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Showing posts from April, 2024

शांत से विकराल होते पहाड़...

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शांत से विकराल होते पहाड़...   क्या हो गया है पहाड़ में?? शांत और स्थिरता के साथ खड़े पहाड़ों में इतनी उथल पुथल हो रही है कि लगता है पहाड़ दरक कर बस अब मैदान के साथ में समाने वाला है। क्या जम्मू, क्या उत्तराखंड और क्या हिमाचल! दोनों जगह एक सा हाल! कभी बादल फटने से तो कभी नदी के रौद्र् रूप ने तो कभी चट्टानों के टूटने या भू धंसाव से ऐसी तबाही हो रही है जिसे देखकर सभी का मन विचलित हो गया है। प्रकृति के विनाशकारी स्वरुप को देख कर मन भय और आतंक से भर गया है। इन्हें केवल आपदाओं के रूप में स्वीकार करना गलती है। असल में ये चेतावनी है और प्रकृति की इन चेतावनियों को समझना और स्वयं को संभालना दोनों जरूरी है।     ऐसा विकराल रूप देखकर सब जगह हाहाकार मच गया है कि कोई इसे कुदरत का कहर तो कोई प्रकृति का प्रलय तो कोई दैवीए आपदा कह रहा है लेकिन जिस तेजी के साथ ये घटनाएं बढ़ रही है उससे तो यह भली भांति समझा जा सकता है कि यह प्राकृतिक नहीं मानव निर्मित आपदाएं हैं जो प्राकृतिक रूप से बरस पड़ी हैं।    और यह कोई नई बात नहीं है बहुत पहले से कितने भू वैज्ञानिक, पर्यावरणविद और ...

थोड़ा कुमाऊँ घूम आते हैं... भाग -3

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थोड़ा कुमाऊँ घूम आते हैं... भाग - 3    पिछले लेख में हमारे पास नैनीताल घूमने का केवल आधा दिन था जिसे हमने खूब अच्छे से व्यतीत किया और कहा था कि आगे का रास्ता लंबा नहीं है क्योंकि अब हमें नैनीताल से कैंची धाम जाना था। 10 मार्च की सुबह हम अब नैनीताल के पहाड़ी मार्ग से आगे कुमाऊँ की पहाड़ियों के और निकट जा रहे थे।   कैंची धाम:     कैंची धाम जिसे नीम करौरी आश्रम के नाम से भी जाना जाता है, एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यह कुमाऊँ के सुरम्य, शांत वातावरण के मध्य कैंची गाँव में स्थित एक अध्यात्मिक आश्रम है जिसे संत नीम करौरी बाबा जी ने बनाया था। बाबा जी स्वयं हनुमान जी के बहुत बड़े उपासक थे इसलिए इनके कई भक्त इन्हें चमत्कारी मानते हैं एवं हनुमान जी की तरह ही पूजते हैं।          कैंची धाम, 10 मार्च 2024    नैनीताल से कैंची धाम की दूरी 20 किलोमीटर के आसपास है जो कि 40-50 मिनट में पूरी की जा सकती है लेकिन कई बार ये दूरी घंटे भर से कई अधिक भी हो जाती है क्योंकि कैंची धाम एक लोकप्रिय धाम है तो दर्शनार्थी हमेशा बने रहते हैं और...