थोड़ा कुमाऊँ घूम आते हैं...भाग-2

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थोड़ा कुमाऊँ घूम आते हैं...भाग- 2   पिछले लेख में हम हरिद्वार स्थित चंडी देवी के दर्शन करके आगे बढ़ रहे थे यानी कि उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल से अब कुमाऊँ मंडल की सीमाओं में प्रवेश कर रहे थे बता दें कि उत्तराखंड के इस एक मंडल को दूसरे से जोड़ने के लिए बीच में उत्तर प्रदेश की सीमाओं को भी छूना पड़ता है इसलिए आपको अपने आप बोली भाषा या भूगोल या वातावरण की विविधताओं का ज्ञान होता रहेगा।     कुमाऊँ में अल्मोडा, नैनीताल, रानीखेत, मुक्तेश्वर, काशीपुर, रुद्रपुर, पिथौरागढ, पंत नगर, हल्दवानी जैसे बहुत से प्रसिद्ध स्थान हैं लेकिन इस बार हम केवल नैनीताल नगर और नैनीताल जिले में स्थित बाबा नीम करौली के दर्शन करेंगे और साथ ही जिम कार्बेट की सफ़ारी का अनुभव लेंगे।   225 किलोमीटर का सफर हमें लगभग पांच से साढ़े पांच घंटों में पूरा करना था जिसमें दो बच्चों के साथ दो ब्रेक लेने ही थे। अब जैसे जैसे हम आगे बढ़ रहे थे वैसे वैसे बच्चे भी अपनी आपसी खींचतान में थोड़ा ढ़ीले पड़ रहे थे। इसलिए बच्चों की खींचतान से राहत मिलते ही कभी कभी मैं पुरानी यादों के सफर में भी घूम रही थी।     कुमाऊँ की मेरी ये तीसर

कहीं आपको सर्दी, खांसी, जुकाम तो नहीं!!

सर्दी, जुकाम, खांसी, गले में खराश से राहत।

Relief from cold, cough, common flu and sore throat


  पहली लहर से छूटे ही थे कि दूसरी लहर के चपेट में आ गए और दूसरी से किसी तरह पीछा छूटा तो तीसरी लहर मुंह खोले खड़ी हो गई। बस तस्सली इस बात की है कि इस लहर के मुंह में गिरने से पहले वैक्सीन का साथ मिल गया है इसलिए थोड़ा आत्मविश्वास तो बढ़ा है हालांकि सावधानी अभी भी बहुत जरूरी है।

      गले में खराश, दर्द, खिच खिच, हल्की खांसी हो तो दिमाग अपनी मुहर बिना किसी जांच के कोरोना पर लगा लेता है। जरा सी छींक आई नहीं कि अपने दिमाग के साथ साथ बाजू वाले का दिमाग भी सबसे पहले अपने विचार बुनने लग जाता है। क्या करें! बाहर का माहौल ही ऐसा है और ऊपर से आजकल का ये मौसम।


 इस मौसम में गर्म गर्म चाय पीना हो या बाहर के इस माहौल में काढ़ा पीना सब के सब बहुत आराम देते हैं। लेकिन अगर मौसमी सर्दी खांसी हो, या गले में दर्द या गले में खराश या कोई भी संक्रमण तो घर में मौजूद कुछ चीजों से भी राहत मिलेगी।


अदरक, तुलसी और काली मिर्च का सेवन (Consuming Ginger, Basil, Black Pepper/Organic Tea)

  अदरक की चाय तो सर्दियों में लगभग सभी के घर बनती है। इस चाय में तुलसी और काली मिर्च डाल कर पिया जाए तो मौसमी बुखार, सर्दी खांसी और जुकाम जैसी समस्याओं से राहत मिलती है। अदरक में एंटीबैक्टीरियल, एंटीवायरल और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो इन संक्रमण से लड़ने में शरीर को ताकत देते हैं।

   काली मिर्च में पेपरिन नामक तत्व पाया जाता है जिसके लिए कहा जाता है कि ये सर्दी खांसी में आराम देता है। इसलिए गले दर्द की समस्या में भी ये असरदार होती है। ये तत्व सर्दी-खांसी और जुकाम जैसी बीमारियों को ठीक करने में काफी हद तक लाभदायक हो सकता है। औषधीय गुणों के कारण काली मिर्च वात और कफ को शरीर से निकलती है।  


    तुलसी के पत्ते तो हर घर में मिलते है जो एंटी-ऑक्सिडेंट और एंटीबॉयोटिक का काम करते हैं। तुलसी पत्तों का सेवन अगर घर में बनी चाय के साथ भी किया जाए तो शरीर के प्रतिरोधकता क्षमता बढ़ती है और शरीर किसी भी एलर्जी या इन्फेक्शन को कम करती है। इसलिए ऐसे मौसम में अदरक, तुलसी, काली मिर्च की चाय राम बाण होती है।

  यहां तक की काली चाय में अदरक, काली मिर्च, तुलसी और शहद डाल कर पिया जाए तो कफ और ब्रोंकाइटिस में बहुत आराम मिलता है। (अधिक मात्रा में चाय या काढ़ा का सेवन पेट की समस्या भी बढ़ा सकता है इसलिए सावधानी आवश्यक है।)

सेंधा नमक के गरारे (Rock Salt Gargles)

गले में किसी भी प्रकार के संक्रमण के लिए गरारे करना उपयुक्त है। गले की खराश, दर्द, जुकाम या खांसी होने पर एक गिलास गर्म पानी में आधा चम्मच सेंधा नमक डालकर गरारे करने से गले की सिकाई हो जाती है जिससे संक्रमण तो दूर होता है साथ ही गले में बहुत आराम मिलता है। 


  नमक के सांद्र घोल से गले की अंदरूनी सतह पर ठहरे हुए रोगाणु नष्ट होते हैं। टॉन्सिल से जल्दी ठीक होने के लिए सेंधा नमक के गरारे एक बेहतरीन उपचार है।

   केवल गरारे ही नहीं अपितु गर्म पानी में सेंधा नमक डालकर भाप लेने से भी साइनस की तकलीफ में भी बहुत आराम मिलता है। अपने डिकंजेस्टेंट गुण के कारण सेंधा नमक बलगम को पतला करके उसे शरीर से बाहर निकालने में सहायता करता है।

  (सेंधा नमक घर के सामान्य नमक की अपेक्षा अधिक खनिजों से युक्त होता है। साथ ही इसमें विटामिन K भी मिलता है जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक है। इसलिए सेंधा नमक का सेवन से शरीर को अन्य लाभ भी देता है।)


हल्दी दूध का सेवन (Golden Milk/Hot Turmeric Milk)

   हल्दी वाला दूध तो बहुत पहले से हम लोग उपयोग में लाते हैं। किसी को कोई चोट लगी हो या सर्दी। गर्म दूध में हल्दी मिलाकर पीने से बहुत लाभ मिलता है। हल्दी वाला दूध एंटी वायरल और एंटी बैक्टीरियल गुणों से भरा होता है इसलिए इसके सेवन से सर्दी और खांसी से जल्दी छुटकारा मिलता है। 


  हल्दी एंटीइन्फ्लेमेटरी गुण के कारण भी सूजन को कम करने में सहायक होता है इसीलिए आज भी चोट लगने पर लोग हल्दी वाला गर्म दूध पीने को देते हैं ताकि चोट जल्दी ठीक हो।

    हल्दी में करक्यूमिन (Curcumin) नामक कंपाउंड होता है जिसे पॉलीफेनोल भी कहते हैं। यह यौगिक (कंपाउंड) शरीर को कई रोगों से बचाने में और कई बीमारियों के रोकथाम में भी सहायक है। करक्यूमिन बीमारियों की रोकथाम के लिए फायदेमंद तो होता है, लेकिन इसे अवशोषित (Absorption) करना शरीर के लिए मुश्किल होता है। शरीर में करक्यूमिन के अवशोषण के लिए हल्दी को वसायुक्त खाद्य पदार्थों, जैसे – दूध और घी के साथ ही सेवन करना चाहिए। 

  हल्दी वाला दूध सर्दी खांसी के संक्रमण से बचाने के साथ ही शरीर को बलिष्ठ बनाता है और भरपूर ऊर्जा से भर देता है। साथ ही ध्यान रहे इसकी तासीर गर्म होती इसलिए सभी लोग इसका सेवन नहीं कर सकते जैसे, गर्भवती महिलाएं, जिनका हाल ही में कोई सर्जरी हो और अन्य जिनका कोई पुराना इलाज चल रहा हो। 


सूप का सेवन (Seasonal Vegetable Soup)

   मौसमी सब्जियों के सूप हमेशा ही स्वास्थ्यवर्धक होते हैं। गरमा गर्म सूप पीने भर से ही गले में बहुत राहत मिलती है। विटामिन, मिनरल्स एंटीऑक्सीडेंट से शरीर ऊर्जा से भर जाता है साथ ही इसमें डाले जाने वाले मसाले जैसे काली मिर्च, सेंधा नमक, दाल चीनी से सर्दी जुकाम में बड़ा फायदा मिलता है।   

 

      आजकल के मौसम में टमाटर, गाजर, चुकंदर और पालक से बनाया गर्म सूप विटामिन A,E,C,K, जिंक, कैल्शियम, आयरन और एंटी-ऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है जिससे शरीर में गर्माहट बनी रहती है और सर्दी जुकाम में बहुत राहत मिलती है। 

    चुकंदर और पालक में उपस्थित आयरन से जो नाइट्रस आक्साइड निकलता है वह रक्त में आक्सीजन की मात्रा बढ़ाने में सहायक होता है जिससे फेफड़ों को भरपूर ऑक्सीजन मिलती है। सर्दी खांसी या गले के दर्द में इन सब्जियों से बने सूप के सेवन से रक्त की आरबीसी और डबल्यूबीसी कोशिकाएं बढ़ती हैं और साथ ही रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।


भाप (Steam Inhalation)

   गर्म पानी का भाप लेने से बंद नाक भी खुलती है और कफ से होने वाली सांस की समस्या से भी आराम मिलता है। गले में दर्द, जुकाम, बंद नाक, साइनस, सांस लेने में दिक्कत होने पर वेपर थैरपी कारगर सिद्ध होती है। गर्म पानी की भाप नाक और गले से फेफड़ों में पहुंचती है और ये गर्म हवा कफ को पतला कर शरीर से बाहर निकालने में मदद करती है। 



खांसी-जुकाम और फ्लू की समस्याएं भले ही आम हो लेकिन सावधानी बहुत जरूरी है।इसीलिए किसी प्रकार की समस्या होने पर तुरंत अपने डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें।


एक -Naari



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