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Showing posts from May, 2025

Rainy Season: Enjoy the greenery, but stay safe बरसात: हरियाली के साथ सावधानी भी

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    बरसात: हरियाली के साथ सावधानी भी   तपती धरती पर जब बारिश की बूँदे गिरती है तभी से आशा बंध जाती है कि अब गर्मीं से राहत मिल जाएगी। रूखा सूखा मन इन बूंदों की खुशबू से ही भीग जाता है। सच में, ये बरसात ही कुछ ऐसी होती है जो केवल धरती ही नहीं अपितु हमारे मन को भी हरियाली से भर देती है। इसीलिए पेड़ पौधे, पशु पक्षी, मनुष्य सभी बरसात में खिले खिले लगते हैं।     अब इस मौसम में जहाँ हमें गर्मी और निराशा से निजात मिलती है वही साथ में अपने स्वास्थ्य के लिए भी लिए कई  चुनौतियाँ मिलती है क्योंकि ये बारिश पेड़ पौधे, पशु पक्षी सभी के लिए एक टॉनिक की तरह काम करती है इसीलिए इसमें केवल ये ही नहीं अपितु सूक्ष्म से सूक्ष्म जीव भी खूब फलते फूलते है। जिस कारण से बैक्टियरिया, वायरस, फंगस आदि के कारण कई रोग फैलते हैं।  बरसात में होने वाले रोग  वायु मे नमी, आद्रता के कारण रोगाणुओं को एक ऐसा उपयुक्त वातावरण मिलता है जिसमें ये बहुत तेजी से पनपते हैं और  जल्दी ही संक्रमित करते है। असल में यह संक्रमण काल होता है इसलिए इस समय पर हमें अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना आवश...

चूरमा Mothers Day Special Short Story

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Mother's Day Special... Short Story (लघु कथा) चूरमा... क्या बात है यशोदा मौसी,, कल सुबह तो पापड़ सुखा रही थी और आज सुबह निम्बू का अचार भी बना कर तैयार कर दिया तुमने। अपनी झोली को भी कैरी से भर रखा है क्या?? लगता है अब तुम आम पन्ना की तैयारी कर रही हो?? (गीता ने अपने आंगन की दीवार से झाँकते हुए कहा)  यशोदा ने मुस्कुराते हुए गर्दन हिलाई । लेकिन मौसी आज तो मंगलवार है। आज तो घर से चूरमे की मीठी मीठी महक आनी चाहिए और तुम कैरी के व्यंजन बना रही हो। लगता है तुम भूल गई हो कि आज सत्संग का दिन है। अरे नहीं-नहीं, सब याद है मुझे।   तो फिर!! अकेली जान के लिए इतना सारा अचार-पापड़। लगता है आज शाम के सत्संग में आपके हाथ का बना स्वादिष्ट चूरमा नहीं यही अचार और पापड़ मिलेगे। धत्त पगली! "चूरमा नहीं,,,मेरे गोपाल का भोग!!" और सुन आज मै न जा पाउंगी सत्संग में।  क्या हुआ  मौसी?? सब खैरियत तो है। इतने बरसों में आपने कभी भी मंगल का सत्संग नहीं छोड़ा और न ही चूरमे का भोग। सब ठीक तो है न??   सब खैरियत से है गीता रानी, आज तो मै और भी ठीक हो गई हूँ। (यशोदा तो जैसे आज नई ऊर्जा से भर गई थी, ...