Posts

Showing posts from December, 2023

चूरमा Mothers Day Special Short Story

Image
Mother's Day Special... Short Story (लघु कथा) चूरमा... क्या बात है यशोदा मौसी,, कल सुबह तो पापड़ सुखा रही थी और आज सुबह निम्बू का अचार भी बना कर तैयार कर दिया तुमने। अपनी झोली को भी कैरी से भर रखा है क्या?? लगता है अब तुम आम पन्ना की तैयारी कर रही हो?? (गीता ने अपने आंगन की दीवार से झाँकते हुए कहा)  यशोदा ने मुस्कुराते हुए गर्दन हिलाई । लेकिन मौसी आज तो मंगलवार है। आज तो घर से चूरमे की मीठी मीठी महक आनी चाहिए और तुम कैरी के व्यंजन बना रही हो। लगता है तुम भूल गई हो कि आज सत्संग का दिन है। अरे नहीं-नहीं, सब याद है मुझे।   तो फिर!! अकेली जान के लिए इतना सारा अचार-पापड़। लगता है आज शाम के सत्संग में आपके हाथ का बना स्वादिष्ट चूरमा नहीं यही अचार और पापड़ मिलेगे। धत्त पगली! "चूरमा नहीं,,,मेरे गोपाल का भोग!!" और सुन आज मै न जा पाउंगी सत्संग में।  क्या हुआ  मौसी?? सब खैरियत तो है। इतने बरसों में आपने कभी भी मंगल का सत्संग नहीं छोड़ा और न ही चूरमे का भोग। सब ठीक तो है न??   सब खैरियत से है गीता रानी, आज तो मै और भी ठीक हो गई हूँ। (यशोदा तो जैसे आज नई ऊर्जा से भर गई थी, ...

सर्दी...शादी...स्वेटर..

Image
    सर्दी...शादी...स्वेटर..     शादियों का मौसम है और वो भी सर्दियों में। दुल्हा, दुल्हन बरात, मेहंदी, हल्दी, फेरे, विदाई, दावत, ढेर सारी जगमगाती रोशनी और उन रोशनियों में चमकते चेहरे।    अब दुल्हा दुल्हन के चेहरे की चमक का तो कोई जवाब ही नहीं है। ये उनकी खुशियों की प्राकृतिक चमक है जो उनके चेहरों से अधिक उनकी आँखों में होती है। साथ ही परिवारजन और शुभचिंतकों की खुशियों में भी कोई कमी नहीं होती खासकर कि महिलाओं और युवतियों की जिनकी खुशियों में इतनी गर्माहट होती है कि चाहे कितनी भी ठंड हो बिना स्वेटर या किसी भी गर्म कपड़ों के हर शादी चल जाती है।     जहाँ आदमी और लड़के लोग सूट, स्वेटर, जैकेट, शाल पहने उनके इस साहस को देखकर हैरान होते हैं तो वहीं वृद्ध माताएं तरह तरह के ज्ञान देकर उन्हें घुडाकानें से भी नहीं चूकती। लेकिन क्या करें शादी की चकाचौंध की जो गर्माहट होती है वो बहुत ही नर्म और मखमली होती है  जिसके बीच सच में ठंडक गायब हो जाती है जिसे केवल महिलाएं ही समझ सकती है। और अगर आप उन्हें समझना चाहते हैं तो उसके लिए आप...

प्रकृति: सुनो तो सही!!

Image
प्रकृति: सुनो तो सही!!       ऐसा लगता है कि रह रह कर प्रकृति कुछ न कुछ बताने की कोशिश कर रही है या कुछ कहने की और अगर हम न सुने तो फिर ये हमें समय समय पर चेतावनी भी दे रही है कि 'मुझे मत छेड़ो। अगर मुझे छेड़ोगे तो मैं किसी न किसी रूप में अपना बदला लूंगी।' और एक हम लोग हैं जो इन संकेतों को समझ नहीं रहे हैं या यूँ कहा जाए कि इन चेतावनियों को हल्के में ले रहे हैं और फिर से उसी राह में आगे बढ़ जा रहे हैं। ऊपर से अपनी गलतियों को नज़रंदाज कर प्राकृतिक आपदा के नाम पर प्रकृति माँ को ही दोष दे रहे हैं।  क्यों!! मानो या न मानो लेकिन सिलक्यारा टनल का हादसा अभी एक ताजा उधारण है विकास vs विनाश का। ये अवश्य है कि 17 दिन बाद इस सुरंग से सभी मजदूर सकुशल आ गए ये एक बहुत बड़ी जीत है।   हमने इस बचाव कार्य के लिए तरह तरह की तकनीक का उपयोग किया जिसमें हम सफल हुए और आज हम सभी उत्साहित भी हैं कि बिना किसी जन हानि के हमने इस विपदा को काट दिया ये बहुत अच्छी बात है। लेकिन हम ये मानने के लिए क्यों तैयार नहीं हैं कि प्राकृतिक आपदा विपदाओं के सामने हम हमेशा हार...