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Showing posts from September, 2024

नव वर्ष की तैयारी, मानसिक दृढ़ता के साथ

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नव वर्ष में नव संकल्प: मानसिक दृढ़ता New Year's Resolutions: Mental Strength/Resilience   यह साल जितनी तेजी से गुजरा उतनी ही तेजी के साथ नया साल आ रहा है। ऐसा लग रहा है कि एक साल तो जैसे एक दिन की तरह गुजर गया। मानो कल की ही तो बात थी और आज एक वर्ष भी बीत गया!   हर वर्ष की भांति इस वर्ष के अंतिम दिनों में हम यही कहते हैं कि 'साल कब गुजरा कुछ पता ही नहीं चला' लेकिन असल में अगर हम अपने को थोड़ा सा समय देकर साल के बीते दिनों पर नजर डालें तो तब हम समझ पाएंगे कि सच में इस एक वर्ष में बहुत कुछ हुआ बस हम पीछे को भुलाकर समय के साथ आगे बढ़ जाते हैं।    इस वर्ष भी सभी के अपने अलग अलग अनुभव रहे। किसी के लिए यह वर्ष सुखद था तो किसी के लिए यह वर्ष दुखों का सैलाब लेकर आया। सत्य भी है कि इस वर्ष का आरंभ प्रयागराज के महाकुंभ से हुआ जहां की पावन डुबकी से मन तृप्त हो गया था तो वहीं प्राकृतिक आपदाओं और आतंकी घटनाओं से मन विचलित भी था। इस वर्ष की ऐसी हृदय विदारक घटनाओं से मन भय और शंकाओं से घिरकर दुखी होने लगता है लेकिन आने वाले वर्ष की मंगल कामनाओं के लिए मन को मनाना ...

साल में एक बार (short story)

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साल में एक बार (once in a year) मनीष कहाँ है?? वो चल रहा है न हमारे साथ?? . .. अशोक ने सरिता से उत्सुकता से पूछा अपने कमरे में और आप भी न! बार बार पूछने से उसका जवाब थोड़ी न बदलेगा। आपको पता तो है कि वो कहाँ मानता है ये सब। उसको पूजा पाठ, श्राद्ध सब दूसरी दुनिया की बातें लगती हैं।   हमारे साथ गया चलता तो गया जी का महत्व पता चलता कि वहाँ जाकर पिंडदान करने से 7 पीढी़ और 108 कुलों का उद्धार हो जाता है, मोक्ष मिलता है। वहाँ जाकर शायद मनीष के विचार भी बदल जाते और मुझे अपने बुढापे की तसल्ली भी हो जाती।  रहने दीजिये, आप मनु के साथ कोई जिद्द न करें... जिद्द नहीं है,,अधिकार है हमारा। (अशोक ने सरिता की बात काटते हुए कहा... )   कोई बच्चा थोड़ी न है वो जो जबरदस्ती उठा के ले चले अपने साथ। शादी होने जा रही है उसकी। बहु लेकर आ रहा है हमारा मनु।  (अशोक सिर झटकते हुए ) पता है, फ़िरंगन बहु।   सुनो जी, मैं मानती हूँ कि बहु अमरीका में पली बढ़ी हैं लेकिन जेनी को फ़िरंगन बहु कहना शोभा नही देता। आप चाहे जो भी बोलो लेकिन उसके दादा तो भारतीय ही हैं और सबसे अच...

कौन बदला: शिक्षा, शिष्य या शिक्षक!!

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कौन बदला: शिक्षा, शिष्य या शिक्षक !!   शिक्षा के माध्यम से ही ज्ञान मिलता है और ज्ञान से मानसिक चेतना। इसी मानसिक चेतना के विस्तार से एक साधारण मन भी एक जिज्ञासु बनता है जो नई दिशा, ज्ञान, नये विचार, नई सोच, नये उद्देश्य और नई तकनीक का जन्मदाता है। और इन्हीं सब सकारात्मक कड़ियों को जोड़कर ही एक नये शिक्षित समाज का निर्माण होता है।    शिक्षा से शिक्षित समाज तक की दूरी को पाटना हमारी अपनी जिम्मेदारी है लेकिन एक अच्छी शिक्षा से जुड़ने की जिम्मेदारी शिक्षक के कंधे पर ही है इसीलिए जैसे शिक्षा एक आवश्यकता है वैसे ही शिक्षक भी हमारे विकासक्रम की एक मूलभूत आवश्यकता है। हम सभी मानते हैं कि बिना शिक्षक के शिक्षा दिशाहीन है।    लेकिन आज हमारे सामने शिक्षा, शिष्य और शिक्षक संबंधित ऐसी बहुत सी अप्रिय घटनाएं घटित हो रही हैं जो हम सभी को सोचने में मजबूर कर देती हैं कि आज शिक्षा का स्तर क्या है?? ज्ञान का केंद्र कहे जाने वाले देश में आखिर कौन बदला?? शिक्षा, शिष्य या शिक्षक!!   बच्चों द्वारा की जाने वाली आत्महत्यायें उनके लिए पढाई का बोझ थी या फिर आगे बढ़ने...