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Showing posts from November, 2020

International Women's Day

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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस International Women's Day  सुन्दर नहीं सशक्त नारी  "चूड़ी, बिंदी, लाली, हार-श्रृंगार यही तो रूप है एक नारी का। इस श्रृंगार के साथ ही जिसकी सूरत चमकती हो और जो  गोरी उजली भी हो वही तो एक सुन्दर नारी है।"  कुछ ऐसा ही एक नारी के विषय में सोचा और समझा जाता है। समाज ने हमेशा से उसके रूप और रंग से उसे जाना है और उसी के अनुसार ही उसकी सुंदरता के मानक भी तय कर दिये हैं। जबकि आप कैसे दिखाई देते हैं  से आवश्यक है कि आप कैसे है!! ये अवश्य है कि श्रृंगार तो नारी के लिए ही बने हैं जो उसे सुन्दर दिखाते है लेकिन असल में नारी की सुंदरता उसके बाहरी श्रृंगार से कहीं अधिक उसके मन से होती है और हर एक नारी मन से सुन्दर होती है।  वही मन जो बचपन में निर्मल और चंचल होता है, यौवन में भावुक और उसके बाद सुकोमल भावनाओं का सागर बन जाता है।  इसी नारी में सौम्यता के गुणों के साथ साथ शक्ति का समावेश हो जाए तो तब वह केवल सुन्दर नहीं, एक सशक्त नारी भी है और इस नारी की शक्ति है ज्ञान। इसलिए श्रृंगार नहीं अपितु ज्ञान की शक्ति एक महिला को विशेष बनाती है।   ज्...

कोविड चालान का अनुभव...

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   क्या आपने भी अनुभव लिया है पुलिस से कोविड चालान कटवाने का? कैसा लगता है न, जब आप अपने स्कूटर में अकेले जा रहे हों और आपको कोई पुलिस वाला हाथ देकर बोलता है कि, " गाड़ी side लगा "। एक आम और सामान्य नागरिक होते हुए, मुझे तो बहुत बुरा लगता है। ऐसा अनुभव होता है कि भीड़ में से तुम ही एक अपराधी हो, और फिर अपने को निर्दोष साबित करने के लिए सारी चिठियाँ खुलवा दी जाती है।       काफी समय से कोरोना का नाम थोड़ा कम सुनाई दे रहा था लेकिन दिवाली के पास से इसकी संक्रमण की रफ्तार एक बार फिर से बढ़ गई है। कोरोना के साथ साल भर बीतने वाला  है और अब सभी लोगों को ये अच्छे से पता चल चुका है कि ' दो गज दूरी, मास्क है जरूरी'। लेकिन फिर भी हम में से बहुत लोग इस नियम को भूल जाते हैं और इसी कारण से पुलिस को भी थोड़ी सख्ती बरतनी पड़ रही है।  जब सभी लोग अपने घर परिवार, दोस्त रिश्तेदारों के साथ हर तीज त्यौहार साथ मनाते हैं तो वर्दी पहने सिपाही सड़कों और चौक पर, अपनी नौकरी करते हुए दिखाई देतें हैं। जबसे ये कोरोना महामारी का समय आया तो इन पुलिसकर्मियों का काम...

कुछ तो आप से ही सीखा है जनाब…।

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कुछ तो आप से ही सीखा है जनाब…।  ये सुबह सुबह अदरक वाली चाय की चुस्कियां लेना और फ़िर अख़बार पढ़कर दुनिया जहान के खबरें पढ़ लेना।  मेरे नसीब में कहाँ, फ़िर भी .... कुछ तो आप से ही सीखा है जनाब…।।  जैसे सुबह का दूध लेना, फिर पड़ोसन से मिलना और सुबह की राम राम के साथ ही पूरी सोसाइटी का हाल जान लेना।  कुछ पडोसन की सुनना और फिर कुछ अपनी सुना आना ... कुछ तो आप से ही सीखा है जनाब…।। तुम्हरा, सिर के मेहमनो को तेल जेल से सेट करना, मखमली क्रीम से चेहरे को रगड़ना, वो खुश्बू वाले इत्र के साथ रौब से टाई और फ़िर घड़ी पहनना । मेरे नसीब में कहाँ, फ़िर भी .... कुछ तो आप से ही सीखा है जनाब…।। जैसे उलझे हुए बालों का ही झट से जूड़ा बना लेना, दो दिन की पुरानी बिंदिया को माथे पे फिर से सजा देना।  लाल-हरी चूड़ी और पायल को ही अपना सोलह सिंगार समझ लेना ... कुछ तो आप से ही सीखा है जनाब…।।  वो दफ्तर से घर आना और सीधे रिमोट पे कब्जा कर लेना,  टेबल पर पैर रख सोफे में बैठ जाना और फिर तीन घंटों तक लगातार मैच या बहस देखना, तुम्हारा घर के काम से बचना, बच्चों के साथ वीडियो ग...

मेरे पास माँ है, सासु माँ।।

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       अभी कुछ दिन पहले ही तो सुहाग का त्यौहार 'करवा चौथ' मनाया गया है। अब इस निर्जला व्रत के बारे में सभी को पता है कि ये व्रत पति की दीर्घायु के लिए रखा जाता है, और इस व्रत में पति के साथ साथ सास की भूमिका भी महत्वपूर्ण होती है। आज मैं यही सोच रही हूँ कि जितना महत्व सास का इस दिन है उतना अन्य दिनों में भी है क्या? जैसी मेरी माँ है, वैसे ही सासु माँ भी हैं क्या?        सच कहूँ तो एक नारी का दूसरी नारी के साथ तुलना करना ही गलत है। दोनों का अपना अपना स्थान है। वैसे तो दोनों माँ ही हैं, बस एक माँ के साथ आपका जन्म का संबंध है और एक माँ के साथ आपका विवाह के बाद का संबंध है।        विवाहेतर जो आपसी नये संबंध बनते है, उसमे सबसे प्रमुख और सबसे नाज़ुक रिश्ता, सास के साथ भी बनता है। माँ तो हमें जनम देती है, हमें पालती है, हमें अच्छे बुरे की तुलना करना भी बताती है। अपने मायके की याद के साथ साथ सीख-संस्कार सभी कुछ तो बेटी अपने ससुराल ले ही जाती है । अब जब हमें अपनी माँ से ही इतना सब कुछ सिखने को मिल जाता है तो फिर सास से सीखने ...