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Showing posts from January, 2025

चूरमा Mothers Day Special Short Story

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Mother's Day Special... Short Story (लघु कथा) चूरमा... क्या बात है यशोदा मौसी,, कल सुबह तो पापड़ सुखा रही थी और आज सुबह निम्बू का अचार भी बना कर तैयार कर दिया तुमने। अपनी झोली को भी कैरी से भर रखा है क्या?? लगता है अब तुम आम पन्ना की तैयारी कर रही हो?? (गीता ने अपने आंगन की दीवार से झाँकते हुए कहा)  यशोदा ने मुस्कुराते हुए गर्दन हिलाई । लेकिन मौसी आज तो मंगलवार है। आज तो घर से चूरमे की मीठी मीठी महक आनी चाहिए और तुम कैरी के व्यंजन बना रही हो। लगता है तुम भूल गई हो कि आज सत्संग का दिन है। अरे नहीं-नहीं, सब याद है मुझे।   तो फिर!! अकेली जान के लिए इतना सारा अचार-पापड़। लगता है आज शाम के सत्संग में आपके हाथ का बना स्वादिष्ट चूरमा नहीं यही अचार और पापड़ मिलेगे। धत्त पगली! "चूरमा नहीं,,,मेरे गोपाल का भोग!!" और सुन आज मै न जा पाउंगी सत्संग में।  क्या हुआ  मौसी?? सब खैरियत तो है। इतने बरसों में आपने कभी भी मंगल का सत्संग नहीं छोड़ा और न ही चूरमे का भोग। सब ठीक तो है न??   सब खैरियत से है गीता रानी, आज तो मै और भी ठीक हो गई हूँ। (यशोदा तो जैसे आज नई ऊर्जा से भर गई थी, ...

उत्तराखंड की बसंत पंचमी/ वसंत पंचमी प्रकृति पर्व का एक और स्वरुप (Vasant Panchami (Basant Panchami ) Uttarakhand ki Panchami )

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उत्तराखंड की बसंत पंचमी/ वसंत पंचमी    प्रकृति पर्व का एक और स्वरुप     भारत में मनाये जाने वाले पर्व व त्यौहार मुख्य रूप से प्रकृति पर निर्भर होते हैं। ये हमें प्रकृति से जुड़ने का सन्देश देते हैं और साथ ही समाज में सामूहिक समरसता बनाए रखने के भी।   देवभूमि उत्तराखंड भी अपने लोक पर्वों के माध्यम से अपनी धार्मिक, अध्यात्मिक और सांस्कृतिक छवि के साथ साथ प्रकृति प्रेम का जीवंत उदाहरण प्रस्तुत करता है, जैसे कि बसंत पंचमी। बसंत पंचमी जिसे उत्तराखंड में सिर पंचमी या श्री पंचमी भी कहा जाता है, यह पर्व भी उत्तराखंड की प्रकृतिनिष्ठ लोक संस्कृति को दर्शाता है. बसंत पंचमी कब मनाईं जाती है उत्तराखंड में जाड़ो की भयंकर ठण्ड के बाद जब मौसम की ठण्ड गलाने के बजाए गुलाबी होने लगती है और दोपहर की धूप धीरे धीरे तपाने लगे तो समझो बसंत के आगमन कि तैयारी हो चुकी है। यह समय ऐसा होता है जब मन रंग बिरंगे फूलों को देखकर, पक्षियों की चहचहाहट सुनकर और मधुर बयार कि अनुभूति लेकर प्रफुल्लित होने लगता है। प्रकृति अपने चरम यौवन में होती है इसलिए हम बसंत को ऋतुराज कहते हैं। ऐसे वातावरण से ...

Travelogue यात्रा के रंग: परिवार, धर्म, अध्यात्म

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यात्रा के रंग: परिवार, धर्म, अध्यात्म (Part 2)  क्या, आपके साथ भी ऐसा होता है कि ट्रेन से उतरने के बाद भी ऐसा लगे कि मानों अभी तक हम ट्रेन में ही है। आँखें बंद करने के बाद भी लग रहा था कि मैं हिल ही रही हूँ। एक विभ्रम (illusion) की स्थिति हो रही थी।  दिन के एक बजे देहरादून से बैठना और अगली सुबह छ: बजे प्रयागराज पहुँचना यानी कि 16 -17 घंटों के सफर के बाद  घर पहुँचने पर ऐसा होना शायद स्वभाविक होता होगा!   थकान दूर होते ही निकलना था उसी आवश्यक काम के लिए जिसके लिए हम देहरादून से प्रयागराज आये थे। मैं पहली बार किसी सरकारी ऑफिस में सेवानिवृत्ति के कार्यक्रम में उपस्थित हो रही थी। इससे पहले केवल सेवानिवृत्ति की दावतों में ही शामिल रही हूँ। ए जी ऑफिस, एकाउंटेंट जनरल ऑफिस एक बहुत बड़ा सरकारी कार्यालय है। (यह कार्यालय उत्तर प्रदेश राज्य के लेन देनो के लेखे एवं हकदारी के कार्य - कलाप निष्पादित करता है।)    एक बड़े से सभागार में हम सभी घर वालों को आमंत्रित किया गया था। बहुत से लोग इस हॉल में जुट रहे थे। इस हॉल में नर्म और बैठने पर फच्च वाली आवाज़ वाले सोफे में हम सब...

Travelogue... यात्रा के रंग: परिवार, धर्म, अध्यात्म

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  यात्रा के रंग: परिवार, धर्म, अध्यात्म    आखिर भागते भागते ट्रेन पकड़ ही ली भले ही पांच मिनट पहले ही लपकी लेकिन एक्सप्रेस ट्रेन सी चलती धड़कनों को अब जाकर राहत मिली !!     सच में DDLJ फिल्म के ट्रेन का सीन याद आ गया। लग रहा था कि ट्रेन चलने ही वाली और हमें भागते हुए इसे पकड़ना है। बस, इस सीन से हीरो शाहरुख़ खान गायब था, या यूँ कहें कि हीरो के किरदार में हम स्वयं ही थे। अपना पर्स, खाने के डिब्बे से भरा बैग, एक बड़ा सा सूटकेस और उसके साथ एक और बड़ा बैग।  इन सबको लादे हुए भागना, ये हीरो से कम काम था क्या?? वो तो गनीमत है कि अब सामान की पेटियों में पहिये लगे होते हैं जिनसे थोड़ी राहत मिल जाती है नहीं तो DDLJ  की जगह कुली फिल्म याद आती!!    चलो ये काम तो था ही इसके साथ सबसे बड़ा काम था कि अपनी नज़रें अपने नटखट जय के ऊपर रखना जिसकी उत्सुकता हमारी धड़कनो जैसी ही तेज थी। ये सामान तो केवल मेरे पास था, मां के एक हाथ में एक बड़ा बैग और अपना हैंड बैग, जिया के पास अलग ट्राली बैग। सब अपना अपना सामान लेकर दौड़ लगा रहे थे। लग रहा था कि इस समय सब हीरो के किरदार में...