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Showing posts from March, 2023

The Spirit of Uttarakhand’s Igas "Let’s Celebrate Another Diwali "

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  चलो मनाएं एक और दिवाली: उत्तराखंड की इगास    एक दिवाली की जगमगाहट अभी धुंधली ही हुई थी कि उत्तराखंड के पारंपरिक लोक पर्व इगास की चमक छाने लगी है। असल में यही गढ़वाल की दिवाली है जिसे इगास बग्वाल/ बूढ़ी दिवाली कहा जाता है। उत्तराखंड में 1 नवंबर 2025 को एक बार फिर से दिवाली ' इगास बग्वाल' के रूप में दिखाई देगी। इगास का अर्थ है एकादशी और बग्वाल का दिवाली इसीलिए दिवाली के 11वे दिन जो एकादशी आती है उस दिन गढ़वाल में एक और दिवाली इगास के रूप में मनाई जाती है।  दिवाली के 11 दिन बाद उत्तराखंड में फिर से दिवाली क्यों मनाई जाती है:  भगवान राम जी के वनवास से अयोध्या लौटने की खबर उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में 11वें दिन मिली थी इसलिए दिवाली 11वें दिन मनाई गई। वहीं गढ़वाल के वीर योद्धा माधो सिंह भंडारी अपनी सेना के साथ जब तिब्बत लड़ाई पर गए तब लंबे समय तक उनका कोई समाचार प्राप्त न हुआ। तब एकादशी के दिन माधो सिंह भंडारी सेना सहित तिब्बत पर विजय प्राप्त करके लौटे थे इसलिए उत्तराखंड में इस विजयोत्सव को लोग इगास को दिवाली की तरह मानते हैं।  शुभ दि...

अलबेली बरेली

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  अलबेली बरेली     झुमका, सुरमा, बर्फी, जरी, बांस इन सबके साथ जो नाम सबसे पहले दिमाग में आता है वो है,,, बरेली। भले ही मेरा रिश्ता बरेली से बहुत पुराना न सही लेकिन दिखावटी दुनिया से परे यहाँ का आम जीवन मुझे बहुत खास लगता है और खासकर यहाँ बसने वाले हम से जुड़े लोग।   कहने को तो लोग अपने मायके को याद करते हैं लेकिन सच कहूँ तो मुझे अपना ससुराल यानी की बरेली याद आ रहा था।अब भले ही हम उत्तराखंडी हैं लेकिन पिता जी (ससुर जी) की कर्मभूमि बरेली ही रही है। इसलिए मेरे परिवार का अधिकांश जीवन बरेली में ही व्यतीत हुआ है।    अभी हाल में ही बरेली जाना हुआ। यात्रा बहुत छोटी थी हम पूरे 24 घंटे भी बरेली में रुक नहीं पाए इसीलिए अपने पुराने शहर से अधिक मिलने का मौका तक नहीं मिला। तभी तो लगा कि इस बार की यात्रा तो अधूरी रह गई। इसलिए आज का लेख अलबेली बरेली पर...     रामगंगा नदी के तट पर बसा बरेली नगर उत्तर प्रदेश के आठवां सबसे बड़ा शहर है। उत्तर प्रदेश ही नहीं अपितु भारत के महत्वपूर्ण और पुराने शहरों में से एक है बरेली। कहा जा सकता है कि हिंदू...

चैत्र माह: शुभता और ऊर्जा के साथ स्वास्थ्य का ध्यान

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चैत्र माह: शुभता और ऊर्जा के साथ स्वास्थ्य का ध्यान      हम लोग वर्ष का सबसे पहला पर्व खिचड़ी समझते है और उसके बाद सबसे बड़ा त्यौहार होली को मानते हैं लेकिन हिंदू कैलेंडर यानी कि पंचांग के अनुसार हिंदू वर्ष का सबसे अंतिम पर्व होली है। होली के बाद ही हम नव माह में प्रवेश कर जाते हैं।    होली का त्यौहार जा चुका है यानी कि सर्दियों को विदा कर अब ग्रीष्म काल का स्वागत हो रहा है। हिंदू पंचांग में फाल्गुन मास का अंत हो चुका है और हिंदू नव वर्ष का प्रथम माह, अर्थात चैत्र माह का आरंभ हो चुका है। ये मानिए कि मार्च और अप्रैल का आरंभ का समय चैत्र माह का काल है।    चैत्र मास का महत्व    इस मास का हिंदू धर्म में बड़ा महत्व है क्योंकि यह हिंदू नव वर्ष का प्रथम माह तो है ही साथ ही साथ गुड़ी पड़वा, चैत्र नवरात्रि, रामनवमी जैसे बड़े व्रत त्यौहार भी लाता है जो कि शुभता और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।     हमारी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को हम नव वर्ष के रूप में मनाते हैं। भारतीय स...

DigitALL: Happy Women's Day

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DigitALL... Happy Women's Day     महिलाओं को समर्पित 8 मार्च का दिन अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में दुनियाभर में मनाया जाता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह दिन नारी सम्मान,उनकी उपलब्धियां, महिला उत्थान, महिला जागरूकता, महिला अधिकार और महिला सशक्तिकरण जैसे गंभीर विषयों की ओर ध्यान केंद्रित करता है।    यह दिन महिलाओं के लिए उनकी स्वयं की शक्ति, साहस, क्षमता, प्रतिभा, आत्मसम्मान या यूँ कहें कि स्वयं को पहचानने का दिन है और उनके स्वछंद विचारों के उड़ने का दिन है लेकिन यह तभी संभव है जब समाज का प्रत्येक व्यक्ति महिला दिवस का अर्थ समझे।     अब भले ही यह 1908 में अमेरिकी महिलाओं द्वारा न्यूयॉर्क शहर में अपने अधिकारों और अपनी स्थिति को बेहतर बनाने के लिए एक आंदोलन या विरोध प्रदर्शन था जो धीरे धीरे अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक एक विचार बन गया। अब आरंभ चाहे विरोध से आरंभ हुआ लेकिन आज एक जश्न या उत्सव की तरह ही लिया जा रहा है।    और सबसे अच्छी बात यह है कि भारत में भी धीरे धीरे लोग महिला दिवस का खुले मन से स्वागत कर रहे हैं और इस एक दिन को अपनी...