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Showing posts from September, 2025

करवा चौथ के नैतिक नियम

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करवा चौथ के नैतिक नियम.. शुद्धि,  संकल्प,  श्रृंगार,  साधना, सुविचार व  सुवचन    अखंड सौभाग्य के लिए सनातन धर्म में बहुत से व्रत और पूजा के विधि विधान हैं। ऐसे ही हर सुहागन महिलाओं के लिए करवा चौथ का व्रत एक महत्वपूर्ण व्रत है जो उनके अखंड सौभाग्य और सुखी दाम्पत्य जीवन के लिए बहुत ही शुभकारी माना गया है।    यह व्रत कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि आने पर निर्जला किया जाता है जो कि सूर्योदय से आरंभ होकर चंद्रोदय के बाद ही संपूर्ण किया जाता है। इस दिन महिलाएं अपने पूरे श्रृंगार के साथ उपवास रखती हैं और करवा माता की कथा पढ़कर या श्रवण करके अपने पति की दीर्घायु की कामना करती है। रात्रि में चंद्रोदय होने पर अर्घ्य के बाद ही उपवास को पूर्ण माना जाता है।    यह व्रत उत्तर भारत में मुख्यत: दिल्ली, हरियाणा, चंडीगढ़, राजस्थान में किया जाता है लेकिन अपनी लोकप्रियता एवं मान्यताओं के कारण देश के विभिन्न जगहों में भी सुहागन स्त्रियों द्वारा करवा चौथ का उपवास बड़े ही चाव और भाव से रखा जाता है। यह अवश्य है कि अलग अलग जगहों में अपनी र...

नवरात्रि विशेष: शक्ति का स्वरूप (ज्वाल्पा देवी)

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 देवी दुर्गा, शक्ति का स्वरूप: माता ज्वाल्पा देवी    सृष्टि की सर्वोच्च शक्ति का स्वरूप ही देवी दुर्गा है। इन्हीं देवी की अपार कृपा प्राप्त करने का विशिष्ट समय होता है नवरात्रि के नौ दिन।    इन पावन दिनों में महादेवी माता दुर्गा की पूजा, पाठ, तप, साधना एवं नाम से ही अपार ऊर्जा मिलती है और घर परिवार में सुख शांति बनी रहती है।  यह समय ऐसा होता है जब भगवती की उपासना से जीवन की नकारात्मकता का अंत होने लगता है और हमें सकारात्मक ऊर्जा से मानसिक व आत्मिक बल की प्राप्ति होती है। इस ऊर्जा को संचित करने के लिए अश्विन मास के शारदीय नवरात्रि का आगमन हो चुका है।    नवरात्रि के इन विशेष नौ दिनों में माता के नौ रूपों की पूजा तो होती ही है साथ ही लोग अपने कुल देवी या लोक देवी की पूजा भी नवरात्रों में उसी श्रद्धा से करते हैं जैसे कि माता दुर्गा की क्योंकि हर विशेष स्थान की लोक देवी भी देवी दुर्गा का स्वरूप है। माता का कोई भी रूप एक दूसरे से भिन्न नहीं है। शक्ति के सभी स्वरूप अपने भक्तों का कल्याण करने वाला और मंगलकारी है इसलिए हर एक देवी को नवरात्रों म...

श्रद्धा से श्राद्ध

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  श्रद्धा से श्राद्ध...   हिंदू धर्म में श्राद्ध का अपना महत्व है। वर्ष में एक बार आने वाले पितृ पक्ष हमें अपने पितर/पितृ को नमन करने का अवसर देते हैं। यह हमें बताते हैं कि हमारे पूर्वज अब पितृ देव हैं इसलिए जैसे समय समय पर देवताओं का भाग दिया जाता है वैसे ही पितृ देवों का भाग भी अवश्य निकालना चाहिए। यह ध्यान रखना चाहिए कि हम भले ही अपने जीवन में कितने भी व्यस्त रहे लेकिन श्राद्ध पक्ष में अपने पित्रों का श्राद्ध करना न भूलें।  माना जाता है कि पितृ पक्ष के इन सोलह दिनों में हमारे पूर्वज धरती में अपने वंशजों को देखने आते है और अपने कुल की वृद्धि को देखकर प्रसन्न होते हैं ऐसे में पूरी श्रद्धा से पितृ कार्य करने से हमारे पितर तृप्त होते हैं और अपना आशीर्वाद अपने वंशजों को देते हैं। इसलिए इन दिनों तिथि के हिसाब से अपने पूर्वजों के नाम से श्राद्ध, तर्पण एवं पिंडदान से जहां पितृ संतुष्ट होते हैं वहीं घर परिवार में सुख शांति बनी रहती है।        ऐसे में कितने ही लोग अपने तर्क देते हुए कहते हैं कि व्यक्ति के जिंदा...