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Showing posts from July, 2024

नव वर्ष की तैयारी, मानसिक दृढ़ता के साथ

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नव वर्ष में नव संकल्प: मानसिक दृढ़ता New Year's Resolutions: Mental Strength/Resilience   यह साल जितनी तेजी से गुजरा उतनी ही तेजी के साथ नया साल आ रहा है। ऐसा लग रहा है कि एक साल तो जैसे एक दिन की तरह गुजर गया। मानो कल की ही तो बात थी और आज एक वर्ष भी बीत गया!   हर वर्ष की भांति इस वर्ष के अंतिम दिनों में हम यही कहते हैं कि 'साल कब गुजरा कुछ पता ही नहीं चला' लेकिन असल में अगर हम अपने को थोड़ा सा समय देकर साल के बीते दिनों पर नजर डालें तो तब हम समझ पाएंगे कि सच में इस एक वर्ष में बहुत कुछ हुआ बस हम पीछे को भुलाकर समय के साथ आगे बढ़ जाते हैं।    इस वर्ष भी सभी के अपने अलग अलग अनुभव रहे। किसी के लिए यह वर्ष सुखद था तो किसी के लिए यह वर्ष दुखों का सैलाब लेकर आया। सत्य भी है कि इस वर्ष का आरंभ प्रयागराज के महाकुंभ से हुआ जहां की पावन डुबकी से मन तृप्त हो गया था तो वहीं प्राकृतिक आपदाओं और आतंकी घटनाओं से मन विचलित भी था। इस वर्ष की ऐसी हृदय विदारक घटनाओं से मन भय और शंकाओं से घिरकर दुखी होने लगता है लेकिन आने वाले वर्ष की मंगल कामनाओं के लिए मन को मनाना ...

शिव कृपा: चोर से कुबेर तक

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शिव कृपा: चोर से कुबेर तक    हिंदू धर्म में पवित्र माह सावन हमें भगवान शिव की ओर ले जाता है। यह माह शिव और शिवा (पार्वती, प्रकृति) की आराधना के लिए समर्पित है इसलिए सावन में शिव का पाठ करना विशेष फलदायी होता है क्योंकि यह हमें अध्यात्मिक और मानसिक रूप से शक्ति प्रदान करता है।     शिव का पाठ ही नहीं अपितु शिव का पूजन, स्मरण, मनन या श्रवण किसी भी भाँति से शिव नाम का लिया जाना सभी के लिए हितकारी होता है। शिव नाम से दुर्बुद्धि भी सद्बुद्धि में बदल जाती है।    शिव पुराण के एक प्रसंग में वर्णित गुणनिधि की कथा भी तो यही बताती है कि बिना भक्ति भाव के भी यदि ऐसा कोई कार्य किया जाता है जो शिव को प्रिय हो तो वह व्यक्ति भी शिव का प्रिय हो जाता है और उस कार्य का दुगना फल भगवान शिव उसे देते हैं।  शिव की कृपा: गुणनिधि की कथा:   काम्पिल्य नगर में यज्ञदत्त नाम का एक ब्राह्मण रहता था। उसका एक पुत्र था जिसका नाम गुणनिधि था। यज्ञ दत्त वेद वेदांगों का ज्ञानी था लेकिन उसके पुत्र का मन वेद पाठ से विमुख था जिसके चलते वो बुरी संगति में पड़ गया...

गौरैया और गिलहरी

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गौरैया और गिलहरी.. Short story     मनु एक पढ़ी लिखी, समझदार और मिलनसार लड़की है और अपने ससुराल की लाडली बहु भी क्योंकि पूरा घर मनु ने अच्छे से संभाला हुआ है। केवल घर ही नहीं मनु अपने ऑफिस में भी सबसे आगे हैं। क्योंकि वो बहुत जिम्मेदारी से अपना काम करती है और इसी के चलते उसका काम हमेशा दुरुस्त रहता है। ऑफिस का कोई भी प्रोजेक्ट बिना मनु के पूरा करना असंभव होता है इसीलिए तो सभी लोग मनु के इस घर और ऑफिस के बीच बने तालमेल की प्रशंसा किये बिना नहीं थकते लेकिन जब से मनु के ऑफिस में उसकी एक नई सहकर्मी संध्या का आगमन हुआ है तभी से मनु थोड़ा चिड़ चिड़ी रहने लगी है।      संध्या एक तेज तर्रार और चालाक लड़की थी। ऐसा लगता था कि उसने अपने मुखर व्यक्तित्व के कारण ऑफिस के सभी लोगों पर अपना जादू कर दिया है।        ऑफिस में जहाँ पहले किसी भी काम के लिए मनु की राय ली जाती थी वहीं अब संध्या अपने तरीके से उस काम को निपटा भी देती है। कई बार तो मनु के स्थान पर संध्या चालाकी से उस काम की तारीफ भी पा लेती और मनु का हक भी स्वयं पा लेती। मनु ने क...

दून घाटा

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दून घाटी का दून घाटा  भीषण गर्मी के बाद बरसात का आना बहुत बड़ी राहत होती है। वो भी तब जब समान्यत: तापमान 40डिग्री से ऊपर चल रहा हो। ऐसे में सूखी धरती पर बारिश की बूंदें पड़ना मन को पूरी हरियाली से भर देता है।    इस गर्मी में एक समय पर लग रहा था कि हम गढ़वाल के चोली (चातक पक्षी, पपीहा) बन गए हैं जो आसमान की ओर बेचैनी से देखता रहता है और यही बोलता रहता है कि ‘सरग दिदा पाणी दे पाणी दे’ (आसमान भाई पानी दे , पानी दे)।    कहा जाता है कि चातक पक्षी के लिए स्वाति नक्षत्र की बूँद ही काफी होती है जो धरती पर बिना गिरे ही उसके गले को तृप्त करती है। उसके लिए केवल वही बूंद आवश्यक है फिर किसी साफ पानी की झील भी उसके कोई मायने नहीं रहती वैसे ही हमारे लिए भी बरसात का मौसम वर्ष भर के लिए हमें संतुष्ट करता है लेकिन समय से पहले और अधिक वर्षा हमारे लिए व्यर्थ है और साथ ही घातक भी।    झुलसा देने वाली गर्मी के बाद गीली धरती, नीला-काला आसमान, नहाये हुए पशु पक्षी, झूमते पेड़ और उसके साथ ही उड़ती हुई भीनी खुशनुमा हवाएं भला किसके मन को हर्षित नहीं करती!...