शिव पार्वती: एक आदर्श दंपति

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शिव पार्वती: एक आदर्श दंपति  हिंदू धर्म में कृष्ण और राधा का प्रेम सर्वोपरि माना जाता है किंतु शिव पार्वती का स्थान दाम्पत्य में सर्वश्रेठ है। उनका स्थान सभी देवी देवताओं से ऊपर माना गया है। वैसे तो सभी देवी देवता एक समान है किंतु फिर भी पिता का स्थान तो सबसे ऊँचा होता है और भगवान शिव तो परमपिता हैं और माता पार्वती जगत जननी।    यह तो सभी मानते ही हैं कि हम सभी भगवान की संतान है इसलिए हमारे लिए देवी देवताओं का स्थान हमेशा ही पूजनीय और उच्च होता है किंतु अगर व्यवहारिक रूप से देखा जाए तो एक पुत्र के लिए माता और पिता का स्थान उच्च तभी बनता है जब वह अपने माता पिता को एक आदर्श मानता हो। उनके माता पिता के कर्तव्यों से अलग उन दोनों को एक आदर्श पति पत्नी के रूप में भी देखता हो और उनके गुणों का अनुसरण भी करता हो।     भगवान शिव और माता पार्वती हमारे ईष्ट माता पिता इसीलिए हैं क्योंकि हिंदू धर्म में शिव और पार्वती पति पत्नी के रूप में एक आदर्श दंपति हैं। हमारे पौराणिक कथाएं हो या कोई ग्रंथ शिव पार्वती प्रसंग में भगवान में भी एक सामान्य स्त्री पुरुष जैसा व्यवहार भी दिखाई देगा। जैसे शिव

रंग बिरंगी बिंदी

बिंदिया चमकेगी.... 


  आज किसी ने कहा कि आप पर बिंदी बहुत खूब लगती है तो मैंने हंस कर जवाब दिया कि मुझ पर ही नहीं हर नारी पर बिंदी खूब फबती है। और इसके साथ ही याद आया एक किस्सा जो बिंदी पर ही था। इसलिए आज का लेख... बिंदीया विशेष... 

   बहुत साल पहले लगभग इसी तरह का मौसम था। बारिश, धूप और उमस के बीच में झूझते हुए पास ही की एक दुकान में थी। जहाँ तीज की खरीदारी के समय मुझसे किसी ने कहा था कि तुम बिंदी क्यों नहीं लगाती हो। साथ ही ताना भी दिया था कि आजकल औरतें बिंदी लगाने में शर्म करती हैं और सोचती है कि दुनिया को जरा बेवकूफ बनाया जाए। 
   अब मेरा बिंदी लगाने या नही लगाने का कारण कुछ भी हो सकता है लेकिन उस समय बुरा तो बहुत लगा था। लेकिन अपनी प्रकृति थोड़ी,,,'छोड़ परे और मट्टी पा ' जैसी है इसलिए बिना किसी ओर ध्यान दिए मैं आगे बढ़ गई। आज सोचती हूँ कि उन्होंने बात भले ही अलग अंदाज से बोली हो लेकिन बिंदी तो हर किसी के माथे की शोभा बढ़ाती है। इसीलिए तो मैं अपनी पारंपरिक परिधान के साथ हमेशा बिंदी लगाती हूँ। 
  बिंदीया भारतीय नारी की पहचान है और हिंदू मान्यता में हर सुहागन स्त्री का प्रतीक। साथ ही सोलह श्रृंगार भी बिना बिंदी के अधूरा है तो एक नारी का इससे अलग होना तो असंभव ही है। एक स्त्री भले ही सोने चांदी के गहने सजा ले लेकिन माथे में दमकती बिंदिया न हो तो गहनों की चमक भी फीकी लगती है। फिर ऐसे में किसी महिला से ये कहना कि बिंदी लगाने में शर्म आती है तो गलत बात ही होगी। 
हर रंग कुछ कहता है... 
  लाल, नीली, पीली, हरी, काली हर रंग में बिंदियों का एक अलग ही आकर्षण है। कोई महिला लाल बिंदी लगाना पसंद करती है तो कोई काली नीली तो किसी को हरी बिंदी लगाना पसंद है। हर रंग की बिंदिया में कुछ न कुछ खास विशेषता है। जिसे हम ज्योतिष विद्या से भी जोड़ देते हैं। जैसे काले रंग की बिंदी को नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा के लिए शुभ माना जाता है। लाल रंग की बिंदी प्रेम, समृद्धि और नारंगी रंग कला और रचनात्मक चीजों से जोड़ता है वहीं ये माना जाता है कि हरे रंग की बिंदी लगाने से जीवन में हरियाली बनी रहती है। 
बिंदी लगाने का महत्व:
   सनातन धर्म में विवाहित स्त्रियों का माथे पर बिंदी लगाने का विशेष महत्व है। उनके लिए बिंदी सुहाग का प्रतीक होती है। लेकिन मेरे लिए तो बिंदी कोई भी लगा सकता है क्योंकि इसे लगाने से सौंदर्य के साथ स्वास्थ्य से जोड़ा जाता है। 
   आँखों की दोनों भौंहों के ठीक बीच के थोड़े से ऊपर की जगह में महिलाएं बिंदी को लगाती हैं। इस स्थान को आज्ञा चक्र या तीसरा नेत्र चक्र कहा जाता है। चूंकि हमने इसे धर्म से जोड़ा है तो इसे सुहाग का प्रतीक बना दिया है लेकिन इसका महत्व आयुर्वेद के दृष्टि से देख जाए तो इसे महिलाओं के स्वास्थ्य से लिया है। यहाँ बिंदी लगाने से एक हल्का सा दबाव अजना चक्र में पड़ता है जिससे मानसिक स्वास्थ्य में लाभ मिलता है। 
  वैसे इस जगह पर हल्के एक्यूप्रेशर के साथ बिंदी लगाने से यहाँ की नसों में दबाव पड़ता है और ब्लड सेल एक्टिव हो जाते हैं जिससे कि सिर दर्द और तनाव कम होता है और साथ ही सुनने की क्षमता भी बढ़ाती है। एक्यूप्रेशर विधि के अनुसार तो इस जगह पर हल्के दबाव से आँखों को भी लाभ मिलता है क्योंकि बिंदी लगाने वाला स्थान सुप्राट्रोक्लियर नर्व से जुड़ा है जो आंखो को अलग-अलग दिशाओं में देखने में सहायक है। इसके साथ ही बिंदी लगाने से झुरियों को भी दूर किया जा सकता है क्योंकि रक्त कोशिकाओं में रक्त संचार बढ़ जाता है और त्वचा में कसावट बनी रहती है इसलिए बिंदी के साथ इस जगह पर हल्का दबाव बना रहता है और मन केंद्रित रहता है। महिलाएं अपने घर परिवार, समाज, रिश्तेदार और भी अनगिनत कामों में उलझी रहती हैं इसलिए उनकी एकाग्रता बढ़ाने में ये बिंदी भी मुख्य भूमिका निभाती है। (जैसे पुरुषों में तिलक उनकी एकाग्रता को बढ़ाने में सहायक होता है।) 
  अब अगर इतनी प्यारी, सजीली, रंग-बिरंगी और अपने आप में खास है ये बिंदी तो भला कौन महिला इसे माथे में सजाने से परहेज करेगी क्योंकि बिंदिया चमकेगी और नारी दमकेगी!! 

एक - Naari
   


 

Comments

  1. Yes,,I also love to wear Bindi...

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  2. Bindiya chamakti rahe sabki, gud post

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  3. बिंदिया चमकती रहनी चाहिए, ।

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  4. Ma'am Director, very well Articulated love everything you write. No words JusT Applause.

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