International Women's Day

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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस International Women's Day  सुन्दर नहीं सशक्त नारी  "चूड़ी, बिंदी, लाली, हार-श्रृंगार यही तो रूप है एक नारी का। इस श्रृंगार के साथ ही जिसकी सूरत चमकती हो और जो  गोरी उजली भी हो वही तो एक सुन्दर नारी है।"  कुछ ऐसा ही एक नारी के विषय में सोचा और समझा जाता है। समाज ने हमेशा से उसके रूप और रंग से उसे जाना है और उसी के अनुसार ही उसकी सुंदरता के मानक भी तय कर दिये हैं। जबकि आप कैसे दिखाई देते हैं  से आवश्यक है कि आप कैसे है!! ये अवश्य है कि श्रृंगार तो नारी के लिए ही बने हैं जो उसे सुन्दर दिखाते है लेकिन असल में नारी की सुंदरता उसके बाहरी श्रृंगार से कहीं अधिक उसके मन से होती है और हर एक नारी मन से सुन्दर होती है।  वही मन जो बचपन में निर्मल और चंचल होता है, यौवन में भावुक और उसके बाद सुकोमल भावनाओं का सागर बन जाता है।  इसी नारी में सौम्यता के गुणों के साथ साथ शक्ति का समावेश हो जाए तो तब वह केवल सुन्दर नहीं, एक सशक्त नारी भी है और इस नारी की शक्ति है ज्ञान। इसलिए श्रृंगार नहीं अपितु ज्ञान की शक्ति एक महिला को विशेष बनाती है।   ज्...

गणतंत्र दिवस...आओ थोड़ा शीश झुकाएं

      जिस उद्योग की गति रफ्तार से भाग रही थी कोरोना काल के कारण उसी की चाल थोड़ी धीमी हो गई है और बहुत से साथी इससे प्रभावित भी हुए हैं इसीलिए गणतंत्र दिवस पर ये एक छोटी सी कविता मेरे उन साथियों के लिए है जो होटल और पर्यटन उद्योग से जुड़े हैं। 
आओ थोड़ा शीश झुकाएं, 
          कुछ पल वंदे मातरम् गाएं। 
छोड़ पुराने काले दिनों को,
          नई आशा के दीप जलाएं। 
रुकी चाल से फिर धीमी हुई, 
          अब चलो आगे बढ़ जाएं। 
कुछ सोचें नवीन तो, 
           कुछ पुरानी सीढ़ी चढ़ जाएं। 
महापुरषों को याद करें, 
            अपनी हिम्मत को पहचानें।
साथी सभी अब मिलकर, 
            आओ थोड़ा शीश झुकाएं। 
कुछ पल वंदे मातरम् गाएं । 
             कुछ पल वंदे मातरम् गाएं।। 

(Dedicated to Hotel &Tourism Industry) 

एक-Naari


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