नवरात्र... नौ दिन तपस्या के (Navratri… nine days of worship)
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" आज का लेख 'नवरात्र' लिखने का कारण मेरी बेटी है चूंकि नवरात्र का समय है मतलब कन्या पूजन का अवसर आ रहा है इसीलिए अपने घर की कन्या के द्वारा दिए गए शीर्षक को मैंने भी आशीर्वाद की भांति ले लिया। "
नवरात्र के दिन हैं और चारों ओर का वातावरण भी अपने आप सकारात्मक लग रहा है। सुबह उठते ही मंदिरों की घंटियां बजने लगती हैं तो शाम को घरों से ढोलक और मंजीरे की धुन सुनाई पड़ती है। लोगों के मस्तक कुमकुम व चंदन के टीके से सजे मिलते हैं और हाथ रक्षा सूत्र से, घर कपूर और धूपबत्ती से महकते हैं और आंगन की तुलसी नई चुनरी ओढ़े चहकती है और इसी के साथ घर क्या पास पड़ोस में भी ये नौ दिन उत्सव में बदल जाते हैं।
नवरात्र में तो वे लोग भी जय माता दी कहते हुए दिखाई देते हैं जिनके मुंह से कभी नमस्ते सुनाई नहीं देता होगा। सच में, नवरात्र आते ही लोगों के अंदर भाव बदल जाते हैं, विचार बदल जाते हैं और कर्म बदल जाते हैं। पता है न क्यों क्योंकि नवरात्र आना मतलब कि एक नए वातावरण में प्रवेश करना, एक नए मौसम का आना।
वर्ष के दो विशेष नवरात्र
हिंदू कैलेंडर के अनुसार एक वर्ष में 4 बार नवरात्रि आती है लेकिन हम सिर्फ दो नवरात्रि ही मनाते है, बाकी दो गुप्त नवरात्रि होती हैं जो आषाढ़ और माघ में आती हैं। गुप्त नवरात्र में जहां कुछ विशिष्ठ लोग ही पूजा करते हैं वहां हम जैसे सामान्य लोग जो नवरात्रि मनाते हैं उनमें एक चैत्र नवरात्रि और दूसरी शारदीय नवरात्रि हैं जिसमें हम माता के नौ स्वरूपों की आराधना करते हैं। वर्ष के मार्च-अप्रैल में चैत्र नवरात्रि का आगमन और सितंबर-अक्टूबर माह में शारदीय नवरात्र का आगमन होता है। चैत्र नवरात्र को रामनवमी भी कहते है क्योंकि इस दिन भगवान श्री राम का जन्म हुआ था और शारदीय नवरात्र को महानवरात्र भी कहा जाता है क्योंकि 9 दिन के बाद दशहरे में रावण का अंत हुआ था।
प्रकृति माता की देन है नवरात्र
उपवास एवं व्रत के लाभ
ऋतु परिवर्तन के साथ, मन और मस्तिष्क के इस बदलाव को शरीर के साथ सामंजस्य भी बनाना पड़ता है और यह नवरात्र भी व्रत के माध्यम से हमारे शरीर को संतुलित बनाते है। व्रत या उपवास से शरीर के कई टॉक्सिन भी निकलते है जिससे शरीर रोगमुक्त होता है। व्रत के माध्यम से हमें सकारात्मक ऊर्जा तो मिलती है साथ ही साथ हमारा आत्मविश्वास भी बढ़ता है और नवरात्र में ही हम संयमित और नियमित भी होते हैं जिससे हमारा स्वयंनियंत्रण भी बढ़ता है। इन्हीं व्रत और सुमिरन से हमारे शरीर के कई विकार तो दूर होते हैं साथ ही साथ विचार की भी शुद्धि होती है।
जौ की हरियाली
नवरात्र में हरियाली बौने का भी अपना महत्व है। जौ आदिकाल से बोई हुई फसल है। इसे धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ब्रह्म स्वरूप माना गया है तभी तो किसी भी धार्मिक अनुष्ठान में जौ का प्रयोग अवश्य होता है।
पहले नवरात्र (प्रतिपदा) को मिट्टी के खुले पात्र में जौ को बोया जाता है और विशेष पूजा के साथ बड़े पत्तों से पात्र को ढक दिया जाता है, पांचवे नवरात्र (पंचमी) में जब पत्ते हटाते हैं तो जौ के अंकुर दिखाई देते हैं और फिर धीरे धीरे हरी हरी जौ बढ़ती है और नवमी के दिन पूजा अर्चना के साथ जौ को काट दिया जाता है। हरियाली को अपने आने वाले समय के शुभ संकेतों के रूप में देखना मन को कितनी तसल्ली देता है इस बात को कौन नकार सकता है। मान्यतानुसार जौ की हरियाली का बढ़ना घर में सुख समृद्धि का बढ़ना होता है।हरियाली आंखों को सुकून तो देती ही है साथ ही साथ आने वाले समय के लिए हमें भावनात्मक और मानसिक रूप से मजबूत भी बनाती है।
नवरात्रि में कन्या पूजन
अष्टमी और नवमी में कन्या पूजन के समय छोटी छोटी कन्याओं का घर आना, पूजा अर्चना करना और प्रसाद ग्रहण करना बहुत ही आवश्यक एवं शुभ होता है।
सजी धजी कन्याओं को देखकर अपने बचपन के दिन भी याद आ जाते हैं जब मैं और मेरी सहेलियां भी कन्या पूजन के समय पास पड़ोस में जाती थीं। सच में, जो भाव नवरात्रि में उस समय लोगों का हुआ करता था बिलकुल वैसा ही भक्ति भाव आज भी लोगो में दिखता हैं। बस पहले कन्याएं बिना किसी रोक टोक और झिझक से पूजन में सम्मिलित हो जाती थीं, और अब कन्या पूजन में कन्याएं मिलना थोड़ा कठिन काम हो गया है।
कारण शायद बदलते समय का भी है क्योंकि अगर कहीं माता के भक्त हैं तो कहीं दुष्ट भी हैं। समय के साथ साथ अब थोड़ा सामाजिक परिवेश भी बदल गया है और सबसे बड़ी बात तो इस बार फिर से नवरात्रि में कोरोना का रोना भी है, इसलिए अभी तो सामाजिक दूरी बनानी ही है लेकिन माता की भक्ति से नहीं। घर में हवन, पूजन सभी करें लेकिन कन्याओं का अवश्य ध्यान रखें, कोरोनाकाल में किन्हीं कारणवश उन्हें जाने अनजाने में दुख या कष्ट न पहुंचे जिससे कि नवरात्र में की गई साधना और उपासना व्यर्थ जाए।
इस नवरात्रि में भी माता से यही प्रार्थना की जाए कि कोरोना रूपी राक्षस से जल्दी ही मुक्ति मिले। जैसे सनातन धर्म में नए कार्य के आरंभ के लिए सबसे शुभ दिन नवरात्र माने जाते हैं वैसे ही एक बार फिर से कोरोना से बचने एवं लड़ने के लिए मन में भी सकारात्मक दीपक जलाएं, कड़े नियम धर्म का पालन करें और नमन करें,,,
शुभं करोति कल्याणमारोग्यं धनसंपदा ।
शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपज्योतिर्नमोऽस्तुते ॥
'जय माता दी।।'
एक -Naari
Comments
Bahut khoob Reeena
ReplyDeleteVery true and Happy Navratri
ReplyDeleteJai mata Rani ki ...bahut sundar
ReplyDeleteJai mata di
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