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Showing posts from November, 2023

चूरमा Mothers Day Special Short Story

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Mother's Day Special... Short Story (लघु कथा) चूरमा... क्या बात है यशोदा मौसी,, कल सुबह तो पापड़ सुखा रही थी और आज सुबह निम्बू का अचार भी बना कर तैयार कर दिया तुमने। अपनी झोली को भी कैरी से भर रखा है क्या?? लगता है अब तुम आम पन्ना की तैयारी कर रही हो?? (गीता ने अपने आंगन की दीवार से झाँकते हुए कहा)  यशोदा ने मुस्कुराते हुए गर्दन हिलाई । लेकिन मौसी आज तो मंगलवार है। आज तो घर से चूरमे की मीठी मीठी महक आनी चाहिए और तुम कैरी के व्यंजन बना रही हो। लगता है तुम भूल गई हो कि आज सत्संग का दिन है। अरे नहीं-नहीं, सब याद है मुझे।   तो फिर!! अकेली जान के लिए इतना सारा अचार-पापड़। लगता है आज शाम के सत्संग में आपके हाथ का बना स्वादिष्ट चूरमा नहीं यही अचार और पापड़ मिलेगे। धत्त पगली! "चूरमा नहीं,,,मेरे गोपाल का भोग!!" और सुन आज मै न जा पाउंगी सत्संग में।  क्या हुआ  मौसी?? सब खैरियत तो है। इतने बरसों में आपने कभी भी मंगल का सत्संग नहीं छोड़ा और न ही चूरमे का भोग। सब ठीक तो है न??   सब खैरियत से है गीता रानी, आज तो मै और भी ठीक हो गई हूँ। (यशोदा तो जैसे आज नई ऊर्जा से भर गई थी, ...

सर्दी की धूप

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सर्दी की धूप   सर्दियों का आगमन हो गया है। गर्म कपड़ों पर धूप भी लग चुकी है और पहनना भी आरंभ हो चुका है और इसके साथ ही धूप के साथ आँख मिचोली भी। अंदर बैठो तो ठंडा और बाहर बैठो तो तेज धूप। ऐसा लगता है सर्दी और गर्मी दोनों मिलकर समझौता कर रहे हैं और हमें आंगन और कमरों के बीच दौड़ा रहे है।    वैसे समय चाहे कुछ भी हो सर्दी की धूप आखिर किसे पसंद नहीं!! लगता है कि बस निठ्ठलों की तरह इस धूप में पसर जाओ और सुस्ती का आनंद लों। वैसे कहते हैं कि रोशनी और धूप हर किसी को रिचार्ज कर देती हैं लेकिन सर्दी की धूप में ऐसा नशा होता है कि अच्छे अच्छे धाराशायी हो जाते हैं क्योंकि धूप सेंकते सेंकते आपकी आँख कब लग जायेंगी इसका पता भी नहीं चलेगा। सच में सर्दियों की गुनगुनी धूप सेंकने का मज़ा कुछ अलग ही है। खासकर कि पहाड़ों की धूप की तो बात ही कुछ और है।    वैसे ये परम सत्य है कि सूरज ऊर्जा का भंडार है और इसकी किरणें धरती पर पड़ते ही सभी को सकारात्मक ऊर्जा से भर देती है। इसीलिए कड़ाके की सर्दी में सुबह उठते ही कोहरे के डर से संशय बना रहता है कि क्या आज धूप आयेगी ...

दीपावली के दीपक

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दीपावली के दीपक : अंतर्मन के दीप    हिंदुओं के मुख्य पर्वों में से एक दीपावली आ रही है जिसके आने की खुशी घर परिवार, मोहल्ला बाजार हर जगह होती है। वैसे तो पूरे वर्ष ही पर्व, उत्सव बने रहते हैं किंतु दीपावली का त्यौहार ऐसा है जिसकी प्रतिक्षा वर्ष के आरंभ से ही होने लगती है। दीपावली का आना मतलब कि चारों ओर एक ऐसा वातावरण बनना जो हमारे घर ही क्या हमारे मन के कोने कोने में भी प्रकाश भर देता है।      जैसे भगवान श्री राम के वनवास के समय लोगों को उनके घर आने की प्रतिक्षा रहती थी उसी तरह से आज भी हम लोग हर वर्ष दीपवाली की प्रतिक्षा करते हैं।    क्योंकि जैसे उस समय सभी का विश्वास था कि जब प्रभु श्री राम घर लौटेंगे तो उनके दुख और कष्ट दूर हो जायेंगे और चारों ओर खुशहाली बनी रहेगी। उसी प्रकार से अभी तक हमारा विश्वास बना हुआ है कि दीवाली आने पर सभी के दुख,दरिद्रता और कष्ट दूर होंगे और आगे का वर्ष सुख समृद्धि से भरपूर होगा।    दीवाली पर हम भगवान राम जी के अयोध्या लौटने की खुशी तो मनाते ही हैं साथ ही मन में विश्वास भी बढ़ाते हैं कि आन...