थोड़ा कुमाऊँ घूम आते हैं...भाग-2

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थोड़ा कुमाऊँ घूम आते हैं...भाग- 2   पिछले लेख में हम हरिद्वार स्थित चंडी देवी के दर्शन करके आगे बढ़ रहे थे यानी कि उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल से अब कुमाऊँ मंडल की सीमाओं में प्रवेश कर रहे थे बता दें कि उत्तराखंड के इस एक मंडल को दूसरे से जोड़ने के लिए बीच में उत्तर प्रदेश की सीमाओं को भी छूना पड़ता है इसलिए आपको अपने आप बोली भाषा या भूगोल या वातावरण की विविधताओं का ज्ञान होता रहेगा।     कुमाऊँ में अल्मोडा, नैनीताल, रानीखेत, मुक्तेश्वर, काशीपुर, रुद्रपुर, पिथौरागढ, पंत नगर, हल्दवानी जैसे बहुत से प्रसिद्ध स्थान हैं लेकिन इस बार हम केवल नैनीताल नगर और नैनीताल जिले में स्थित बाबा नीम करौली के दर्शन करेंगे और साथ ही जिम कार्बेट की सफ़ारी का अनुभव लेंगे।   225 किलोमीटर का सफर हमें लगभग पांच से साढ़े पांच घंटों में पूरा करना था जिसमें दो बच्चों के साथ दो ब्रेक लेने ही थे। अब जैसे जैसे हम आगे बढ़ रहे थे वैसे वैसे बच्चे भी अपनी आपसी खींचतान में थोड़ा ढ़ीले पड़ रहे थे। इसलिए बच्चों की खींचतान से राहत मिलते ही कभी कभी मैं पुरानी यादों के सफर में भी घूम रही थी।     कुमाऊँ की मेरी ये तीसर

सावन में भोले की भक्ति Worship of Lord Shiva in Saavan (Monsoon)

सावन में भोले की भक्ति( बोल बम, हर हर बम।)


    सावन का अर्थ केवल प्रेम,पीहर, झूला और हरियाली ही नहीं है बल्कि सावन भक्ति का भी मौसम है इसीलिए तो आपने भी सावन में बहुत से लोगों को भगवान शिव की भक्ति में डूबा हुआ या बोल बम कहते हुए सुना या देखा होगा। ये अलग बात है कि कोरोना संक्रमण के कारण कांवड़ियों पर रोक लगा दी है लेकिन शिव की भक्ति पर कोई रोक नहीं हैं तभी तो सावन मौसम है पावन भक्ति का, भगवान शिव की आराधना का और इसी सावन माह में चारों ओर हरियाली के साथ भगवान शिव की भक्ति का अलग ही आनंद है जो कि भोले भक्त ले ही रहे है। 

  सावन आरंभ हो चुका है और भगवान शिव को पूजने और प्रसन्न करने का अवसर भी क्योंकि मान्यता है कि सावन में भगवान शिव की आराधना से सभी का कल्याण होता है क्योंकि भगवान शिव सावन के महीने में किए गए पूजन से प्रसन्न होते हैं। सावन के सोमवार का व्रत करने से पुण्य लाभ मिलता है।

सावन में भगवान शिव की भक्ति का महत्व क्यों है?

सावन माह और शिव का संबंध के पीछे भी एक पौराणिक कथा है।


   माता पार्वती ने भगवान शिव को अपने पति रूप में प्राप्त करने के लिए भगवान शिव की आराधना की और सावन माह में कठोर तप किए थे जिससे भगवान शिव प्रसन्न हुए और उनसे विवाह किया। तभी से भगवान शिव को सावन माह प्रिय है। एक और कथानुसार सावन माह में ही समुद्र मंथन के समय भगवान शिव ने हलाहल (विष) का पान किया था और सृष्टि की रक्षा की थी इसीलिए यह माह भगवान शिव के लिए विशेष है इसी कारण से इस माह में किए गए व्रत, तप, आराधना का फल भगवान शिव से शीघ्र ही मिलता है और जगत का कल्याण होता है।

भोलेनाथ की कृपा पाने के पांच नियम
  
    पौराणिक काल से ही सावन माह के सोमवार अति विशिष्ट दिन होता है। इस दिन का व्रत बहुत फलदायी होता है चूंकि सोमवार का दिन भगवान शिव का दिन माना जाता है और जब सोमवार सावन माह के हों तो इस दिन की महत्ता तो और भी बढ़ जाती है। साधारण से नियम अपनाकर भी भगवान शिव की कृपा पा सकते हैं क्योंकि भगवान शिव तो भोलेनाथ हैं बिलकुल सहज और सरल। साधारण से नियम अपनाकर अपने दैनिक क्रियाकलाप के साथ शिवभक्ति भी की जा सकती है। ये पांच नियम इस प्रकार हैं,,,
 
1. जलाभिषेक: पौराणिक मान्यतानुसार जब भगवान शिव ने सृष्टि की रक्षा हेतु विष पिया था तो उस विष के कारण भगवान भोलेनाथ का ताप बढ़ने लगा उस गर्मी और ताप को कम करने के लिए सभी देवगणों ने भगवान शिव का जलाभिषेक किया था और तभी से माना जाता है कि शिवलिंग पर जल चढ़ाने से भगवान शिव की कृपा बनी रहती है। 


   सावन माह में सोमवार के दिन शिवलिंग के जलाभिषेक का बहुत ही महत्व है। जल में दूध डालकर भी भोले का अभिषेक किया जा सकता है। सावन के प्रत्येक सोमवार को भगवान शिव का अभिषेक अवश्य करें। अगर किन्हीं कारणवश मंदिर भी जाना न हो पाए तो किसी भी पिंडी को शिव स्वरूप मानकर घर पर ही अभिषेक करें और सावन के बाद पिंडी को चलते पानी में प्रवाहित कर दें।

2. मंत्रजाप: हिंदू धर्म में पूजा पाठ के साथ मंत्रों का अति महत्व है। हर मंत्र का अपना प्रभाव होता है। भगवान शिव से संबंधित भी कई मंत्र हैं। सावन काल में भगवान शिव का महा मृत्युंजय मंत्र का पाठ करना शुभकारी होता है। लेकिन शिव पञ्चाक्षर मन्त्र, ॐ नमः शिवाय का जाप भी अपने में बहुत फलदायी है। यह मंत्र सभी बाधाओं और दोषों का निवारण करता है। 

   

   विद्वानों के अनुसार इस मंत्र का उच्चारण एक प्रकार से साउंड थैरेपी है जो शारीरिक और मानसिक मजबूती भी देता है। ॐ नमः शिवाय का जाप सर्वमानोकामना पूर्ण मंत्र है जिसका उल्लेख वेद और पुराण मे भी है इसीलिए सावन के सोमवार के दिन ॐ नमः शिवाय का जाप करें और भगवान शिव के साथ माता पार्वती समेत पूरे शिव परिवार की पूजा अर्चना करें।

3. दान: वैसे तो दान देना एक प्रकार की सामाजिक व्यवस्था है जिससे कि संतुलन बना रहे और हर जीव मात्र की खाने की आपूर्ति हो जाए लेकिन हमारी संस्कृति में दान देना भी एक धर्म है।
दानं दमो दया क्षान्ति: सर्वेषां धर्मसाधनम् ॥
(दान, अन्त:करण का संयम, दया और क्षमा सभी के लिए सामान्य धर्म साधन हैं।)


  सावन माह के सोमवार वाले दिन अवश्य दान करें लेकिन सुपात्र को जिन्हें आवश्यकता है। वैसे भगवान शिव तो भोलेनाथ हैं इसलिए भोलेभाले बच्चों को सोमवार के दिन अवश्य कुछ न कुछ भेंट करें और भोलेनाथ की अनुकंपा प्राप्त करें।

4. सात्विक आहार और विचार: व्रत तभी फलीभूत होता है जब वह सात्विकता के साथ पूर्ण किया जाए। सात्विक शुद्ध शाकाहारी आहार प्रेम से ग्रहण करें और क्रोध, लोभ, किसी भी बुराई या नकारात्मक विचारों से दूर रहें। सात्विक आहार और शुद्ध विचारों से सकारात्मकता आएगी और घर में सुख शांति का वास होगा।


5. विश्वास: शिव सृष्टि के सृजनहार भी हैं और संघारक भी, वे कल्याणकारी भी हैं और कष्टहारी भी इसीलिए भगवान शिव की आराधना देव, ऋषि, मुनि, सन्यासी, और गृहस्थ से लेकर दानव और असुर तक करते आएं हैं।


    आदिनाथ भगवान शिव पर विश्वास बनाए रखें, वे देवो के देव महादेव हैं और शीघ्र ही प्रसन्न होने के कारण भोलेनाथ भी इसीलिए इस सावन भी आस्था और विश्वास के साथ भगवान शिव की प्रार्थना करें और उचित फल प्राप्त करें।


तो बोलो...बोल बम, हर हर बम।
            जय भोले, बम बम भोले।।


एक - Naari

Comments

  1. Shai bat likhi hai jay bholy Baba

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  2. Bol Bam, Har Har Bam...Jai Bholenath

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  3. शिव ही सत्य है शिव ही सुंदर है ।



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