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Showing posts from January, 2025

The Spirit of Uttarakhand’s Igas "Let’s Celebrate Another Diwali "

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  चलो मनाएं एक और दिवाली: उत्तराखंड की इगास    एक दिवाली की जगमगाहट अभी धुंधली ही हुई थी कि उत्तराखंड के पारंपरिक लोक पर्व इगास की चमक छाने लगी है। असल में यही गढ़वाल की दिवाली है जिसे इगास बग्वाल/ बूढ़ी दिवाली कहा जाता है। उत्तराखंड में 1 नवंबर 2025 को एक बार फिर से दिवाली ' इगास बग्वाल' के रूप में दिखाई देगी। इगास का अर्थ है एकादशी और बग्वाल का दिवाली इसीलिए दिवाली के 11वे दिन जो एकादशी आती है उस दिन गढ़वाल में एक और दिवाली इगास के रूप में मनाई जाती है।  दिवाली के 11 दिन बाद उत्तराखंड में फिर से दिवाली क्यों मनाई जाती है:  भगवान राम जी के वनवास से अयोध्या लौटने की खबर उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में 11वें दिन मिली थी इसलिए दिवाली 11वें दिन मनाई गई। वहीं गढ़वाल के वीर योद्धा माधो सिंह भंडारी अपनी सेना के साथ जब तिब्बत लड़ाई पर गए तब लंबे समय तक उनका कोई समाचार प्राप्त न हुआ। तब एकादशी के दिन माधो सिंह भंडारी सेना सहित तिब्बत पर विजय प्राप्त करके लौटे थे इसलिए उत्तराखंड में इस विजयोत्सव को लोग इगास को दिवाली की तरह मानते हैं।  शुभ दि...

उत्तराखंड की बसंत पंचमी/ वसंत पंचमी प्रकृति पर्व का एक और स्वरुप (Vasant Panchami (Basant Panchami ) Uttarakhand ki Panchami )

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उत्तराखंड की बसंत पंचमी/ वसंत पंचमी    प्रकृति पर्व का एक और स्वरुप     भारत में मनाये जाने वाले पर्व व त्यौहार मुख्य रूप से प्रकृति पर निर्भर होते हैं। ये हमें प्रकृति से जुड़ने का सन्देश देते हैं और साथ ही समाज में सामूहिक समरसता बनाए रखने के भी।   देवभूमि उत्तराखंड भी अपने लोक पर्वों के माध्यम से अपनी धार्मिक, अध्यात्मिक और सांस्कृतिक छवि के साथ साथ प्रकृति प्रेम का जीवंत उदाहरण प्रस्तुत करता है, जैसे कि बसंत पंचमी। बसंत पंचमी जिसे उत्तराखंड में सिर पंचमी या श्री पंचमी भी कहा जाता है, यह पर्व भी उत्तराखंड की प्रकृतिनिष्ठ लोक संस्कृति को दर्शाता है. बसंत पंचमी कब मनाईं जाती है उत्तराखंड में जाड़ो की भयंकर ठण्ड के बाद जब मौसम की ठण्ड गलाने के बजाए गुलाबी होने लगती है और दोपहर की धूप धीरे धीरे तपाने लगे तो समझो बसंत के आगमन कि तैयारी हो चुकी है। यह समय ऐसा होता है जब मन रंग बिरंगे फूलों को देखकर, पक्षियों की चहचहाहट सुनकर और मधुर बयार कि अनुभूति लेकर प्रफुल्लित होने लगता है। प्रकृति अपने चरम यौवन में होती है इसलिए हम बसंत को ऋतुराज कहते हैं। ऐसे वातावरण से ...

Travelogue यात्रा के रंग: परिवार, धर्म, अध्यात्म

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यात्रा के रंग: परिवार, धर्म, अध्यात्म (Part 2)  क्या, आपके साथ भी ऐसा होता है कि ट्रेन से उतरने के बाद भी ऐसा लगे कि मानों अभी तक हम ट्रेन में ही है। आँखें बंद करने के बाद भी लग रहा था कि मैं हिल ही रही हूँ। एक विभ्रम (illusion) की स्थिति हो रही थी।  दिन के एक बजे देहरादून से बैठना और अगली सुबह छ: बजे प्रयागराज पहुँचना यानी कि 16 -17 घंटों के सफर के बाद  घर पहुँचने पर ऐसा होना शायद स्वभाविक होता होगा!   थकान दूर होते ही निकलना था उसी आवश्यक काम के लिए जिसके लिए हम देहरादून से प्रयागराज आये थे। मैं पहली बार किसी सरकारी ऑफिस में सेवानिवृत्ति के कार्यक्रम में उपस्थित हो रही थी। इससे पहले केवल सेवानिवृत्ति की दावतों में ही शामिल रही हूँ। ए जी ऑफिस, एकाउंटेंट जनरल ऑफिस एक बहुत बड़ा सरकारी कार्यालय है। (यह कार्यालय उत्तर प्रदेश राज्य के लेन देनो के लेखे एवं हकदारी के कार्य - कलाप निष्पादित करता है।)    एक बड़े से सभागार में हम सभी घर वालों को आमंत्रित किया गया था। बहुत से लोग इस हॉल में जुट रहे थे। इस हॉल में नर्म और बैठने पर फच्च वाली आवाज़ वाले सोफे में हम सब...

Travelogue... यात्रा के रंग: परिवार, धर्म, अध्यात्म

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  यात्रा के रंग: परिवार, धर्म, अध्यात्म    आखिर भागते भागते ट्रेन पकड़ ही ली भले ही पांच मिनट पहले ही लपकी लेकिन एक्सप्रेस ट्रेन सी चलती धड़कनों को अब जाकर राहत मिली !!     सच में DDLJ फिल्म के ट्रेन का सीन याद आ गया। लग रहा था कि ट्रेन चलने ही वाली और हमें भागते हुए इसे पकड़ना है। बस, इस सीन से हीरो शाहरुख़ खान गायब था, या यूँ कहें कि हीरो के किरदार में हम स्वयं ही थे। अपना पर्स, खाने के डिब्बे से भरा बैग, एक बड़ा सा सूटकेस और उसके साथ एक और बड़ा बैग।  इन सबको लादे हुए भागना, ये हीरो से कम काम था क्या?? वो तो गनीमत है कि अब सामान की पेटियों में पहिये लगे होते हैं जिनसे थोड़ी राहत मिल जाती है नहीं तो DDLJ  की जगह कुली फिल्म याद आती!!    चलो ये काम तो था ही इसके साथ सबसे बड़ा काम था कि अपनी नज़रें अपने नटखट जय के ऊपर रखना जिसकी उत्सुकता हमारी धड़कनो जैसी ही तेज थी। ये सामान तो केवल मेरे पास था, मां के एक हाथ में एक बड़ा बैग और अपना हैंड बैग, जिया के पास अलग ट्राली बैग। सब अपना अपना सामान लेकर दौड़ लगा रहे थे। लग रहा था कि इस समय सब हीरो के किरदार में...