वती विवाह प्रसंग में हम पार्वती को अपने प्रिय के प्रति अगाध प्रेम से ऊपर उनकी भक्ति और श्रद्धा को देख सकते हैं वहीं भगवान शिव में अपनी प्रिया के प्रति पूर्ण समर्पण, सम्मान और जिम्मेदारी। 

शिव पार्वती विवाह: एक रोचक प्रसंग (Shiv Parvati Vivaah) 
   उत्तराखंड के जागर (जागृत, जागरण) जो कि एक धार्मिक और साहित्यिक विषय है। उसमें भी शिव पार्वती से संबंधित प्रसंग है जिसमें नंदा देवी (माता पार्वती) के जागर को कथा के रूप में डॉ नंदकिशोर ढोंडियाल जी ने अपनी पुस्तक "उत्तराखंड की जागर गाथाओं का कथांतरण" में बताया है। इसमें पार्वती को एक निश्छल युवती की भाँति ही बताया है। जैसे विवाह के समय एक स्त्री का कोमल मन अपने मायके के प्रति लगा रहता है उसी की तरह पार्वती का प्रेम और लगाव भी अपने मायके से होता है जिसका सम्मान स्वयं भगवान शिव भी करते हैं। इस पुस्तक में प्रसंग है कि जब हिमालय राज और रानी मयना की पुत्री पार्वती (उत्तराखंड की नंदा) का विवाह शिव के साथ हुआ तो विदाई के समय हिमवंत राजा की करुण वाणी को सुनकर पार्वती भगवान शिव को उनके ससुराल रहने की प्रार्थना करने लगी। नंदा देवी के इस अनुनय विनय के बाद भगवान शिव ने माता पार्वती का मान रखा और पर्वतराज हिमालय और रानी मैना के जमाता (जवांई) बने। किंतु जब जात बिरादरी की भाभियों द्वारा गृह जमाता पर व्यंग्य और उपहास हुआ तो भगवान शिव ने अपने कैलाश जाने का निर्णय ले लिया जिसे माता पार्वती ने अपने सम्मान से जोड़ा और मायके का लोभ छोड़कर तुरंत ही अपने पति शिव के धाम कैलाश चल पड़ी। 

शिव पार्वती से शिक्षा (Lesson from Lord Shiva Parvati) 
  ये एक छोटा सा प्रसंग है जिसे "उत्तराखंड की जागर गाथाओं का कथांतरण" में बहुत ही सुंदर तरीके से वर्णन किया है। अब देखा जाए तो शिव पार्वती तो भगवान हैं लेकिन इस प्रसंग में हम शिव पार्वती को एक सामान्य पति पत्नी के रूप में भी देखते हैं जिनका व्यवहार और भावनाएं साधारण स्त्री पुरुष जैसी ही हैं। 
  इन दोनों में पति पत्नी के संबंधों में अटूट प्रेम और एक दूसरे की भावनाओं का सम्मान करना सिखाते हैं। उनके दामपत्य से आपसी प्रेम, भक्ति, समर्पण, सम्मान, त्याग, तपस्या, स्नेह, साझेदारी, परस्पर सहयोग की शिक्षा मिलती है। 
  इस आचरण को अपनाने से हम अपने रिश्तों को तो मजबूती देते ही हैं साथ ही अपने बच्चों को मानसिक और भावनात्मक रूप से भी मजबूती देते हैं और स्वस्थ समाज बनाने का भी एक अच्छा संदेश देते हैं। 

  शिव पार्वती दो अलग अलग परिवेश से संबंध रखते हैं। एक राजा की पुत्री जो महलों में निवास करती है तो दूसरा वो जो स्वयं आदि है और जिसका महलों से कोई संबंध नहीं। एक सुकोमल और सुंदर काया तो दूसरा विरक्त बैरागी या औघड़ जोगी। लेकिन फिर भी जब दोनों मिले तो एक आत्मा और एक मन। न कोई छोटा न कोई बड़ा। बस एक दूसरे के प्रति श्रद्धा, प्रेम और समान। 

शिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं!! 

एक -Naari
  

Comments

  1. शिव जी और पार्वती जी का संबंध धार्मिक और आध्यात्मिक स्तर पर एक दिव्य संगम को दर्शाता है, आज के जोड़े अपने संबंधों में आधुनिक दृष्टिकोण और समय की मांगों को ध्यान में रखते हैं।
    शिव जी पार्वती जी जैसे संबंध आज के जोड़ों के लिए ज़रूर एक प्रेरणास्त्रोत हो सकते हैं, जहां साझा समझ, सहयोग, और समर्थन का महत्व होता है।यहां उन्हें संवेदनशीलता, और आत्मसमर्पण के साथ एक-दूसरे का समर्थन करने की आवश्यकता होती है।
    संतोषी(Riya sharma)

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