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Showing posts from May, 2022

शांत से विकराल होते पहाड़...

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शांत से विकराल होते पहाड़...   क्या हो गया है पहाड़ में?? शांत और स्थिरता के साथ खड़े पहाड़ों में इतनी उथल पुथल हो रही है कि लगता है पहाड़ दरक कर बस अब मैदान के साथ में समाने वाला है। क्या जम्मू, क्या उत्तराखंड और क्या हिमाचल! दोनों जगह एक सा हाल! कभी बादल फटने से तो कभी नदी के रौद्र् रूप ने तो कभी चट्टानों के टूटने या भू धंसाव से ऐसी तबाही हो रही है जिसे देखकर सभी का मन विचलित हो गया है। प्रकृति के विनाशकारी स्वरुप को देख कर मन भय और आतंक से भर गया है। इन्हें केवल आपदाओं के रूप में स्वीकार करना गलती है। असल में ये चेतावनी है और प्रकृति की इन चेतावनियों को समझना और स्वयं को संभालना दोनों जरूरी है।     ऐसा विकराल रूप देखकर सब जगह हाहाकार मच गया है कि कोई इसे कुदरत का कहर तो कोई प्रकृति का प्रलय तो कोई दैवीए आपदा कह रहा है लेकिन जिस तेजी के साथ ये घटनाएं बढ़ रही है उससे तो यह भली भांति समझा जा सकता है कि यह प्राकृतिक नहीं मानव निर्मित आपदाएं हैं जो प्राकृतिक रूप से बरस पड़ी हैं।    और यह कोई नई बात नहीं है बहुत पहले से कितने भू वैज्ञानिक, पर्यावरणविद और ...

Chef: Heart/King of the kitchen

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Chef: King of the kitchen    शेफ का मतलब कैंब्रिज डिक्शनरी में भले ही स्किल्ड और ट्रेन्ड कुक हो जो होटल या रेस्टोरेंट में काम करता है लेकिन एक आम भाषा में एक शेफ पूरी किचन का कर्ता धर्ता होता है जिसका काम केवल चूल्हे में खाना बनाना नहीं बल्कि हर एक मसाले की पहचान, जायकों की समझ, खाना पकाने की तकनीक का ज्ञान, मेनू प्लानिंग, नई नई विधियों से लेकर पारंपरिक पकवान को सर्वोत्तम बनाने तक का होता है। साथ ही होटल रेस्टोरेंट के किचन की बजट/कोस्टिंग से लेकर पूरे किचन ऑपरेशन की जिम्मेदारी भी बेहतरीन तरीके से निभाता है असल में वही शेफ है। इन्हीं सब के चलते अगर शेफ को किचन का राजा कहा जाए तो कुछ गलत नहीं है। अब अगर राजा निपुण होगा तो राज्य बढ़ेगा उसी तरह जब एक शेफ मास्टर होगा तो बिजनेस बढ़ेगा क्योंकि पूरे किचन की बागडोर मास्टर शेफ के हाथों में जो होती है।     सफेद शेफ कोट और अप्रैन पहने जो सिर पर बड़ी सी सफेद टोपी केवल शेफ कैप नहीं उसके लिए किचन का ताज होता है। भले ही शेफ कैप हाइजीन के मानकों को पूर्ण करती हो लेकिन शेफ के लिए उसकी वर्दी और उसकी शेफ कैप उसक...

गर्मी में प्रभु का धन्यवाद!!

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गर्मी में प्रभु का धन्यवाद!!    हम लोग न शिकायत बहुत करते हैं। कभी अपनो से तो कभी अपने आप से और जब कभी कुछ नहीं सूझता तो भगवान से ही शिकायत कर लेते हैं क्योंकि यहां तसल्ली मिलती है कि कोई सुने या न सुने लेकिन मेरा भगवान तो जरूर सुनेगा। अब इसे हम शिकायत समझे या फिर अपनी इच्छाएं ये तो भगवान ही जाने हम तो बस भगवान के तथास्तु की इच्छा रखते हैं लेकिन अपनी इच्छाओं के साथ आगे बढ़ते बढ़ते उस ईश्वर का धन्यवाद देना भी भूल जाते हैं जिसने हमेशा सहारा दिया है।       वैसे तो ईश्वर के आगे हम सभी नमन करते हैं लेकिन कभी कभी उसकी कृपा देर से समझ आती है। अभी पिछले शनिवार की ही बात है जब मुझे भी इस बात का अनुभव हुआ कि चाहे जो भी दिया है जितना भी दिया है उसके लिए ईश्वर का धन्यवाद है।    पिछले हफ्ते ही ऋषिकेश जाना हुआ लेकिन बिना अपनी गाड़ी के। काफी समय गुजर गया है किसी भी पब्लिक ट्रांसपोर्ट की सेवाएं लेते हुए । कहीं भी जाना हो चाहे पास का सफर हो या दूर का अब अधिकतर अपना वहां ही प्रयोग होता है। भीड़भाड़ वाली जगह हो तो दुपहिया नहीं तो अपनी गाड़ी से ही चल पड़ते हैं...

Hotel & Hospitality: एक विशाल परिवार!!

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Hotel & Hospitality: एक विशाल परिवार!!    मेरे फोन में केवल 30% नंबर ही मेरे अपने घर परिवार और दोस्त के हैं। बाकी बचे लगभग 70% नंबर तो होटल और हॉस्पिटैलिटी से जुड़े लोगों के है। इसे देखकर लगता है कि अपने परिवार से बड़ा तो ये होटल और हॉस्पिटैलिटी का परिवार है जहां नित नए लोग मुझसे जुड़ते चले जा रहे हैं और ऐसा ही हाल उन सभी लोगों का भी है जो इस क्षेत्र से जुड़े हुए हैं।    सच कहती हूं 11 साल पहले जो होटल और हॉस्पिटैलिटी क्षेत्र से क्या जुड़ी, मुझे लग रहा है कि आज तक नए लोगों से जुड़ रही हूं। सीमित परिवार के साथ सीमित मोबाइल नो. लेकिन इस विशाल क्षेत्र से जुड़ने का मतलब मेरे व्यवसायिक परिवार का अपने आप विशाल हो जाना है।     होटल और रेस्टोरेंट उद्योग अपने आप में इतना विशाल है कि रोज कितने ही नए लोग इससे जुड़ते चले जा रहे हैं और एक परिवार की तरह आपस में बंधे जाते हैं क्योंकि जैसे हमारी दुनियां गोल है वैसे ही होटल और रेस्टोरेंट की दुनिया भी गोल है जहां सभी लोग अपना अपना काम करते हुए आपस में जुड़ते चले जाते हैं और किसी न किसी छोर पर...